UP board class 11th sahityik Hindi half yearly paper solution PDF 2022-23//‌‌‌‌‌कक्षा11वीं साहित्यिक हिन्दी अर्ध्दवार्षिक पेपर यूपी बोर्ड

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UP board class 11th sahityik Hindi half yearly paper solution PDF 2022-23//‌‌‌‌‌कक्षा11वीं साहित्यिक हिन्दी अर्ध्दवार्षिक पेपर यूपी बोर्ड

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कक्षा 11वी साहित्यिक हिन्दी यूपी बोर्ड अर्द्ध वार्षिक परीक्षा पेपर का सम्पूर्ण हल 2022



                  अर्द्धवार्षिक परीक्षा


                     कक्षा-11 वी 


               विषय – साहित्यिक हिन्दी


समय: 3.00 घंटे                   MVP पूर्णाक: 100



नोट: सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।


1. (क) आवारा मसीहा के रचनाकार हैं


(ब) यशपाल


(स) विष्णु प्रभाकर


(द) मोहन राकेश


(अ) अज्ञेय


उत्तर –(स) विष्णु प्रभाकर

 

(ख) हिन्दी का प्रथम नाटक है


(अ) सती प्रताप


(ब) अजातशत्रु


(स) पद्मसिंह


(द) नहुष


उत्तर –(द) नहुष


(ग) 'फोर्ट विलियम' कॉलेज स्थित था


(अ) आगरा


(ब) मद्रास 


(स) कलकत्ता


(द) हैदराबाद


उत्तर –(स) कलकत्ता


(घ) आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किस पत्रिका का सम्पादन किया था


(अ) हंस


(ब) सरस्वती


(स) ब्राह्मण


(द) इन्दु


उत्तर –(ब) सरस्वती


(ड़) 'परदा' कहानी के रचनाकार है- 


(अ) जयशंकर प्रसाद 


(ब) जैनेन्द्र


(स) शिवानी


(द) यशपाल


उत्तर –(द) यशपाल


2. (क) आदिकाल की दो प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए। 


उत्तर –आदिकाल की प्रवृत्तियाँ


1.आदिकाल का समय 1050 से 1375 तक का माना जाता है।


2.आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने वीरगाथा काल कहा।


3.आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल से नामकरण किया।


4.इस काल में अधिकतर रासो ग्रंथ लिखे गए जैसे विजयपाल रासो हम्मीर रासो खुमान रासो बीसलदेव - , रासो, पृथ्वीराज रासो परमाल रासो आदि


(ख) भक्तिकाल को किन दो मुख्य काव्यधाराओं में विभाजित किया जाता है ?


उत्तर –भक्तिकाल की प्रमुख काव्य-धाराएं भक्तिकाल की प्रमुख दो काव्य-धाराएं हैं-निर्गुण भक्ति काव्य-यारा

एवं सगुण भक्ति काव्य-धारा ।


(ग) अष्टयाम' के रचनाकार कौन हैं?


उत्तर – देव


3. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


 इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत है। हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं। यद्यपि फर्स्ट क्लास, सेकण्ड क्लास आदि गाड़ी बहुत अच्छी-अच्छी और अधिक महसूल की इस ट्रेन में लगी हैं पर बिना इंजन सब नहीं चल सकती, वैसे ही हिन्दुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो तो ये क्या नहीं कर सकते। इनसे इतना कह दीजिए 'का चुप साधि रहा बलवाना' फिर देखिए हनुमान जी को अपना बल कैसे याद आता है। सो बल कौन याद दिलावे।


(क) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।


उत्तर –(i) प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'गद्य

गरिमा' के 'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?'

शीर्षक निबन्ध से अवतरित है। इसके लेखक हिन्दी साहित्य के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं।


अथवा 


पाठ का नाम - भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?

लेखक का नाम - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ।


(ख) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किसकी चर्चा की है ? स्पष्ट कीजिए


उत्तर – भारतीय लोगो की बात की गई है


(ग) भारतीयों को किसकी संज्ञा दी गई है तथा क्यों ?

उत्तर –लेखक ने देश के लोगों को रेलगाड़ी की संज्ञा दी है क्योंकि जिस प्रकार से रेलगाड़ी में ऊँचे किराए तथा सामान्य किराए के डिब्बे लगे रहते हैं किन्तु सभी इंजन के अभाव में अपनी जगह स्थिर रहते हैं उसी प्रकार देश के लोगों की स्थिति है। वे भी नेतृत्वहीनता के कारण उन्नति नहीं कर सकते।


(घ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।


रेखांकित अंश की व्याख्या: भारतेन्दु जी कहते हैं कि यह देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि भारतवासियों में विविध प्रकार से गुणी तथा सभी प्रकार की योग्यता रखने वाले लोग हैं, परन्तु वे सही नेतृत्व के अभाव में अभी तक अपनी उन्नति नहीं कर सके हैं। हमारे देश के लोगों को लगाड़ी की संज्ञा दी जा सकती है। जैसे रेलगाड़ी में ऊँचे किराये तथा सामान्य किराये के डिब्बे लगे रहते हैं, परन्तु इंजन के अभाव में वे सभी अपनी जगह स्थिर रहते हैं, आगे नहीं बढ़ पाते; उसी प्रकार भारत के लोगों में भी उच्च और मध्यम श्रेणी के विद्वान, वीर एवं शक्ति-सम्पन्न सभी प्रकार की प्रतिभाओं से सम्पन्न लोग हैं, परन्तु नेतृत्वहीनता के कारण वे अपनी उन्नति के लिए स्वयं कोई भी कार्य नहीं कर पाते। यदि भारतीयों को सही मार्गदर्शक की सत्प्रेरणा प्राप्त हो जो उन्हें उनके बल, पौरुष और ज्ञान का स्मरण दिला सके, तो वे कठिन से कठिन और बड़े से-बड़े कार्य को भी आसानी से कर सकते हैं। मात्र एक नेता के अभाव में उसकी सारी शक्ति, ज्ञान और योग्यता व्यर्थ हो जाती है।


(ड़) 'महसूल' का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर – किराया, भाड़ा से इसका अर्थ है 

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4.निम्नलिखित अवरण को पढकर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


हमारे हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नन्द-नन्दन उर, यह दृढ़ करि पकरी ।।

जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जकरी । सुनत जोग लागत है ऐसो, ज्यों करूई ककरी।।

सु तो व्याधि हमको ले आए, देखी सुनी न करी । यह तो सूर तिनहिं लै सौपौं, जिनके मन चकरी ।।


(क) प्रस्तुत पद्यांश के शीर्षक व उसके कवि का नाम बताओ।


उत्तर –

शीर्षक–सूरदास के पद

कवि –सूरदास 


(ख) गोपियों के लिए श्रीकृष्ण किसके समान हैं?


उत्तर –हारिल (एक पक्षी) अपन पंजों में विशेष प्रकार की लकड़ी को पकडे रहता है वैसे ही हमने अपने हृदय में श्री कृष्ण को मन वचन और क्रिया से पकड़ रखा है.


 (ग) ब्रह्म और योग की बात सुनकर गोपियों को कैसा लगता है?


उत्तर– यह योग का सन्देश हमको कडवी ककड़ी के समान लगता है.


(घ) गोपियों ने बीमारी किसे कहा? 

उत्तर – 

(ड) प्रस्तुत पद्यांश की काव्य शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।


5. निम्नलिखित लेखकों में से किसी एक लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिये।


 (क) आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

उत्तर –आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय


जीवन-परिचय- हिन्दी साहित्य के अमर कलाकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1864 ई० (सं० 1921 वि०) में जिला रायबरेली में दौलतपुर नामक गाँव में हुआ था।

इनके पिता पं०रामसहाय द्विवेदी सेना में नौकरी करते थे । आर्थिक दशा अत्यन्त दयनीय थी। इस कारण पढ़ने-लिखने की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी। पहले घर पर ही संस्कृत पढ़ते रहे, बाद में रायबरेली, फतेहपुर तथा उन्नाव के स्कूलों में पढ़े, परन्तु निर्धनता ने पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश कर दिया।

द्विवेदी जी पढ़ाई छोड़कर बम्बई चले गये। वहाँ तार का काम सीखा। तत्पश्चात् जी०आई०पी० रेलवे में 22 रु० मासिक की नौकरी कर ली। अपने कठोर परिश्रम तथा ईमानदारी के कारण इनकी निरन्तर पदोन्नति होती गयी। धीरे-धीरे ये 150 रु० मासिक पाने वाले हैड क्लर्क बन गये। नौकरी करते हुए भी आपने अध्ययन जारी रखा। संस्कृत, अंग्रेजी तथा मराठी का-भी इन्होंने गहरा ज्ञान प्राप्त कर लिया। उर्दू और गुजराती में भी अच्छी गति हो गयी । बम्बई से इनका तबादला झाँसी हो गया । द्विवेदी जी स्वाभिमानी व्यक्ति थे। अचानक एक अधिकारी से झगड़ा हो जाने पर नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। इसके पश्चात् आजीवन हिन्दी साहित्य की सेवा में लगे रहे।


द्विवेदी जी का व्यक्तित्व और कृतित्व, दोनों ही इतने प्रभावपूर्ण थे कि उस युग के सभी साहित्यकारों पर उनका प्रभाव था। वे युग-प्रवर्तक के रूप में प्रतिष्ठित हुए । हिन्दी साहित्य में वह युग (द्विवेदी युग) नाम से प्रसिद्ध हुआ। सन् 1938 ई० (पौष कृष्णा 30 सं० 1995 वि०) में यह महान् साहित्यकार जगत् को शोकमग्न छोड़कर परलोक सिधार गया।


महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं


रचनाएँ - द्विवेदी जी की मुख्य रचनाएँ निम्नलिखित हैं (क) मौलिक रचनाएँ - अद्भुत - आलाप, रसज्ञ रंजन - साहित्य सीकर, विचित्र-चित्रण, कालिदास की निरंकुशता, हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, साहित्य सन्दर्भ आदि ।


(ख) अनूदित रचनाएँ- रघुवंश, हिन्दी महाभारत, कुमारसम्भव, बेकन विचारमाला, किरातार्जुनीय शिक्षा एवं स्वाधीनता, वेणी संहार तथा गंगा लहरी आदि आपकी प्रसिद्ध अनूदित रचनायें हैं।


 (ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 


(ग) श्याम सुन्दर दास


6. निम्नलिखित कवियों में से किसी एक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिये।


 (क) सन्त कबीर 


(ख) गोस्वामी तुलसीदास


उत्तर –जीवन-परिचय- गोस्वामी तुलसीदास


लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास भारत के ही नहीं, सम्पूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से सम्बन्धित प्रामाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई. (भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी, विक्रम संवत् 1589) स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के सम्बन्ध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। इनके जन्म के सम्बन्ध में एक दोहा प्रचलित है


"पंद्रह सौ चौवन बिसै, कालिंदी के तीर। श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धर्यो सरीर ।। "


'तुलसीदास' का जन्म बाँदा जिले के 'राजापुर' गाँव में माना जाता है। कुछ विद्वान् इनका जन्म स्थल एटा जिले के 'सोरो' नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल-नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ।


इनका पालन-पोषण प्रसिद्ध सन्त नरहरिदास ने किया और इन्हें ज्ञान एवं भक्ति की शिक्षा प्रदान की। इनका विवाह पण्डित दीनबन्धु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुआ था। इन्हें अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम था और उनके सौन्दर्य रूप के प्रति वे अत्यन्त आसक्त थे। एक बार इनकी पत्नी बिना बताए मायके चली गईं तब ये भी अर्द्धरात्रि में आँधी-तूफान का सामना करते हुए उनके पीछे-पीछे ससुराल जा पहुँचे। इस पर इनकी पत्नी ने उनकी भर्त्सना करते हुए कहा


"लाज न आयी आपको दौरे आयेहु साथ।"


पत्नी की इस फटकार ने तुलसीदास जी को सांसारिक मोह-माया से विरक्त कर दिया और उनके हृदय में श्रीराम के प्रति भक्ति भाव जाग्रत हो उठा। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई. में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य 'रामचरितमानस' की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई. में काशी में इनका निधन हो गया।


कृतियाँ (रचनाएँ)


महाकवि तुलसीदास जी ने बारह ग्रन्थों की रचना की। इनके द्वारा रचित महाकाव्य रामचरितमानस सम्पूर्ण विश्व के अद्भुत ग्रन्थों में से एक है। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है।


1. रामलला नहछू गोस्वामी तुलसीदास ने लोकगीत की सोहर' शैली में इस ग्रन्थ की रचना की थी। यह इनकी प्रारम्भिक रचना है।


2. वैराग्य-सन्दीपनी इसके तीन भाग हैं, पहले भाग में छः छन्दों में मंगलाचरण है तथा दूसरे भाग में 'सन्त-महिमा वर्णन' एवं तीसरे भाग में 'शान्ति-भाव वर्णन है।


3. रामाज्ञा प्रश्न यह ग्रन्थ सात सर्गों में विभाजित है, जिसमें शुभ-अशुभ शकुनी का वर्णन है। इसमें रामकथा का वर्णन किया गया है।


4. जानकी-मंगल इसमें कवि ने श्रीराम और जानकी के मंगलमय विवाह उत्सव का मधुर वर्णन किया है।


 5. रामचरितमानस इस विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन के चरित्र का वर्णन किया गया है।


6. पार्वती-मंगल यह मंगल काव्य है, इसमें पूर्वी अवधि में 'शिव-पार्वती के विवाह' का वर्णन किया गया है। गेय पद होने के कारण इसमें संगीतात्मकता का गुण भी विद्यमान है।


7. गीतावली इसमें 230 पद संकलित हैं, जिसमें श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया गया है। कथानक के आधार पर ये पद सात काण्डों में विभाजित हैं।


8. विनयपत्रिका इसका विषय भगवान श्रीराम को कलियुग के विरुद्ध प्रार्थना-पत्र देना है। इसमें तुलसी भक्त और दार्शनिक कवि के रूप में प्रतीत होते हैं। इसमें तुलसीदास की भक्ति-भावना की पराकाष्ठा देखने को मिलती है।


7. 'समय' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।


उत्तर –'समय' कहानी का सारांश 


रिटायर होने के डेढ़-दो वर्ष पूर्व से ही पापा को रिटायर होने के बाद की चिंता सताने लगी थी कि रिटायरमेंट के बाद व्यवस्थित जीवन किस प्रकार से व्यतीत होगा। इसी चिंता के कारण उन्होंने अभी से उस समय के लिए योजनाएं बनानी आरंभ कर दी हैं; जैसे रिटायर होने के बाद उन्हें मितव्ययिता करनी पड़ेगी, इसीलिए इसका पूर्वाभ्यास उन्होंने अभी से आरंभ कर दिया है। यही कारण है कि गर्मियों में महीने 2 महीने हिल स्टेशन पर बिताने के अपने शौक में उन्होंने परिवर्तन कर लिया है। और अब वहां जाना छोड़ दिया है। अभी तक पापा को संध्या समय ठहलने के लिए अथवा शॉपिंग के लिए जाते समय बच्चों को साथ ले जाना कम पसंद था, क्योंकि उन्हें बाजार में हम बच्चों द्वारा कोई चीज मांग लेने पर तमाशा बनना पसंद नहीं था। हमारे कोई चीज मांगने पर वे ठक डांट-डपट नहीं करते थे, बल्कि वह वस्तु दिला देते थे। अवकाश प्राप्त हो जाने पर अवकाश के बोझ से बचने के लिए उन्होंने अच्छी-खासी दिनचर्या बना ली है। शासन काल के 36 वर्ष के अनुभव पर उन्होंने 'एथिक्स ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन' (शासन का नैतिक पक्ष) पर एक पुस्तक लिखने का निर्णय लिया है इससे उनके सुबह शाम दो-दो घंटे के समय का सदुपयोग हो जाता है। घर की हल्की-फुल्की चीजें खरीदने भी वे अब संध्या के समय हजरतगंज पैदल ही चले जाते हैं।


रिटायर होने के बाद अब पापा के व्यवहार में अनेक परिवर्तन आए हैं। पहले वे अच्छी पोशाक के शौकीन थे, किंतु अब बेपरवाह हो गए हैं। अब मम्मी ही खीजकर उनके लिए जबरदस्ती कपड़े खरीद कर लाती हैं। अब वे हम बच्चों को अपने साथ बाजार ले जाने लगे हैं। इसका कारण यह है कि अब हम गुब्बारे वाले या आइसक्रीम वाले को देखकर ठुनकने वाले बच्चे नहीं रह गए हैं। अब उन्हें अपने जवान, स्वस्थ बच्चों की संगति पर कुछ गर्व होने लगा है। वे स्वयं ही बाजार में कॉफी या आइसक्रीम का प्रस्ताव हमारे सामने रखते हैं। वे दूसरे रिटायर लोगों की भांति अपने अनुभवों, पुराने जमाने की मंदी और आज की महंगाई आदि की चर्चा करके हमें बोर नहीं करते, फिर भी उनके साथ रहकर हम अपने दोस्तों के मिलने पर भी कोई उच्छृंखलता नहीं कर सकते। संध्या समय हम लोगों में से किसी ना किसी को अपने साथ ले जाने का सबसे मुख्य प्रयोजन यह है कि सूर्यास्त के पश्चात सड़क पर प्रकाश कम होने पर वे ठोकर खा जाते हैं और प्रकाश अधिक होने पर चकाचौंध से परेशानी अनुभव करते हैं।


अथवा


'बलिदान' कहानी के आधार पर हरखू का चरित्र-चित्रण कीजिए।।


8. निम्नलिखित अवतरणों का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए।


यतो यतः समीहसे ततो नो अमयं कुरू।

शन्नः कुरु प्रजाभ्योऽमयं नः पशुभ्यः ।।


उत्तर –व्याख्या (हे परमेश्वर!) आप इस धरा पर जो भी रचना करते हैं, उन सभी से हमें भय रहित करिए, अर्थात् किसी स्थान से हमें कोई भी भय न हो, वैसे ही सब दिशाओं में जो आपकी प्रजा और पशु हैं, उनसे भी हमको भयरहित करें। (यजुर्वेद)


अथवा


पुरा वत्सनामकमेकं समृद्ध राज्यमासीत । अस्य राजधानी कौशाम्बी इतः नातिदूरेऽवर्तत् । अस्य राज्यस्य शासकः महाराजः उदयनः वीरः अप्रतिमसुन्दरः ललितकलाभिज्ञश्चासीत । यमुनातटे आधुनिक 'सुजावन' ग्रामे तस्य सुयामुनप्रासादस्य ध्वंसावशेषाः तस्य सौन्दयानुरागं ख्यापयन्ति । प्रियदर्शी सम्राट अशोकः कौशाम्ब्यामेव स्वशिलालेखमकारयत् योऽधुना कौशाम्ब्याः आनीय प्रयागस्य दुर्गे सुरक्षितः।


9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में दीजिए।


(क) सुभाषष्य जन्म कुत्र अभवत् ?


(ख) यत्नेन किं संरक्षेन ?

उत्तर –वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्, वित्तमायाति।


(ग) व्यास: किं रचितवान् ?

उत्तर: व्यास: महाभारत रचितवान्


(घ) भारतवर्षम शत्रुम्यः कः रक्षति ?


10. (क) करूण अथवा शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।


उत्तर – करुण रस

परिभाषा-करुण रस का स्थायी भाव शोक है। शोक नामक स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से संयोग करता है, तब 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है। 

उदाहरण

मणि खोये भुजंग-सी जननी, फन सा पटक रही थी शीश। अन्धी आज बनाकर मुझको, किया न्याय तुमने जगदीश ॥ श्रवण कुमार की मृत्यु पर उनकी माता के विलाप का यह उदाहरण करुण रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।

स्पष्टीकरण- 1. स्थायी भाव-शोक।


2. विभाव

(क) आलम्बन - श्रवण। आश्रय-पाठक।

(ख) उद्दीपन-दशरथ की उपस्थिति।

3. अनुभाव – सिर पटकना, प्रलाप करना आदि।

4. संचारी भाव-स्मृति, विषाद आदि।


(ख) श्लेष अथवा रूपक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिये।


उत्तर –रूपक अलंकार 

परिभाषा जब उपमेय और उपमान में भेद होते हुए भी दोनों में अभिन्नता प्रकट की जाए और उपमेय को उपमान के रूप में दिखाया जाए, तो रूपक अलंकार होता है।


उदाहरण

(i) चरण कमल बन्दौ हरिराई।


इस काव्य-पंक्ति में उपमेय 'चरण पर उपमान 'कमल' का आरोप कर दिया गया है। दोनों में अभिन्नता है, दोनों एक हैं। इस अभेदता के कारण यहाँ रूपक अलंकार है।


 (ग) सोरठा अथवा रोला छन्द का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए


उत्तर –सोरठा (परिभाषा / लक्षण/पहचान एवं उदाहरण)–परिभाषा दोहे का उल्टा रूप सोरठा' कहलाता है। यह एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है अर्थात् इसके पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों में मात्राओं की संख्या समान रहती है। इसके विषम (पहले और तीसरे चरणों में 11-11 और सम (दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं। तुक विषम चरणों में ही होता है तथा सम चरणों के अन्त में जगण (ISI) का निषेध होता है।


उदाहरण


"मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़े गिरिवर गहन ।

जासु कृपा सु दयाल, द्रवौ सकल कलिमल दहन।।


11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा शैली में निबन्ध लिखिए।


(क) कोरोना: वैश्विक महामारी 


उत्तर–

कोरोना वायरस पर निबंध 


प्रमुख विचार-बिन्दु - (1) प्रस्तावना, (2) कोरोना कैसे फैलता है, (3) कोरोना वायरस के लक्षण, (4) कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय, (5) कोरोना | वायरस का चीन पर पहला वार, (6) कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज, (7) लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल (8) उपसंहार।


प्रस्तावना - कोरोना वायरस कहाँ से आया, कैसे आया हमें पता ही नहीं चला। लेकिन समाचार की दृष्टि से यह कोरोना वायरस चीन के वुहान राज्य से फैला। कहा जाता है कि चीन के वुहान राज्य के समुद्री-खाद्य बाजार अर्थात् पशु मार्किट से निकलकर चीन के कई राज्यों में फैला और देखते-ही-देखते इसने लाखों लोगों की जिंदगी से खेलना शुरू कर दिया। इस कोरोना वायरस ने 180 देशों को और अनेक राज्यों को अपने चपेट में ले लिया। अभी तक दिसम्बर, में 2019 चीन में पहली कोरोना वायरस से मौत की पुष्टि हुई है। इस वायरस ने लगभग दो लाख लोगों की जान ली है। 7 जनवरी, 2020 को चीन ने वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन को नए वायरस 'कोरोना वायरस (Covid 19)' के बारे में जानकारी दी।


कोरोना कैसे फैलता है- कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के छींकने से इसके आस-पास के लोगों तक तेजी से फैलता है। किसी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के थूक को सतह पर छूने से और फिर, अपने मुँह, चेहरे, नाक को हाथ लगाने से फैलता है। यह कोरोना वायरस यात्रा कर रहे किसी संक्रमित व्यक्ति के कारण तेजी से फैल सकता है। इतना ही नहीं हवाई जहाज की सीट पर यह कई घंटों तक जिन्दा रहकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। कहा जा सकता है कि एक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति हजारों लोगों को संक्रमित कर सकता है। कोरोना वायरस मनुष्य के शरीर में बिना कोई लक्षण दिखाए 14 दिनों तक एक्टिव रह सकता है।


कोरोना वायरस के लक्षण- तेज बुखार, गले में दर्द, खत्म न होने वाली खाँसी और साँस लेने में तकलीफ होती है। अंत में यह फेफड़ों को कमजोर बना देता है, जिससे मरीज को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह शरीर के दूसरे अंगों को भी नाकाम कर देता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है।


कोरोना वायरस से बचने के कुछ उपाय- अपने आपको कोरोना वायरस से मुक्त रखने के लिए हमें 20 सेकेंड तक बार-बार अपने हाथ धोने चाहिए। हम चाहें तो हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग कर सकते हैं। हमेशा घर से बाहर निकलते समय मुँह पर मास्क पहनकर निकलें और घर आकर मास्क को साफ कर लें। छींकते समय अपने मुँह को कोहनी से अथवा टिश्यू पेपर से ढक लें और टिश्यू पेपर को कूड़ेदान में फेंक दें। अगर कोई इंसान बाहर से सफर करके आया हो, तो दो हफ्ते तक अपने आप घर पर रहें और लोगों से दूरी बनाए रखें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा। इस समय सामजिक दूरी बनाए रखना सबसे बेहतर उपाय माना जा रहा है। तकरीबन इस संकट की घड़ी में सभी देशों ने लॉकडाउन करने का फैसला कर दिया और उसे शीघ्र ही लागू कर दिया, जो इस समय सही उपाय है।


कोरोना वायरस का चीन पर पहला वार- 11 जनवरी, 2020 को चीन ने 61 वर्षीय आदमी की मौत की जानकारी दी, जिसने वुहान के पशु बाजार से सामान खरीदा था। दिल का दौड़ा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। 16 जनवरी को एक दूसरी मौत की खबर आई। इसी तरह देखते ही देखते नेपाल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, ताइवान, अमेरिका, भारत, इटली आदि देशों को अपने पंजों में जकड़ लिया।


चीन ने जनवरी के आखिरी दिनों में यह दावा किया कि यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलता है, जोकि काफी भयानक है, लेकिन बहुत देर हो गई थी। पूरा विश्व इसकी चपेट में आ चुका था और फिर संक्रमित लोगों तथा मृत्यु के मुख में जाने वालों की संख्या लाखो-हजारों में आ चुकी है। 11 मार्च, 2020 को वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोरोना वायरस को एक भयानक महामारी घोषित कर दिया।


कोरोना वायरस से निपटने के लिए खोज – पूरी दुनिया कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की खोज में जुट गई है, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक, डॉक्टर्स इसकी खोज के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। इसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक आदि संस्थाएँ भी प्रयत्नशील हैं।


लॉकडाउन की भारत ने की पहली पहल-21 मार्च को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की समस्त विद्वज्जन और वरिष्ठ जनता ने एक साथ मिल-जुलकर भारत में लॉकडाउन कर दिया। जिसके चलते अब तक चार बार यही निर्णय किया गया और जनता ने इसे अपना और अपने देश का हित मानते हुए इसका पालन किया। सारे देश में धारा 144 लगा दी गई। दुकानें, दफ्तर, स्कूल, रेस्टोरेंट, होटल सब बन्द कर दिए गए, ताकि इस महामारी से छुटकारा मिल जाए। परिणाम काफी हद तक सफल रहा। सामाजिक दूरी बनाए रखने के कारण संक्रमित लोगों और मृत्युदर में कमी आई। किन्तु खेद है, जैसे किसी भी जगह की स्वच्छता में जिस प्रकार कुछ लोग बाधक बन जाते हैं, जैसे सत्य की खोज में कुछ अज्ञानी अपना ज्ञान बाँटने लगते हैं, जैसे किसी संस्थान में आग लग जाने के बाद कुछ लोग हाथ तापने लगते हैं, वैसे ही कुछ साम्प्रदायिक और राजनीति का रोना रोने वाले राजनेता अपने भड़काऊ भाषणों से, अपने कुकर्मों से भोली जनता को बहकाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोग 'हम तो डूबेंगे सनम लेकर तुमको भी डूबेगे' वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं। ऐसे लोगों से बचना ही श्रेयष्कर है, क्योंकि कँटीली झाड़ियों को कोई अपने घर की शोभा नहीं बनाता।


उपसंहार – देखा जा रहा है, जहाँ मरीजों का इलाज चल रहा है वहाँ हर चीज में कोरोना वायरस का प्रकोप है। कोरोना वायरस बहुत समय तक हवा में और कपड़ों में कई घंटों तक जीवित रह सकता है। भारत की जनता को चाहिए कि वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार द्वारा दी गईं हिदायतों से अपनी एवं अपने परिवार की रक्षा करे। साथ ही असमाजिक दुष्प्रभाव फैलाने वाले लोगों और उनके मोबाइल संदेशों एवं भाषण से दूर रहें। वे सभी इस कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक और हानिकारक वायरस हैं।


ख) हमारा पर्यावरण 


(ग) मेरा प्रिय कवि


(घ) शिक्षा में आरक्षण


12. (क) उपौषति अथवा नायकः में कौन-सी सन्धि है?


(ख) 'स्था' धातु के विधिलिङ्लकार, मध्यम पुरुष, बहुवचन का रूप लिखिए। 


(ग) निम्नलिखित में से किसी एक शब्द में प्रत्यय बताइए।


(क) विद्यावान


(ख) पुरूषता


(घ) निम्नलिखित में से किसी एक का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।

(क) समुद्रम


(ख) पीयूषपाणि:


13. किन्हीं चार वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए


(क) तुम जल्दी घर जाओ।


 (ख) गुरू को नमस्कार ।


(ग) हिमालय भारत की रक्षा करता है।


(घ) कवियों में कालिदास श्रेष्ठ हैं।


(ङ) प्रजा का कल्याण हो।


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