Dr. Rajendra Prasad ka Jivan Prichay| डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय

Ticker

Dr. Rajendra Prasad ka Jivan Prichay| डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय

 Dr. Rajendra Prasad ka Jivan Prichay| डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय


दोस्तो आज की इस पोस्ट में बातायेगे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय जो आप लोगों के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट होने वाला है तो आप लोगों को पोस्ट में अंत तक जरूर पढ़ना है और आप लोगों को बताना है पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके|





डॉ राजेंद्र प्रसाद-

डॉ राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे राष्ट्र के विकास में उनका बहुत गहरा योगदान रहा है वह जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल और लाल बहादुर शास्त्री के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे|

वही उत्साह पूर्ण व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने मातृभूमि की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक आकर्षण व्यवसाय दिया एक बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए एक आकर्षण व्यवसाय दिया आजादी के बाद उन्होंने संविधान सभा के आगे बढ़ाने के लिए संविधान को बनाने के लिए नवजात राष्ट्र का नेतृत्व किया| संक्षेप में कह सकते कि भारत का गणराज्य को आकर देने में प्रमुख वास्तुकारों में से एक डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद थे


संक्षिप्त परिचय-


नाम- डॉ राजेंद्र प्रसाद


जन्म -1884 ईसवी 


जन्म स्थान -बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक ग्राम में


पिता का नाम- महादेव सहाय 


शिक्षा- एम.ए और एल.एल.बी


अजीविका -अध्यापन कार्य, वकालत, संपादन कार्य 


मृत्यु- 28 फरवरी 1963


लेखन विधा- पत्रिका एवं भाषण 


साहित्य में पहचान -गहन विचारक


भाषा -सरल, सुबोध, स्वाभाविक और व्यवहारिक 


शैली- साहित्यिक, भाषण, भावात्मक ,विवेचनात्मक तथा आत्मकथात्मक


साहित्य में स्थान -सन 1962 में राजेंद्र प्रसाद जी को भारत की सर्वोच्च उपाधि भारत रत्न से अलंकृत किया गया


जीवन परिचय- सफल राजनीतिक और प्रतिभा संपन्न साहित्यकार देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 1884 ईसवी में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक स्थान पर हुआ था इनके पिता का नाम महादेव सहाय इनका परिवार गांव के संपन्न और प्रतिष्ठित कृषक परिवारों में से था यह अत्यंत मेधावी छात्र थे इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से m.a. और कानून की डिग्री एल.एल.बी की परीक्षा उत्तीर्ण की| सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले राजेंद्र प्रसाद ने मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया इन्होंने सन 1911 में वकालत शुरू की और सन 1920 तक कोलकाता और पटना में वकालत का कार्य किया उसके पश्चात वकालत छोड़ कर देश सेवा में लग गई इनका झुकाव प्रारंभ से ही राष्ट्र सेवा की ओर था सन 1917 में गांधी जी के आदर्शों और सिद्धांतों से प्रभावित होकर इन्होंने चंपारण के आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और वकालत छोड़ कर पूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े| अनेक बार जेल की यातनाएं भी इन्होंने भोगी|


इन्होंने विदेश जाकर भारत के पक्ष को विश्व के सम्मुख रखा| डॉ राजेंद्र प्रसाद तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति और सन 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे सादा जीवन उच्च विचार इनके जीवन का मूल मंत्र था सन 1962 में इन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया गया जीवन पर्यंत हिंदी और हिंदुस्तान की सेवा करने वाले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी का स्वर्गवास 28 फरवरी 1963 में हो गया |


रचनाएं- डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं- 

भारतीय शिक्षा,

 गांधी जी की देन' 

 शिक्षा और संस्कृत साहित्य,

 मेरी आत्मकथा,

 बापूजी के कदमों में,

 मेरी यूरोप यात्रा,

 संस्कृत का अध्ययन,

 चंपारण में महात्मा गांधी और खादी का अर्थशास्त्र आदि

भाषा शैली -

डॉ राजेंद्र प्रसाद की भाषा सरल सुबोध और व्यवहारिक है इनकी निबंधों में संस्कृत, उर्दू ,अंग्रेजी बिहारी शब्दों का प्रयोग हुआ है इसके अतिरिक्त जगह-जगह ग्रामीण कहावतों और शब्दों का भी प्रयोग हुआ है इन्होंने भावानुरूप छोटे बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है इनकी भाषा में बनावटीपन  नहीं है डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की शैली भी उनकी भाषा की तरह ही आडंबर रहित है इसमें इन्होंने आवश्यकतानुसार ही छोटे बड़े वाक्यों का प्रयोग किया है इनकी शैली के मुख्य रूप से दो रूप प्राप्त होते हैं -साहित्यिक सैनिक और भाषा शैली|


हिंदी साहित्य में स्थान -डॉ राजेंद्र प्रसाद सरल सहज भाषा और गहन विचारक के रूप में सदैव स्मरण किए जाएंगे यही सादगी इनके साहित्य में भी दृष्टिगोचर होती है हिंदी की आत्म कथा साहित्य में संबंधित सुप्रसिद्ध पुस्तक मेरी आत्मकथा का विशेष स्थान है यह हिंदी के अन्यय सेवक और उत्साही प्रचारक थे जिन्होंने हिंदी की जीवन पर्यंत सेवा की इनकी सेवाओं का हिंदी जगत सदैव रेडी रहेगा|


डॉ राजेंद्र प्रसाद कौन थे?

राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति थे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर  1884 जीरादेई में हुआ जो सारण का एक गांव है राजेंद्र प्रसाद के पूर्वज मूल रूप से कुआं गांव अमोरा उत्तर प्रदेश के निवासी थे राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई उन्होंने भारत के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था राजेंद्र प्रसाद के पिता महादेव संस्कृत के विद्वान थे और उनकी माता कमलेश्वरी देवी धर्म परायण महिला थी


डॉ राजेंद्र प्रसाद के पिता का क्या नाम था 

डॉ राजेंद्र प्रसाद के पिता का नाम महादेव सहाय था


डॉ राजेंद्र प्रसाद की माता का क्या नाम था 

डॉ राजेंद्र प्रसाद की माता का नाम कमलेश्वरी देवी था


राजेंद्र प्रसाद की शिक्षा कब और कहां से हुई 


डॉ राजेंद्र प्रसाद की पढ़ाई फारसी और उर्दू से शुरू हुई थी और यही अंग्रेजी हिंदी उर्दू फारसी और बंगाली भाषा और साहित्य पूरी तरह जानते थे इन्होंने 5 वर्ष की उम्र में फारसी और उर्दू की शिक्षा मौलवी साहब से ली इसके बाद वे प्रारंभिक शिक्षा के लिए छपरा जिले के एक स्कूल में गए राजेंद्र प्रसाद का विवाह और समय के अनुसार बाल्यावस्था में ही 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से हो गया विवाह के बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी राजेंद्र बाबू का वैवाहिक जीवन बहुत ही सुख मे था इसके बाद जिला स्कूल छपरा से 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी और प्रवेश परीक्षा में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज 1902 में दाखिला लिया 1915 में उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ विधि पर स्नातक की परीक्षा पास के बाद मे लाँ के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्टर की उपाधि हासिल की भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में उनका पदार्पण वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते ही हो गया था| राजेंद्र बाबू महात्मा गांधी की निष्ठा संपर्क एवं सात से बहुत प्रभावित हुए|


डॉ राजेंद्र प्रसाद कब से कब तक राष्ट्रपति बने


भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू होने पर उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पद संभाला राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखल अंदाजी का मौका नहीं दिया और हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहें भारतीय संविधान के लागू होने से 1 दिन पहले 25 जनवरी को इनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया लेकिन वह भारतीय गणराज्य की स्थापना के बाद ही वे दाह संस्कार लेने गए उन्होंने 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के बाद 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की अवकाश लेने के बाद ही उन्होंने भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया सन् 1962 में अवकाश प्राप्त करने पर राष्ट्र ने उन्हें भारत रत्न सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित किया यह उस पुत्र के लिए कृतज्ञता जिसने अपनी आत्मा की आवाज सुनकर आधी शताब्दी तक अपनी मातृभूमि की सेवा की थी राजेंद्र बाबू की वेशभूषा बड़ा ही साधारण थी उनके चेहरे की लकीरें देख कर पता नहीं लगता था कि वह इतने प्रतिभा संपन्न और उच्च व्यक्तित्व वाले सज्जन है देखने में भी सामान्य किसान से लगते थे|


डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने जीवन का आखिरी समय कहां बिताया मृत्यु कब हुई? डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने जीवन के आखिरी महीने बिताने के लिए उन्होंने पटना के निकट सदाकत आश्रम चुनार यहां पर 28 फरवरी 1963 में उनके जीवन की कहानी समाप्त हुई हमको इन पर गर्व है और यह सदा राष्ट्र को प्रेरणा देते रहेंगे  


अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो आप लोग अपने दोस्तों में भी शेयर करें और साथ ही आप लोग कमेंट करें अन्य जीवन परिचय आप लोगों को कवि या लेखकों को चाहिए तो आप लोग वेब पोर्टल पर सर्च कर सकते हैं और आप लोगों को मिल जाएंगे पोस्ट पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद


 Dr. Rajendra Prasad ka Jivan Prichay| डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय


इसे भी पढ़ें

डीएम कैसे बने पूरी जानकारी हिंदी में


B.Ed करने के फायदे फुल जानकारी हिंदी में


आचार्य रामचंद्र शुक्ल का संक्षिप्त जीवन परिचय
अलंकार अलंकार के प्रकार


गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी में

एमपी बोर्ड वार्षिक एग्जाम 2022 कक्षा 12 भौतिक विज्ञान पेपर सलूशन

यूपीटेट और सीटेट क्या है पूरी जानकारी हिंदी में

एमपी बोर्ड वार्षिक एग्जाम 2022 कक्षा 12 अर्थशास्त्र पेपर फुल सलूशन

        यह भी पढ़ें











Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2