यूपी बोर्ड मॉडल पेपर कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 5 सांस्कृतिक विविधताओं की चुनौतियां//Up board class 12th Sociology

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यूपी बोर्ड मॉडल पेपर कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 5 सांस्कृतिक विविधताओं की चुनौतियां//Up board class 12th Sociology

 यूपी बोर्ड मॉडल पेपर कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 5 सांस्कृतिक विविधताओं की चुनौतियां//Up board class 12th Sociology

कक्षा 12 समाजशास्त्र यूपी बोर्ड

अध्याय 5 सांस्कृतिक विविधताओं की चुनौतियां


यूपी बोर्ड मॉडल पेपर कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 5 सांस्कृतिक विविधताओं की चुनौतियां//Up board class 12th Sociology


बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1 जातिवाद को बढ़ावा देने वाले कारक है-

(अ)नगरीकरण

(ब) विवाह संबंधी प्रतिबंध

(स)अपनी जाति को प्रतिष्ठित करने का विचार

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (ब)  विवाह संबंधी प्रतिबंध


प्रश्न 2 क्षेत्रवाद के प्रबल होने का कारण है- 

(अ) भाषाई प्रेम

(ब) असंतुलित आर्थिक विकास

(स) सामाजिक अन्याय और पिछड़ापन

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर-(द) उपर्युक्त सभी


प्रश्न 3  भारत में सांप्रदायिकता का कारण है-

(अ) राजनीति स्वार्थ

(ब) धार्मिक कट्टरता

(स) अपने धर्म के प्रति श्रेष्टा की भावना

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर- उपर्युक्त सभी


प्रश्न 4 भारतीय समाज एवं संस्कृति में विविधता देखी जा सकती है-

(अ) धार्मिक विविधता

(ब) भाषागत विविधता

(स) प्रजातीय विविधता

(द)उपर्युक्त सभी

उत्तर - उपर्युक्त सभी


प्रश्न 5 भारत में सांस्कृतिक विविधता का आधार क्या है?

(अ) भाषाएं

(ब) धर्म

(स) जातियां

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर-  (द) उपर्युक्त सभी


प्रश्न 6 निम्न में से भारत में धर्मनिरपेक्षता में सहायक कारक है- 

(अ) नगरीकरण एवं औद्योगिकरण

(ब) पाश्चात्य संस्कृति का भाव

(स) आधुनिक शिक्षा प्रणाली

(द) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (द) उपर्युक्त सभी


प्रश्न 7 निम्न में से एक समुदाय की विशेषता नहीं है?

(अ) निश्चित क्षेत्र

(ब) सामुदायिक भावना

(स) ऐच्छिक सदस्यता

(द) सामान्य जीवन

उत्तर- (स) ऐच्छिक सदस्यता


प्रश्न 8 ग्रामीण समुदाय की प्रमुख विशेषता है- 

(अ) उद्योग आधारित समाज

(ब) व्यापार आधारित समाज

(स) कृषि आधारित समाज

(द) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(स) कृषि आधारित समाज


प्रश्न 9 कौन-सी नगरीय समुदाय की प्रमुख विशेषताएं?

(अ) उद्योग एवं व्यापार

(ब) कृषि

(स) अशिक्षा

(द) कम जनसंख्या

उत्तर-(अ)  उद्योग एवं व्यापार


प्रश्न 10 राष्ट्रीय एकीकरण में बाधक तत्व है-

(अ) संप्रदायवाद

(ब) विकसित संचार व्यवस्था

(स) महिलाओं में जागरूकता

(द) सामाजिक सद्भाव

उत्तर- (अ) संप्रदायवाद



अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 राज्य क्या है?


उत्तर- राज्य एक ऐसा अमूर्त तत्व होता है,  जिसमें राजनीतिक विधिक संस्थाओं के समुच्चय निहित होते हैं और वह एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र तथा वहां निवास करने वाले लोगों पर शासन करता है। मैक्स वेबर के अनुसार राज्य एक ऐसा निकाय होता है जो एक विशेष क्षेत्र में विधि-सम्मत एकाधिकार का सफलतापूर्वक दावा करता है।


प्रश्न 2 लोगों के समूह के अधिकारों को मान्यता नहीं दिए जाने के कारण उत्पन्न कुछ परिणामों का उल्लेख कीजिए।


उत्तर- एक प्रमुख मुद्रा जो बांग्लादेश के निर्माण की वजह बना वह यह था कि पाकिस्तान राज्य द्वारा बांग्लादेश के लोगों के सांस्कृतिक तथा भाषाई अधिकारों को मान्यता देने की इच्छा नहीं थी। श्रीलंका के नृजातीय संघर्ष का मुद्दा सिंहली को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना था। इस बात को समझना आवश्यक है कि अल्पसंख्यकों का अस्तित्व हर जगह है। पूंजीवाद, उपनिवेशवाद तथा प्रबंधन के कारण समूहों में वीरता उत्पन्न हुई है।



प्रश्न 3 सत्तावादी राज्य क्या है?


उत्तर- यह एक ऐसा राज्य है जहां कि लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती ।  किसी के भी प्रति उत्तरदाई नहीं होते। सत्तावादी राज अक्सर भाषण की स्वतंत्रता, प्रेम की स्वतंत्रता, राजनीतिक क्रियाकलाप की स्वतंत्रता, सत्ता के दुरुपयोग से सरंक्षण का अधिकार, विधि की अपेक्षित प्रक्रियाओं के अधिकार को सीमित या खत्म कर देते हैं। राज्य की संख्याएं भ्रष्टाचार,  अकुशलता अथवा संसाधनों की कमी के कारण लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम अथवा अनिच्छुक हो जाती है।  इस स्थिति में राजनीति संस्थाएं पूर्ण हो जाती है क्योंकि वे राज्यों पर नजर रखती है उनके अन्याय पूर्ण कार्यों का विरोध करती है तथा उनके कार्यों में सहयोग करती है।


प्रश्न 4 राष्ट्रवाद के सिद्धांत में क्या सन्निहित है? 

उत्तर - राष्ट्र-राज्य का संबंध आधुनिक विश्व में एक विशेष प्रकार के लक्षण वाले राज्य से है । एक सरकार को एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से वहाँ के निवासियों पर शासन करने की सार्वभौम शक्ति प्राप्त होती है। राष्ट्र-राज्य राष्ट्रवाद के उदय के साथ ही बड़ी घनिष्ठा पूर्वक संबंध होते हैं। राष्ट्रवाद का सिद्धांत यह मानता है कि सभी लोगों को स्वतंत्रता तथा सार्वभौमिकता का अधिकार है। लोकतांत्रिक विचारों के उदय का यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।



प्रश्न 5 भारत सरकार द्वारा जातिगत भेदभाव को खत्म करने की दिशा में पारित किन्ही चार कारणों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए

उत्तर- 

  1.  जाति निर्योग्यता निवारण अधिनियम, 1850 जो की जाति अथवा धर्म के परिवर्तन पर नागरिक अधिकारों के हनन पर रोक लगाता है। या अधिनियम दलितों की सरकारी विद्यालयों में प्रवेश की अनुमति भी प्रदान करता है।

  2. अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 इस कानून में दलितों तथा आदिवासियों के ऊपर अत्याचार करने वालों को दंड देने के समस्त प्रावधान रखे गए हैं।

  3. संविधान ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है।

  4. संविधान के 93 वें संशोधन के द्वारा अन्य पिछड़ी जातियों को उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई गई।


प्रश्न 6 उस जनजातीय आंदोलन का उल्लेख कीजिए जिनके कारण पृथक राज्य की स्थापना करनी पड़ी।


उत्तर- झारखंड के सामाजिक आंदोलन का नेतृत्व लोकप्रिय नेता बिरसा मुंडा के द्वारा किया गया पुलिस टॉप उसके नेतृत्व में आदिवासियों ने अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन चलाया। मृत्यु के बाद बिरसा मुंडा झारखंड आंदोलन के प्रेरणा स्त्रोत बन गए पुलिस स्टाफ उस की कहानियां तथा गीतों को पूरे झारखंड में सुना जा सकता है। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन संबंधी लेखन में भी वे जीवन रूप से मौजूद है।

  • दक्षिण बिहार में आदिवासियों के मन में `हिंदुओंʼ जो कि बाहरी तथा साहूकार थे;  घृणा के भाव थे। इन लोगों ने आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा जमा लिया तथा उनकी संपत्ति हथिया ली। इससे वहां के मूल निवासी गरीब हो गए। खनन तथा उद्योगों के अधिकार पर लाभ हिंदुओं( बाहरी लोगों) को प्राप्त हुए तथा आदिवासियों की जमीनों को भी हथिया लिया गया।

  • आदिवासी स्वयं को ठगा हुआ महसूस करने लगे तथा उनके साथ हो रहे अन्याय ने तथा उनकी पृथक पहचान के ऊपर उभरते संकट ने उन्हें सामूहिक रूप से जागृत होकर नए राज्य के गठन के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी।


प्रश्न 7 सामुदायिक पहचान क्या है? के किन्ही दो लक्षणों को लिखिए ।


उत्तर- सामुदायिक पहचान का संबंध प्रदत्त से है। उदाहरणार्थ जन्म के आधार पर पहचान। प्रत्येक व्यक्ति एक विशेष परिवार तथा संप्रदाय में जन्म लेता है। यह एक विशेष पहचान होती है। जिसे सामुदायिक पहचान कहा जाता है। यह भाषा धर्म क्षेत्र इत्यादि पर आधारित हो सकती है। 

लक्षण

  1. यह व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान बन जाती है।

  2. इसके सदस्य सामुदायिक पहचान के प्रति प्रति बंद होते।


प्रश्न 8 एकीकरण क्या है?


उत्तर- एकीकरण सांस्कृतिक एकात्माता की एक प्रक्रिया है। सांस्कृतिक महत्ता को निजी जीवन से हटा दिया जाता है तथा एक सामान सार्वजनिक संस्कृति सभी समूह के लिए स्वीकार कर ली जाती है ।


प्रश्न 9 समावेशीकरण क्या है?


उत्तर- समावेशीकरण यह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक संस्कृति दूसरी संस्कृति के साथ मिल जाती है। यह संस्कृति एकीकरण की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समाज के निम्न वर्ग के लोग अपनी संस्कृति को छोड़कर बहुसंख्यक वर्ग की संस्कृति को अपना लेते हैं। यह अथवा बलात् भी हो सकता है। 


प्रश्न 10 भारत की संस्कृति विविधता से संबंधित प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- भारत की सांस्कृतिक विविधता की प्रमुख चुनौतियां हैं क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद, जातिवाद, भाषावाद तथा नक्सलवाद।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न-1 अल्पसंख्यक वर्ग क्या है अल्पसंख्यक वर्गों को राज्य के संरक्षण की जरूरत क्यों होती है?

उत्तर- अल्पसंख्यक शब्द से प्राप्त पर आमतौर पर सुविधा वंचित समूह होता है सुविधा संपन्न अल्पसंख्यक वर्ग जैसे की धनी अल्पसंख्यक वर्ग को सामान्यता अल्पसंख्यक नहीं माना जाता है। यदि उन्हें इस श्रेणी में रखा भी जाता है तो उन्हें सुविधा संपन्न अल्पसंख्यक कहा जाता है। जब अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग बगैर किसी योग्यता के किया जाता है तो यह तुलनात्मक रूप से बड़ा तथा सुविधा वंचित समूह को प्रतिबिंबित करता है। समाजशास्त्री अवधारणा के अनुसार अल्पसंख्यक समूह के सदस्यों में सामूहिक ताकि भावना होती है। उनमें सामूहिक एकता तथा एक दूसरे के जान-माल के साथ घनिष्ठता पूर्वक जुड़े रहने की भावना होती है। यह सुविधा हीनता से जुड़ा हुआ है ताकि पूर्वाग्रह तथा भेदभाव के शिकार होने के कारण इन समूह में अंतर सामूहिक निष्ठा तथा आत्मीयता बढ़ जाती है। जो समूह सांख्यिकी दृष्टि से अल्पसंख्यक होते हैं जैसे बाएं हाथ से काम करने वाले अथवा 29 फरवरी को पैदा होने वाले समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अल्पसंख्यक नहीं होते क्योंकि वह किसी संहिता का निर्माण नहीं करते। धार्मिक तथा सांस्कृतिक रूप से अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यको के प्रभुत्व के कारण संरक्षण की आवश्यकता होती है। इस तरह के समूह राजनीतिक रूप से भी असुरक्षित होते हैं उन्हें इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि बहुसंख्यक समुदाय सत्ता पर कब्जा करके उनकी संस्कृत तथा धार्मिक संस्थाओं पर दमन करना प्रारंभ कर देगा तथा अंततोगत्वा उन्हें अपनी पहचान से हाथ धोना पड़ेगा।


प्रश्न-2 भारतीय समाज में धर्म के महत्व की विवेचना कीजिए

 उत्तर-1- धर्म सामाजिक संगठन को आधार प्रदान करता है। 


2-धर्म सामाजिक नियंत्रण का प्रभावपूर्ण साधन है।


3- धर्म अस्तित्व के विकास में सहायक है। 


4-धर्म व्यक्ति को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करता है।


5-धर्म सामाजिक एकता में सहायक होता है। 


6-धर्म सामाजिक नियमों एवं नैतिकता को पुष्ट करता है।


7- धर्म सामाजिक परिवर्तन का नियंत्रण करता है।


8-धर्म आर्थिक विकास में सहायक है ।


9-धर्म से सद्गुणों का विकास होता है।


 10-धर्म की पवित्रता की भावना को जन्म देता है।


प्रश्न 3 सामाजिक बहिष्कार सामाजिक संरचना की विशेषताओं का परिणाम है टिप्पणी करें


उत्तर सामाजिक बहिष्कार का अर्थ है व्यक्ति को समाज के वृहद क्षेत्र को बिल्कुल  अलग थलग करना। इसमें किसी व्यक्ति अथवा समूह को उन अवसरों का लाभ उठाने से वंचित कर दिया जाता है जिनका लाभ बहुसंख्यक वर्ग उठाता है अपने सामान जीवन के क्रम में बहिष्कृत व्यक्ति अथवा समूह ना तो ढंग के कपड़े पहन सकता है ना खाना खा सकता है ना ही घरों में रह सकता है वह आवश्यक वस्तुओं तथा सुविधाओं को भी प्राप्त करने में असमर्थ हो जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, बीमा, सामाजिक, सुरक्षा, बैंकिंग तथा व्यवसायिक और पुलिस तक भी उसकी पहुंच नहीं हो पाती। सामाजिक बहिष्कार कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं है। यह समाज की संरचनात्मक विशेषता का परिणाम है। सामाजिक बहिष्कार अनैच्छिक होता है। तथा व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध किया जाता है।

प्रश्न-4 राज्य अक्सर सांस्कृतिक विविधता के बारे में संकालु क्यों होते हैं?

उत्तर

1- राज्यों ने अपने राष्ट्र निर्माण की रणनीतियों के माध्यम से अपनी राजनीतिक वैधता को स्थापित करने के प्रयास किए हैं।



2- उन्होंने आत्मसात करण और एकीकरण की नीतियों के जरिए अपने नागरिकों की निष्ठा तथा आज्ञाकार्यता प्राप्त करने के प्रयास किए हैं।


3- ऐसा इसलिए था क्योंकि अधिकांश राज ऐसा मानते थे कि सांस्कृतिक विविधता खतरनाक है तथा उन्होंने इसे खत्म करने अथवा कम करने को पूरा प्रयास किया अधिकांश राज्यों को यह डर था कि सांस्कृतिक विविधता जैसे भाषा ,धार्मिकता इत्यादि की मान्यता प्रदान किए जाने से सामाजिक विघटन की स्थिति उत्पन्न की जाएगी और समरसता पूर्ण समाज के निर्माण में बाधा आएगी।


4- इसके अतिरिक्त इस प्रकार के अंतर को समायोजित करना राजनीतिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होता है।


5- इस प्रकार से अनेक राज्यों ने इन विविध पहचानो को राजनीतिक स्तर पर दबाया या नजरअंदाज किया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 हिंदू समाज की 4 सर्वाधिक प्राचीन संस्थाओं का वर्णन कीजिए।


उत्तर-  (i) जाति का निर्धारण जन्म से होता है। एक बच्चा अपने माता-पिता की जाति में पैदा होता है। जाती कभी अपनी पसंद का विषय नहीं रही। कोई अपनी जाति को बदल नहीं सकता ना छोड़ सकता है और ना ही किसी दूसरी जाति को अपना सकता है। हालांकि इस तरह के उदाहरण भी है कि व्यक्तियों को जाति से निकाल भी दिया जाता है।

(ii) जाति के सदस्यों के बीच विवाह संबंधी बड़े ही सख्त कानून होते हैं। जातिगत समूह सजातीय होते हैं। विवाह जाति के सदस्यों के बीच किए गए जाने का सख्त नियम होता है।

(iii) जाति के सदस्यों के बीच खान-पान तथा कपड़े इत्यादि के पहनावे को लेकर भी नियम होते हैं। किस तरह से खाना खाया जाए अथवा ना खाया जाए या फिर किसके साथ खाया जाए, इसका निर्धारण भी जाति के द्वारा ही किया जाता है।

(iv) स्तर तथा अवस्था के अनुरूप जातियां अधिक्रम से व्यवस्थित होती है। सिद्धांतत: हर व्यक्ति को जाति के अधिक्रम होती है तथा जातियों के अधिक्रम में प्रत्येक जाति का एक निश्चित स्थान होता है। यदि अधिक्रम की व्यवस्था बहुत सी जातियों के मामले में क्षेत्र के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकती है किंतु अधिक्रम विद्यमान हर जगह होती है।

(v) जाति का संबंध परंपरागत रूप से व्यवसाय से होता है। जो व्यक्ति जिस जाति में पैदा हुआ है वह उसी व्यवसाय को अपना सकता है। तथा उसके व्यवसाय वंशानुगत थे।यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता है। दूसरी तरफ किसी जाति विशेष के व्यवसाय में दूसरी जाति के लोगों का प्रवेश वर्जित था।

(vi) जातियों के अपनी जाति में भी उप विभाजन होते हैं। कभी-कभी तो इस विभाजन में भी कई विभाजन होते हैं। इसे एक डंडी है संगठन के तौर पर देखा जा सकता है।


प्रश्न 2 " जनजाति की कीमत पर मुख्य धारा के लोगों ने राष्ट्रीय विकास किया है।" टिप्पणी कीजिए।


उत्तर- नेहरू युगीन भारत में राष्ट्रीय विकास का जो स्वरूप देखा गया उसमें बड़े-बड़े बांधों का निर्माण जल विद्युत शक्ति अस्तित्व स्थान कारखाने तथा खनन का विस्तार था।

क्योंकि जनजातीय क्षेत्र वनों तथा खनन क्षेत्रों में मंत्री अवस्थित ही थे जनजातियों को शेष भारत के विकास के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी पुलिस टॉप जनजातियों के हकों को छीन कर मुख्यधारा के लोगों को विकास का लाभ प्रदान किया गया। उनके दो उदाहरण है नर्मदा नदी में बना सरदार सरोवर बांध पश्चिमी भारत तथा गोदावरी नदी पर बना पुल वरम बांध जो कि आंध्र प्रदेश में अवस्थित है।

आदिवासियों को विस्थापित कर उनकी जमीन को अधिग्रहीत करना अब कारपोरेट फार्मो के लिए आसान हो गया। जनजातियों की भूमि पर निजी संपत्ति में होने वाली उत्तर उत्तर वृद्धि ने भी उन्हें बुरी तरह से प्रभावित किया। उनका समुदाय आधारित भूमि पर स्वामित्व नई पद्धति के कारण खतरे में पड़ गया। जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में गैर जनजातियों के प्रवेश के कारण भी जनजातियां की समस्या का सामना करना पड़ा।


प्रश्न 3 धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालिए 

अथवा 


धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीयता के निर्माण में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।


उत्तर- धर्मनिरपेक्षता सामाजिक परिवर्तन का माध्य में इसमें सार्वजनिक मामलों में धर्म के प्रभाव में कमी आती है सामाजिक जीवन में धर्म का महत्व घटता है तथा सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी जाती है।

1- अज्ञानता के स्थान पर ज्ञान तथा तार्किकता को महत्व मिलता है। 


2-विज्ञान धर्म को विस्थापित करता है।


3- यह सदियों की पाश्चात्य विचारधारा का परिणाम है अब यह सामाजिक तथा सांस्कृतिक वन में विकास की नई लहर के साथ रच बस गई है।


4- पर्यावरण तथा शुद्धता के विचारों पर इसका गहरा असर पड़ता है।


5- इसका असर पारिवारिक व्यवस्था तथा ग्रामीण समुदाय पर भी पड़ा है।


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