बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध / Essay on Bankim Chandra Chatterjee in Hindi

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बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध / Essay on Bankim Chandra Chatterjee in Hindi

बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध / Essay on Bankim Chandra Chatterjee in Hindi

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                          बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध

Table of contents

1.बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध (500 शब्द)

2.परिचय

3.जन्म

4.प्रारंभिक शिक्षा

5.करियर

6.विवाह

7.प्रसिद्ध लेखक एवं वंदे मातरम के रचयिता

8.साहित्यिक अभियान के समर्थक

9.उपसंहार

10.बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय पर निबंध (800 शब्द)

11.FAQs


नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारे एक और नये आर्टिकल पर। आज की पोस्ट में हम आपको राष्ट्रगीत वंदे मातरम के रचयिता, प्रसिद्ध देशभक्त एवं महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी पर हिंदी में निबंध (Essay on Bankim Chandra Chatterjee in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस निबंध से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं। तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।



बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंध (500 शब्द)


परिचय - बंकिम चंद्र चटर्जी, जिन्हें बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के नाम से भी जाना जाता है, भारत के महानतम उपन्यासकारों और कवियों में से एक थे। वे भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं।


जन्म - बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म 27 जून, 1838 को बंगाल के 24 परगना जिले के कंतलपारा गांव में हुआ था। वह ब्राह्मणों के परिवार से ताल्लुक रखते थे।  बंगाली में 'बंकिम चंद्र' शब्द का अर्थ है 'शुक्ल पखवाड़े के दूसरे दिन चंद्रमा'। बंकिमचंद्र के पिता यादव चंद्र चट्टोपाध्याय सरकारी सेवा में थे। उनके जन्म के बाद उन्हें डिप्टी कलेक्टर के रूप में मिदनापुर में तैनात किया गया था।


प्रारंभिक शिक्षा- बंकिम चंद्र चटर्जी की प्रारंभिक शिक्षा मिदनापुर में हुई। वह मेधावी छात्र थे। मिदनापुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद बंकिम चंद्र चटर्जी ने हुगली के मोहसिन कॉलेज में दाखिला लिया और वहां छह साल तक अध्ययन किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय अपनी पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त खाली समय में अन्य पुस्तकें भी पढ़ते थे। संस्कृत के अध्ययन में उनकी बहुत रुचि थी। संस्कृत के उनके अध्ययन ने उन्हें संस्कृत भाषा का बड़ा विद्वान बना दिया। बाद में, जब उन्होंने बंगाली में किताबें लिखीं तो संस्कृत के उनके ज्ञान ने उनकी बहुत मदद की।


करियर-1856 में, बंकिम चंद्र चटर्जी ने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। 1857 में, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह हुआ लेकिन बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बी.ए. पास किया। कलकत्ता के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने उसी वर्ष बंकिम चंद्र चटर्जी को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किया। बंकिम चंद्र चटर्जी बत्तीस वर्षों तक सरकारी सेवा में रहे और 1891 में सेवानिवृत्त हुए। वे बहुत कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता थे।


विवाह-बंकिम चंद्र चटर्जी का विवाह तब हुआ जब वे केवल ग्यारह वर्ष के थे। उस वक्त उनकी पत्नी महज पांच साल की थीं। बंकिम चंद्र चटर्जी केवल बाईस वर्ष के थे जब उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद उन्होंने दोबारा शादी कर ली। उनकी दूसरी पत्नी राजलक्ष्मी देवी थीं। उनकी तीन बेटियां थीं लेकिन कोई बेटा नहीं था।


प्रसिद्ध लेखक एवं वंदे मातरम के रचयिता-बंकिम चंद्र चटर्जी ने पद्य के लेखक के रूप में अपना साहित्यिक जीवन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने फिक्शन की ओर रुख किया। दुर्गेशनंदिनी, उनका पहला बंगाली रोमांस, 1865 में प्रकाशित हुआ था। उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में कपालकुंडला (1866), मृणालिनी (1869), विषबृक्ष (1873), चंद्रशेखर (1877), रजनी (1877), राजसिम्हा (1881), और देवी चौधुरानी शामिल हैं। बंकिम चंद्र चटर्जी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ (1882) था। आनंद मठ में "बंदे मातरम" गीत शामिल था, जिसे बाद में राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया।


साहित्यिक अभियान के समर्थक- बंकिम चंद्र चटर्जी साहित्यिक अभियान के माध्यम से बंगाली भाषी लोगों की बुद्धि को उत्तेजित करके बंगाल के सांस्कृतिक पुनरुत्थान को लाना चाहते थे। इस दृष्टि से उन्होंने 1872 में बंगदर्शन नामक मासिक पत्रिका निकाली।


उपसंहार- बंकिम चटर्जी शानदार कहानीकार और रोमांस के उस्ताद थे। पहले या बाद में किसी भी बंगाली लेखक ने चटर्जी जैसी सहज और सार्वभौमिक लोकप्रियता का आनंद नहीं लिया। उनके उपन्यासों का भारत की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद किया गया है। 8 अप्रैल, 1894 को उनका निधन हो गया।


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Essay on Bankim Chandra Chatterjee in Hindi


बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय पर निबंध (800 शब्द)


जन्म- 27 जून 1838 नैहाटी, बंगाल


मृत्यु - 8 अप्रैल 1894 (उम्र 55 ) कोलकाता, बंगाल


व्यवसाय - लेखक, कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार, पत्रकार, व्याख्यानकार एवं राजनेता


भाषा- बांग्ला, अंग्रेजी


उच्च शिक्षा - कोलकाता विश्वविद्यालय


विषय - साहित्य


साहित्यिक आन्दोलन- बंगाली पुनर्जागरण


उल्लेखनीय कार्य - दुर्गेशनन्दिनी, कपालकुण्डला, देवी चौधुरानी, आनन्द मठ, मातरम् वन्दे


• आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी।


• इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे।


• बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे।


. बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म उत्तरी चौबीस परगना के कंठालपाड़ा, नैहाटी में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था।


• उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। 1857 में उन्होंने बीए पास किया। प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि लेनेवाल ये पहले भारतीय थे।


• शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई। कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। रायबहादुर और सी. आई. ई. की उपाधियाँ पाई।


• 1861 में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होने सरकारी नौकरी कर ली और 1891 में सेवानिवृत्त हुए। 8 अप्रैल 1894 को उनका निधन हुआ।


रचनाएँ :-


बंकिमचंद्र चटर्जी की पहचान बांग्ला कवि, उपन्यासकार, लेखक और पत्रकार के रूप में है।


• उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। इसकी रचना अंग्रेजी में की गई थी।


· उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' मार्च 1865 में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है।


• दूसरे उपन्यास [कपालकुंडला) (1866) को उनकी सबसे अधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है।


• उन्होंने 1872 में मासिक पत्रिका बंगादर्शन का भी प्रकाशन किया। अपनी इस पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। कृष्णकांतेर विल में चटर्जी ने अंग्रेजी शासकों पर तीखा व्यंग्य किया है।


आनंदमठ (1882) राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है।


• चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (1886) है। इसमें मुस्लिम सत्ता के प्रति एक हिंदू शासक का विरोध दर्शाया गया है।


'उनके अन्य उपन्यासों में दुर्गेशनंदिनी, मृणालिनी, इंदिरा, राधारानी, कृष्णकांतेर दफ्तर, देवी चौधरानी और मोचीराम गौरेर जीवनचरित शामिल है।


• उनकी कविताएं ललिताओ मानस नामक संग्रह में प्रकाशित हुई। उन्होंने धर्म, सामाजिक और समसामायिक मुद्दों पर आधारित कई निबंध भी लिखे।


• बंकिमचंद्र के उपन्यासों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद किया गया।


• बांग्ला में सिर्फ बंकिम और शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को यह गौरव हासिल है कि उनकी रचनाएं हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में आज भी बड़े चाव से पढ़ी जाती है।


• लोकप्रियता के मामले में बंकिम, शरद और रवीन्द्र नाथ ठाकुर से भी आगे हैं। बंकिम बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनाकार थे। उनके कथा साहित्य के अधिकतर पात्र शहरी मध्यम वर्ग के लोग हैं। इनके पात्र आधुनिक जीवन की त्रासदियों और प्राचीन काल की परंपराओं से जुड़ी दिक्कतों से साथ साथ जूझते हैं। यह समस्या भारत भर के किसी भी प्रांत के शहरी मध्यम वर्ग के समक्ष आती है। लिहाजा मध्यम वर्ग का पाठक बंकिम के उपन्यासों में अपनी छवि देखता है।


बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (27 जून 1838- 8 अप्रैल 1894) बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका श्रेष्ठ स्थान है।


प्रमुख उपन्यास:- दुर्गेशनन्दिनी, कपालकुण्डला, 

मृणालिनी, बिषवृक्ष, इन्दिरा, युगलांगुरीय, चन्द्रशेखर,

राधारानी, रजनी, कृष्णकान्तेर उइल, राजसिंह, आनन्दमठ, देबी चौधुरानी, सीताराम


उपकथा:- (इन्दिरा, युगलांगुरीय और ललिता (पुराकालिक गल्प राधारानी त्रयी संग्रह),Rajmohan's Wife


प्रबन्ध ग्रन्थ:- कमलाकान्तेर दप्तर, लोकरहस्य, 

कृष्ण चरित्र, विज्ञान रहस्य, विविध समालोचना, 

प्रबन्ध पुस्तक, साम्य, कृष्ण चरित्र, बिबिध प्रबन्ध


विविध- सहज रचना शिक्षा, कबिता पुस्तक, 

(किछु कबिता, एवं ललिता ओ मानस)


सम्पादित ग्रन्थावली:- दीनबन्धु मित्रेर जीबनी, बांगला साहित्ये प्यारीचाँद मित्रेर, स्थान, संजीबचन्द्र चट्टोपाध्यायेर जीबन


FAQs


1. वंदे मातरम के रचयिता कौन है?

उत्तर- वंदे मातरम के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी है।


2. बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म कब एवं कहां हुआ था?

उत्तर- बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म 27 जून, 1838 को बंगाल के 24 परगना जिले के कंतलपारा गांव में हुआ था।


3. बंकिम चंद्र चटर्जी के पिता का क्या नाम था ?

उत्तर- बंकिमचंद्र के पिता का नाम यादव चंद्र चट्टोपाध्याय था।


4.बंकिम चंद्र चटर्जी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास कौन सा है ?

उत्तर- बंकिम चंद्र चटर्जी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ (1882) है।


5.बंकिम चंद्र चटर्जी की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर- 8 अप्रैल, 1894 को उनका निधन हो गया।


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