सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose par Nibandh

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सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose par Nibandh

 सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose par Nibandh in Hindi

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose par Nibandh

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध


बॉस को महान नेता के रूप में माना जाता है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था और इनका निधन 18 अगस्त 1945 को हो गया था उन्होंने अपनी 48 वर्ष की उम्र देश के लिए कुर्बान कर दी थी भारत के एक महान और राष्ट्रीय वादी नेता के रूप में सुभाष चंद्र बोस को पहचाना जाता है सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई में अपना मुख योगदान दिया था।


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने हिम्मत के साथ विश्व युद्ध की लड़ाई में अपना योगदान दिया था सुभाष चंद्र बोस ने सन् 1920 से 1930 की अवधि के दौरान राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वच्छ भाव और ईमानदार नेता के रूप में भी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। सुभाष चंद्र बोस को भारत का क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी में भी माना जाता है। क्योंकि उन्होंने बहुत संघर्ष करके देश की आबादी को स्वतंत्रता के खिलाफ जागरूक किया था।


स्वतंत्रता सेनानी के रूप में माने जाने वाले सुभाष चंद्र बोस जिनको इतिहास का बहादुर नेता के रूप और स्वतंत्रता में आज भी याद किया जाता है। भारत के इतिहास में स्वतंत्रता की संगत में सबसे महत्वपूर्ण योगदान सुभाष चंद्र बोस का रहा जिसको भूलना असंभव है।


सुभाष चंद्र बोस की जन्म की बात करें तो इनका जन्म उड़ीसा के कटक जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम नाथ बोस था, जो एक सफल वेस्टर्न थे इनकी माता का नाम प्रभावती देवी था जो ग्रहणी का काम करती थी


सुभाष चंद्र बोस पर निबंध


प्रस्तावना


सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 हुआ। उनका निधन 18 अगस्त 1945 को हुआ था। जब इनकी मृत्यु हुई   तब यह केवल 48 वर्ष के थे। वह एक राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए द्वितीय विश्व युद्ध अंग्रेजो के खिलाफ बहादुरी से लड़ा। नेताजी 1920 और 1930 में कांग्रेस के युवा नेता थे। 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने 1939 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया।


स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सुभाष चंद्र बोस


नेताजी भारत के क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत के आधे से ज्यादा आबादी को स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए प्रेरित किया उनका जन्म एक समृद्धि हिंदू परिवार में हुआ था उनका जन्म 23 जनवरी 1897 उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस एक सफल बैरिस्टर थे। माता प्रभावती देवी एक ग्रहणी थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गृह नगर में ही हुई।

कोलकाता प्रेसिडेंट मैट्रिक की। प्रिंसिपल पर हमला करने के कारण कोलकाता प्रेसिडेंट कॉलेज से निकाल दिया गया था। कोलकाता के विश्वविद्यालय स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरा किया बाद में वह इंग्लैंड के और चौथे स्थान के साथ भारतीय सिविल सेवा ऐसी एस की परीक्षा साली ढंग से उत्तीर्ण की थी। अंग्रेजों के क्रर व बुरे व्यवहार कारण अपने देशवासियों की बुरी हालत से भी बहुत दुखी थे।


अंग्रेजो के खिलाफ सुभाष चंद्र बोस के आंदोलन


भारत की आजादी के लिए वह सिविल सेवा से जोड़ने के बजाए वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ना चाहते थे इसलिए वह असहयोग आंदोलन से जुड़ गए नेताजी ने चितरंजन दास के साथ मिलकर काम किया चितरंजन दास बंगाल के राजनीतिक नेता तथा शिक्षक पत्रकार थे बाद में वह बंगाल कांग्रेस ग्वालियर नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल कोलकाता के मैयर बने।

 वह बहुत ही ज्यादा महत्वकांक्षी व्यक्ति थे उन्हें अपने राष्ट्रवादी क्रियाकलापों के लिए कई बार जेल जाना पड़ा परंतु अभी इससे निराश नहीं हुए उन्होंने हार नहीं मानी उन्हें कांग्रेसमें अध्यक्ष बनाया गया परंतु गांधी जी के साथ हुए कुछ मतभेदों की वजह से उन्हें ऐसे पद से हटा दिया गया भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए उन्होंने अपनी एक आजाद हिंद फौज बनाई।


भारत की स्वतंत्रता में सुभाष चंद्र बोस का योगदान


सुभाष चंद्र बोस पूरे भारत में नेताजी के नाम से प्रसिद्ध थे उनका भारत की स्वतंत्रता में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह भारत की आजादी के लिए लगातार हिंसात्मक आंदोलन लड़ते रहे गांधी के साथ कुछ मतभेद होने की वजह से कांग्रेस में अध्यक्ष होने के बावजूद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए और ब्रिटिश शासन का सफाया करने के लिए आजाद हिंद फौज तैयार की।

 उनका मानना था। भारत को आजादी गांधी जी के अहिसात्मक आंदोलन से नहीं प्राप्त होने वाली वह जर्मनी गए वहां उन्होंने भारत के युद्ध बंधुओं अन्य नागरिकों साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय सेना का निर्माण किया।


सुभाष चंद्र बोस की जीवन की घटनाए


सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने हर समय अपने खुद पर विश्वास रखा लोगों की बातों में ना आकर देश को आजादी दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई दुर्भाग्यवश नेताजी और अन्य लोगों को आत्मसमर्पण करना पड़ा बाद में वह तथ्यों के लिए रवाना होने वाले हवाई जहाज में छोड़े गए और हवाई जहाज फारमोसा के आंतरिक क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ऐसे रिपोर्ट किया गया कि नेताजी की इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई नेताजी के साहसिक कार्य आज भी युवाओं को देश के लिए कुछ कर गुजरने की सीख देते हैं।


 नेता जी बहुत ही साहसी व्यक्ति थे। वह अहिंसक साधनों व आंदोलनों द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति में विश्वास नहीं करते थे। वह गरम दल के नेता थे वह इन संसाधनों व आंदोलनों के द्वारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाने में विश्वास रखते थे उन्होंने अपने 48 वर्ष की आयु में बहुत सारे कार्य किए बहुत सारे युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया सुभाष चंद्र बोस भारत के महान देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे।


 सुभाष चंद्र बोस ने अपने छोटे से जीवन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़ी बड़ी लड़ाइयां लड़ कर अपने आप को महान नेताओं की सूची में ला दिया क्योंकि सुभाष चंद्र बोस द्वारा इतनी कम उम्र में जो आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ किए गए थे सुभाष चंद्र बोस का देश के स्वतंत्रता में योगदान रहा सुभाष चंद्र बोस ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया और अपना पूरा जीवन स्वतंत्रता के पीछे बलिदान कर दिया मात्र 48 वर्ष की उम्र में सुभाष चंद्र बोस जिनकी एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई लेकिन इस 48 वर्ष की उम्र में भी इनका योगदान देश के लिए खूब रहा था।


निष्कर्ष


सुभाष चंद्र बोस को महान नेता माना जाता है। क्योंकि इन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना मुख्य योगदान दिया स्वतंत्रता की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस का योगदान प्रशंसनीय रहा। सुभाष चंद्र बोस ने 48 साल की उम्र में बैठे शासन के खिलाफ कई प्रकार के आंदोलन और लड़ाइयां लड़ी सुभाष चंद्र बोस को आज भी लोग स्वतंत्रता सेनानी और महान देशभक्त के रूप में मानते हैं स्वतंत्रता के लिए सुभाष चंद्र बोस ने अन्य लोगों को भी प्रेरित किया था।


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