महाकवि कालिदास का जीवन परिचय - mahakavi kalidas ka jivan Parichay in Hindi
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कालिदास का जीवन परिचय हमारे प्राचीन भारतीय इतिहास में कई ऐसे कवि हुए हैं जिन्होंने अपने शब्दों से कई रचनाएं की हैं आज इस लेख में हम जिस कवि के बारे में बात करने जा रहे हैं उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच और कल्याणकारी विचारों को अपनी रचनाओं में उतराकर साहित्य जगत में अपना अमूल्य योगदान दिया है। जी हां हम बात कर रहे हैं महान कवि कालिदास के बारे में भी एक कवि और नाटककार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के प्रखंड विद्वान भी थे कालिदास में भारत के प्राचीन दर्शन और पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएं लिखी।
महाकवि कालिदास का जन्म
भारत के प्रसिद्ध शेक्सपियर महाकवि कालिदास के जन्म के बारे में ठीक प्रकार से ज्ञात नहीं है यह भी ज्ञात नहीं है कि महाकवि कालिदास का
जन्म स्थान कौन सा है? महाकवि कालिदास के जन्म स्थान के बारे में विभिन्न प्रकार के विद्वानों ने अपने अपने विभिन्न मत दिए हैं
किंतु सभी वैज्ञानिक एक ही मत पर एकमत नहीं हो पाए महाकवि कालिदास का उज्जैन के प्रति अधिक लगाव रहा है इसलिए बहुत से विद्वान महाकवि कालिदास का जन्म उज्जैन में हुआ था ऐसे मानते हैं।
लंबे समय के बाद कई साहित्यकारों ने एकमत होकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है, कि कालिदास का जन्म भारत के राज्य
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था। किंतु प्रमाण के साथ उनके जन्म स्थान का दावा अभी तक नहीं किया गया।
महाकवि कालिदास की शिक्षा
महाकवि कालिदास वास्तव में अनपढ़ थे बचपन में उन्होंने किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त नहीं की। वे महा मुर्ख थे।
एक प्रपंच के द्वारा महाकवि कालिदास का विवाह एक ज्ञानी स्त्री राजकुमारी विधोत्तमा से हुआ। विवाह के बाद राजकुमारी को पता चला कि कालिदास तो अनपढ़ और मूर्ख हैं तो उन्होंने उसे घर से निकाल दिया।
और का एक विद्वान बनकर यह घर वापस आना कालिदास को बहुत बुरा लगा और वे मां काली के मंदिर में उनकी भक्ति करने लगे।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां काली ने उन्हें विद्या का आशीर्वाद दिया और कालिदास का एक उच्च कोटि के विद्वान बने विद्वान बने।
विद्वान बनकर वे अपने घर पर आकर अपनी पत्नी के साथ रहने लगे इस प्रकार उन्हें ज्ञान मां काली के आशीर्वाद के फलस्वरूप प्राप्त हुआ था। उस के बाद कालिदास की कई गुरु हुए और उनकी मित्रता में वृद्धि होती गई।
महाकवि कालिदास की रचनाएं
महाकवि कालिदास उच्च कोटि के विद्वान थे जिन्हें ज्ञान स्वयं काली मां द्वारा प्राप्त हुआ था उन्होंने कई महाकाव्य खंडकाव्य नाटक तथा रचनाएं की हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:-
महाकाव्य
रघुवंशम यह महाकाव्य रघुकुल के राजाओं की जीवन गाथा पर लिखा गया है, रघुकुल में कई महा प्रतापी राजा हुए उनमें से एक भगवान श्रीराम भी हैं।
कुमारसंभवम - यह महाकाव्य मां पार्वती तथा भगवान शिव के जीवन संबंधी घटनाओं से संबंधित है इसमें मां पार्वती तथा भगवान शिव से संबंधित कई घटनाओं का वर्णन है, जैसे कि कार्तिकेय का जन्म आदि।
खंडकाव्य
मेघदूत - मेघदूत मेघ से संबंधित घटनाओं से संबंधित है इसमें मेघ द्वारा यक्ष का संदेश उसकी प्रियतमा तक ले जाने की प्रार्थना का वर्णन मिलता है।
ऋतुसंहार - ऋतुसंहार में समस्त ऋतुओ का वर्णन है सभी ऋतुओ में
नाटक
मालविकाग्निमित्रम् - मालविकाग्निमित्रम् शुंग वंश के शासक अग्नि मित्र के जीवन से संबंधित एक घटना है। इसमें अग्निमित्र मालविका नामक
कन्या के चित्र से प्रेम करने लगता है। और मालविका एक नौकर की कन्या थी किंतु बाद में पता चलता है कि वह एक राजकुमारी थी मालविकाग्निमित्रम् कालिदास का पहला नाटक है।
अभिज्ञान शाकुंतलम् - अभिज्ञान शकुंतलम महाकवि कालिदास द्वारा लिखा गया है एक नाटक है जो महाराज दुष्यंत और ऋषि विश्वामित्र कथा मेनका की पुत्री शकुंतला की प्रेम कहानी विवाह विछोह और मिलन की घटनाएं हैं।
विक्रमोर्वशीयम् - कवि कालिदास के इस नाटक में स्वर्ग लोक की अप्सरा उर्वशी तथा पुरवा की प्रेम कहानी तथा इंद्र के श्राप का वर्णन मिलता है।
इसके बाद में महाकवि कालिदास की अन्य रचनाएं हैं कुल मिलाकर उन्होंने लगभग 40 प्रकार की रचनाएं लिखी हैं।
अन्य रचनाएं
श्रुतबोधम्
शृंगार तिलकम्
शृंगार रसाशतम्
सेतुकाव्यम
पुष्पबाण विलासम्
श्यामा दंडकम्
ज्योतिर्विधाभरणम्
महाकवि कालिदास का भाव पक्ष
महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के एक महान विद्वान तथ प्रसिद्ध कवि थे। जिनका अधिकतम समय उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य के दरबार में बीता।
महाकवि कालिदास ने अपने काम को वीर महान पुरुषों के जीवन से संबंधित घटनाओं के माध्यम से एक अलग दिशा दी महाकवि कालिदास की मुख्यत: वीर पुरुषों के जीवन संबंधी घटनाओं पर आधारित हैं।
इसके साथ ही उन्होंने प्रकृति का अनुपम स्वयं दिल का वर्णन भी अपनी रचनाओं में इस प्रकार से किया है कि कोई भी उसे पढ़कर
आत्मविभोर हो जाए महाकवि कालिदास ने प्रेम विषय प्रकृति चित्रण द्वारा आद्रित और अमूल रचनाओं ऐसे युग को प्रदान की है।
कवि कालिदास का कला पक्ष
महाकवि कालिदास को अपने काम पर विशेष सिद्ध प्राप्त हुई इस कारण उनको कवि कुलगुरू कविता कामायनी विलास भारत का शेक्सपियर महाकवि आदि उपलब्धियों से अलंकृत किया गया है।
महाकवि कालिदास मूलत: संस्कृत भाषा के कवि हैं। कवि कालिदास की भाषा से श्रंगार तथा प्रसाद गुण से ओतप्रोत हैं।
कवि कालिदास ने अपनी भाषा में शब्द अलंकारों का प्रयोग किया है, जबकि उपमा अलंकार पर उन्हें विशेष सिद्ध प्राप्त है।
महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में अलंकार और प्रसाद गुणों से युक्त सहज सरल भाषा का प्रयोग इस प्रकार से किया है।
कि उनका काव्य जीवात्मा के समान लगता है कवि कालिदास ने श्रंगार रस का अद्भुत प्रयोग अपनी रचनाओं में करके प्रकृति का अनुपम चित्रण किया है।
ऋतुओ की व्याख्या के साथ ही महाकवि कालिदास की रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा तथा नैतिक मूल्यों का भी समावेश मिलता है।
कालिदास का साहित्य में स्थान
महाकवि कालिदास मूलता संस्कृत भाषा के कवि हैं। जिन्होंने कई नाटक खंडकाव्य महाकाव्य रचित किए हैं। इसलिए भारतीय साहित्यकारों के साथ विदेशी
साहित्यकारों में भी उनका एक महत्वपूर्ण स्थान है। महाकवि कालिदास को विदेशी कवि शेक्सपियर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महाकवि कालिदास का नाम हमेशा आदर और सम्मान के साथ लिया जाएगा।
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