वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध || Essay on importance of tree plantation

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वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध || Essay on importance of tree plantation

वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध  || Essay on importance of tree plantation

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वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध  || Essay on importance of tree plantation

प्रस्तावना – वृक्षारोपण मूल रूप से पौधों को पेड़ का रूप देने की प्रक्रिया है और इसीलिए उनका अलग-अलग स्थानों पर रोपण किया जाता है। वृक्षारोपण के पीछे का कारण ज्यादातर वनों को बढ़ावा देना, भू निर्माण और भूमि सुधार है। वृक्षारोपण के इन उद्देश्यों में से प्रत्येक अपने स्वयं के अनूठे कारण के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, और जितने पेड़ों की कटाई की जा रही थी उसमें से आधे भी नहीं लगाए जा रहे थे। जिसके कारण वनों को बचाने के लिए सरकार द्वारा जुलाई माह में वन महोत्सव का आयोजन किया गया इसको वन महोत्सव नाम इसलिए दिया गया ताकि ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में लोग पेड़ लगाएं और एक दूसरे को पेड़ लगाने के लाभ बताएं।


वन महोत्सव का उद्देश्य – वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य ही यह है कि सभी जगह पेड़ पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए। वन महोत्सव सप्ताह में हमारे पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत ही पेड़ बच पाते हैं क्योंकि इनकी देखभाल नहीं की जाती है जिसके कारण यह या तो जीव जंतुओं द्वारा खाली जाते हैं या फिर जल नहीं मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं। हमारे देश में वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन और अप्पिकों आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन आंदोलनों के कारण ही वन क्षेत्रों की कटाई में थोड़ी कमी आई है।

वृक्षारोपण पुण्य का कार्य – पिछले कई वर्षों से लगातार पेड़ों की अधिक कटाई होती जा रही है। जितनी भी हरियाली है, सब दिन प्रतिदिन खत्म होती जा रही है। बिना कुछ सोचे समझे पेड़ों को काटा जा रहा है और पेड़ पौधे भी नहीं लगाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से बड़े से बड़े जंगल तक समाप्त हो गए हैं। वृक्ष की संख्या कम होती जा रही है। कुछ पेड़ों की प्रजातियां तो इस हद तक समाप्त हो गई हैं,  कि उनके नाम तक याद नहीं है कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं कई विलुप्त होने की कगार पर है।

वृक्षारोपण ना करने से सबसे ज्यादा असर समस्त भूमंडल और यहां पर रहने वाले सभी प्राणियों पर पड़ रहा है। आए दिन मौसम में इतना सारा परिवर्तन देखा जाता है कि जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है, इतना तापमान बढ़ जाता है कि कई जंगलों में आग  तक लग जाती है। इस समय देखा जाए तो धरती का अस्तित्व बहुत ही ज्यादा खतरे में पड़ चुका है।


वन महोत्सव की आवश्यकता – पेड़ों की कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण दूषित होने के साथ-साथ बदल रहा है जिसके फलस्वरूप आपने देखा होगा कि हिमालय तेजी से निकल रहा है पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ने लगा है असमय वर्षा होती है कहीं पर बाढ़ आ जाती है और कहीं पर आंधी तूफान आ रहे हैं जो कि प्रकृति की साफ चेतावनी है कि अगर हम अभी भी अचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा। वर्तमान में गर्मियों का समय बढ़ गया है और सर्दियों का समय बहुत कम नाममात्र का ही रह गया है। गर्मियों में तो राजस्थान में पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसका मतलब अगर इतनी तेज धूप में कोई व्यक्ति आधे घंटे भी खड़ा हो जाए तो उसको हैजा जैसी बीमारी हो सकती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

भारत में जितनी तेजी से औद्योगीकरण हुआ है उतनी ही तेजी से वनों की कटाई भी हुई है, लेकिन हम लोगों ने जितनी तेजी से वनों की कटाई की थी पुनः वृक्षारोपण नहीं किया। वन नीति 1988 के अनुसार धरती के कुल क्षेत्रफल के 33% हिस्से पर वन होने चाहिए तभी प्रकृति का संतुलन कायम रह सकेगा। लेकिन वर्ष 2001 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए जिसके अनुसार भारत में केवल 20% ही वन बचे रह गए हैं। 2017 की वन-विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में 2017 में वनों में 1% की वृद्धि हुई है। लेकिन यह वृद्धि दर काफी नहीं है क्योंकि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही प्रदूषण भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है इस प्रदूषण को अवशोषित करने के लिए हमारे वन अब भी काफी कम है। हमारे भारत देश में कुछ राज्यों में तो बहुत ज्यादा वन हैं। जैसे कि लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान निकोबार दीप समूह में लगभग 80% हिस्सा वनों से ढका हुआ है। लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जोकि धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य हैं। इन राज्यों में वन क्षेत्र को बढ़ाने की बहुत सख्त जरूरत है नहीं तो आने वाले दिनों में यहां पर भयंकर अकाल की स्थिति देखने को मिल सकती है।


वनों की कटाई के कारण – हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या वनों की कटाई का मुख्य कारण है क्योंकि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है उस जनसंख्या को निवास-स्थान और खाने-पीने की वस्तुओं की जरूरत भी बढ़ गई है इसलिए वनों की कटाई करके इस सबकी पूर्ति की जा रही है। आजकल आपने देखा होगा कि आपके घरों में ज्यादातर दरवाजे और खिड़कियां और अन्य घरेलू सामान लकड़ी से बनता है और जनसंख्या वृद्धि के साथ लकड़ी की मांग में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है। वनों से हमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं। इन जड़ी-बूटियों को हासिल करने के लिए मानव द्वारा वनों को नष्ट किया जा रहा है। भारत में आजकल कई ऐसे अवैध उद्योग धंधे जिनमें लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है, उसकी पूर्ति के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है। वनों की कटाई का एक अन्य कारण यह भी है कि आजकल लकड़ी के कई अवैध धंधे भी चल रहे हैं वे लोग बिना सरकार की मंजूरी के वनों से पेड़ों की कटाई करते हैं और अधिक मूल्य में लोगों को बेच देते हैं। मानव अपनी भोग विलास की वस्तु की इच्छा को पूरा करने के लिए बेवजह पेड़ों की कटाई करता है।


वनों के लाभ – वनों के कारण हमारी पृथ्वी के वातावरण में समानता बनी रहती है, मिट्टी का कटाव नहीं होता है, पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो कि प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए बहुत आवश्यक है। पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते हैं। वनों में हमें कीमती चंदन जैसी लकड़ियां प्राप्त होती हैं। बीमारियों को दूर भगाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियां मिलती हैं। पेड़-पौधों के कारण वर्षा अच्छी होती है जिससे हर तरफ हरियाली-ही-हरियाली रहती है। आपातकालीन आपदा, सूखे की स्थिति, आंधी, तूफान और बाढ़ कम आती है। वन अन्य जीव-जंतुओं के रहने का घर है।

वैसे तो देखा जाए वृक्षारोपण से इतने अधिक लाभ है, कि अगर हम गिनने बैठे तो वह कभी पूरे नहीं होंगे। परंतु फिर भी कुछ लाभ के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं–


1.जितने अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे वह बड़े होकर फलते फूलते हैं, उसके पश्चात यह सुंदर वनों में बदल जाते हैं, जिसकी वजह से चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है।


2. वृक्षों की हरियाली तो ऐसी होती है कि किसी का भी मन मोह लेती है और उनकी ठंडी छाया ऐसी प्रतीत होती है मानो किसी ने हमें बर्फ की चादर उड़ा दी हो। अगर तपती दोपहर में हम वृक्षों के नीचे खड़े हो जाएं, तो हमें धूप से राहत मिलती है। पेड़ पौधे हमें गर्मी से बचाते हैं और ठंडी शीतल हवा प्रदान करते हैं। साथ ही साथ सुख शांति भी देते हैं।


3. पेड़ों के जितने भी भाग होते हैं, वह सभी काम में आते हैं, चाहे वह पत्ते हो, फूल हों, फल हों सभी के कुछ ना कुछ हमें लाभ जरूर मिलते हैं।


4. पेड़ों से हमें कागज, गोंद, दियासलाई, लाख, तरह-तरह की दवाइयां, तेल ना जाने कितनी अनगिनत चीजें प्राप्त होती हैं।


5. कई पेड़ों से तो इतनी ज्यादा औषधियां बनाई जाती हैं कि उनसे हर प्रकार की बीमारी तक दूर हो जाती है।


6. जितनी जल्दी पेड़ कम होते जा रहे हैं, उतनी ही बारिश में कमी होती जा रही है।


7. पेड़ पौधों से हमें जानवरों के लिए चारा, जलाने के लिए लकड़ी, घर के खिड़की व दरवाजे और ना जाने कितनी ही चीजें प्राप्त होती हैं।


8. हमारे घर में कई प्रकार की वस्तुएं ऐसी होती हैं, जिनमें पेड़-पौधों का बहुत ही बड़ा योगदान होता है जैसे फर्नीचर, पलंग, बर्तन, औजारों के हत्थे और भी कई प्रकार की वस्तुएं प्राप्त होती हैं।


वृक्षारोपण का महत्व –


1. अगर वैज्ञानिकों की दृष्टि से देखा जाए तो पेड़ों से वायुमंडल शीतल एवं शुद्ध बनता है, वृक्षों की वजह से ही कई प्रकार के प्रदूषण समाप्त हो जाते हैं। वृक्षों के वातावरण से जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड सब समाप्त हो जाती हैं, क्योंकि वह कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेती है और हमें स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करती है।


2. जहां पर वृक्ष अधिक होते हैं, वहां पर बादल स्वयं ही खींचे चले आते हैं, क्योंकि वृक्ष बहुत ही आकर्षक होते हैं जिसकी वजह से वहां पर बारिश हो जाती है और जल की प्राप्ति होती है और वापस से हरियाली छा जाती है।


3. वृक्ष भूमि कटाव को भी रोकते हैं मिट्टी की उर्वरा शक्ति को क्षीण होने से बचाने में बहुत ही सहायक होते हैं।


4. अगर खेतों के चारों और पेड़ लगाए जाए तो इससे मिट्टी की गुणवत्ता की रक्षा भी होती है और भूमि में कटाव भी नहीं होता है।


5. नदी के किनारे पर वृक्ष लगाने से नदी के किनारे कटते नहीं है, और उससे सुंदरता भी बढ़ती है तथा शीतल छाया भी प्रदान होती है।

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वनों की कटाई के दुष्प्रभाव –
वनों की कटाई के कारण केवल मानव जाति पर ही प्रभाव नहीं पड़ा है इसका प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ा है, जिसके कारण आज ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति पैदा हो गई है। आइए जानते हैं कि वनों की कटाई के कारण क्या-क्या दुष्प्रभाव पड़ते हैं। वन क्षेत्र जैसे-जैसे सीमित होता जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। आपने देखा होगा कि सर्दियों की ऋतु का मौसम वर्ष में कुछ समय के लिए ही आता है और ज्यादातर समय गर्मियां ही रहती हैं। पिछले 10 सालों में पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी हुई है और हर साल इसमें बढ़ोतरी ही हो रही है।

प्रदूषण का बढ़ना – पेड़-पौधे उद्योग-धंधों एवं अन्य पदार्थों से निकलने वाली जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते हैं। अगर इनकी कटाई कर दी जाएगी तो यह जहरीली गैसें वातावरण में ज्यों-की-त्यों ही रहेंगी, जिनके कारण अनेक भयंकर बीमारियां जन्म लेंगी और अगर इसी प्रकार वनों की कटाई चलती रही तो मानव को सांस लेने में भी दिक्कत होगी क्योंकि  पेड़ों द्वारा ही अक्सीजन का निर्माण किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लिया जाता है।


अकाल – वनों की कटाई के कारण अकाल की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है, क्योंकि पेड़ों से ही अधिक वर्षा होती है। अगर पृथ्वी पर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी। जिसके कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। भारत के कई ऐसे राज्य हैं जिनमें वन क्षेत्र कम पाए जाते हैं जैसे कि गुजरात और राजस्थान तो यहां पर अक्सर अकाल की स्थिति बनी रहती है। इन राज्यों में वन क्षेत्र कम होने के कारण जल की कमी भी पाई जाती है।


बाढ़ – पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण कई जगह अधिक वर्षा भी हो जाती है और वन क्षेत्र कम होने के कारण पानी का बहाव कम नहीं हो पाता है और जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।


वन्य जीव जंतुओं का विलुप्त होना – बढ़ती हुई आबादी के कारण वन क्षेत्र सीमित हो गए हैं जिसके कारण वनों में रहने वाले वन्यजीवों को रहने के लिए बहुत कम जगह मिल रही है और साथ ही कई ऐसे पेड़ों की कटाई कर दी गई है जो कि कई वन्यजीवों के जीने के लिए बहुत जरूरी थे। वनों की कटाई के कारण कई जीव-जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और अगर ऐसे ही वनों की कटाई होती रही तो जल्द ही सभी वन्यजीवों की प्रजातियां लुप्त हो जायेंगी।


ग्लोबल वार्मिंग – पृथ्वी पर जलवायु में हो रहे परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के अंतर्गत ही आते हैं। वर्तमान में आपने समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में पढ़ा होगा कि गर्मियों के समय बर्फ गिर रही है, रेगिस्तान क्षेत्र में बाढ़ आ रही है, हिमालय पिघल रहा है और साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है यह सभी कारण ग्लोबल वार्मिंग के अंतर्गत आते हैं।


वन क्षेत्र बचाने के उपाय अथवा उपसंहार – वन क्षेत्र को बचाने के लिए हमें लोगों में अधिक-से-अधिक जागरूकता फैलानी होगी। जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना होगा। हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा जिससे कि अधिक-से-अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जा सकें। वनों को बचाने का काम सिर्फ सरकार का ही नहीं है यह काम हमारा भी है क्योंकि जब तक हम स्वयं पेड़ नहीं लगाएंगे तब तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सकते हैं। हमें अवैध वनों की कटाई करने वाले लोगों के लिए सख्त कानून का निर्माण करना होगा। सभी लोगों को पेड़ पौधों के लाभ बताने होंगे जिससे कि वह अधिक-से-अधिक पेड़ लगाएं। हमें लकड़ियों से बनी वस्तुओं का उपयोग कम करना होगा।


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