अलंकार कितने प्रकार के होते हैं? Alankar Kitane prakar ke Hote Hain:
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अलंकार किसे कहते हैं
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- आभूषण जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं काव्यशरीर, अर्थात भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुंदर बनाने वाले चमत्कार पूर्ण मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।
अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है- आलम + कार यहां पर अलम का अर्थ होता है' आभूषण मानव समाज बहुत ही सुंदर उपासक हैं उसके प्रवृत्ति ने ही नए अलंकारों को जन्म दिया गया है। अलंकार, कविता कामिनी के सुंदर को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं।
उदाहरण: भूषण बिना ना सोहई कविता, बनिता मित्त
अलंकार कितने प्रकार की होते हैं
अलंकार के चार भेद हैं-
1 शब्दालंकार
2 अर्थालंकार
3 उभयालंकार
4 पश्चात्य अलंकार
1 . जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानर्थी शब्द को रखने से वह चमत्कार समाप्त हो जाए वहां शब्द अलंकार होता है।
शब्दालंकार के मुख्यत: छह: प्रकार होते हैं -
1.अनुप्रास अलंकार
2.यमक अलंकार
3.पुनरिक्त अलंकार
4.विप्सा अलंकार
5-वक्रोक्ति अलंकार
6.श्लेष अलंकार
2. अर्थालंकार जब किसी वाक्य के किसी शब्द की या किसी भी तरह के लेखन की अर्थ के आधार पर शोभा बढ़ाई जाती है उसके अर्थ को हिसाब से उसको सुंदर बनाया जाता है. उसको अच्छा बनाया जाता है. तो उसे अर्थालंकार कहा जाता है.
जहां पर अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहां अर्थ अलंकार होता है। यह प्रकार निम्नलिखित हैं-
1.उपमा अलंकार
2.रूपक अलंकार
3.उत्प्रेक्षा अलंकार
4.दृष्टांत अलंकार
5.संदेह अलंकार
3. उभयालंकार
ऐसा अलंकार जिसमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों का योग हो अर्थात जो अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आधारित रहकर दोनों को चमत्कारी करते हैं वहां और उभयालंकार होता है।
जैसे-
कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।
इस अलंकार में शब्द और अर्थ दोनों हैं।।
उभयालंकार दो प्रकार के होते हैं-
संसृष्टि
सकर
4. पश्चात्य अलंकार
हिंदी साहित्य पर पश्चात्य प्रभाव पड़ने के फल स्वरुप पश्चात्य अलंकारों का समावेश हुआ है। प्रमुख पश्चात्य अलंकार है- मानवीकरण, भावोक्ति, धवन्यात्मकता और विरोध चमत्कार। परीक्षा की दृष्टि से मानवीकरण अलंकार ही महत्वपूर्ण है। इसलिए यहां उसी का विवरण दिया गया है। मानवीयकारण जहां प्रकृति पदार्थ अथवा अमूर्त भावो को मानव के रूप में चित्रित किया जाता है, वहां मानवीकरण अलंकार होता है;
जैसे-
"दिवसावसान का समय मेघ में आसमान से उतर रही है।
वह संध्या-सुंदरी पर-इसी, धीरे-धीरे-धीरे।"
यहां संध्या को सुंदर परी के रूप में चित्रित किया गया है, अतः यहां मानवीकरण अलंकार है।
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