UP Board Class 10th Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements / विज्ञान अध्याय 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

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UP Board Class 10th Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements / विज्ञान अध्याय 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

UP Board Class 10th Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements / विज्ञान अध्याय 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण


UP Board Class 10th Science Chapter 5 Periodic Classification of Elements / तत्वों का आवर्त वर्गीकरण




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यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण एनसीईआरटी नोट्स



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आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएं


1.तत्त्वों को उनके गुणधर्मों में समानता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।


2.डॉबेराइनर ने तत्त्वों को त्रिक में वर्गीकृत किया जबकि न्यूलैंड्स ने अष्टक का सिद्धान्त दिया।


3.मेण्डेलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकृत किया।


4.मेण्डेलीफ ने आवर्त सारणी में खाली स्थानों के आधार पर नए तत्त्वों की भविष्यवाणी की।


5. मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में I से लेकर VIII समूह तथा उसके बाद 0 (शून्य) है।


6.तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने से होने वाली विसंगतियाँ, परमाणु संख्या के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने से दूर हो गई। तत्त्व के इस आधारभूत गुणधर्म अर्थात् संख्या की खोज मोज्ले ने की।


7. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों को 18 ऊर्ध्व स्तम्भों, जिन्हें समूह कहते हैं तथा 7 क्षैतिज पंक्तियों जिन्हें आवर्त कहते हैं, में व्यवस्थित किया।


8. इस प्रकार व्यवस्थित तत्त्व, परमाणु साइज, संयोजकता या संयोजन क्षमता तथा धात्विक एवं अधात्विक अभिलक्षण जैसे गुणधर्मों में आवर्तिता प्रदर्शित करते हैं।







बहुविकल्पीय प्रश्न           1 अंक




प्रश्न 1. आधुनिक आवर्त वर्गीकरण का आधार है 


(a) परमाणु भार 


(b) परमाणु क्रमांक


(C) संयोजकता 


(d) रासायनिक क्रियाशीलता





 उत्तर (b) मोजले ने सन् 1913 में परमाणु क्रमांक की खोज करने के पश्चात् यह सिद्ध किया कि परमाणु का आधारभूत गुण परमाणु क्रमांक है न कि परमाणु भार। इस आधार पर उसने एक नया नियम दिया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।


प्रश्न 2. निरूपक तत्व है


(a) Na 


(b) K


(c) Sc


(d) He



उत्तर (a) आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त के तत्व निरूपक तत्व या प्रारूपिक तत्व कहलाते हैं। ये तत्व अपने-अपने समूह में उपस्थित अन्य तत्वों का आदर्श प्रतिनिधित्व करते हैं, अतः सोडियम (Na) प्रथम समूह का निरूपक तत्व है।


प्रश्न 3. यूरेनियम है


(a) क्षार धातु


(b) अधातु


 (C) स्थायी तत्व


(d) अन्तः संक्रमण धातु



उत्तर (d) अन्तः संक्रमण धातु


प्रश्न 4. सर्वाधिक धनविद्युती तत्व है


(a) Na


(b) Al


(c) F


(d) K


उत्तर (d) धनविद्युती लक्षण परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ता जाता है। इसलिए, पोटैशियम (K) का धनविद्युती लक्षण सर्वाधिक है।


प्रश्न 5. आवर्त सारणी में बाईं से दाईं ओर जाने पर प्रवृत्तियों के बारे में कौन-सा कथन असत्य है? है



(a) तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती 


(b) संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है


(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं


(d) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं 


उत्तर (c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं। यह कथन असत्य है, क्योंकि बाई से दाईं ओर जाने पर धात्विक गुण कम होता है। तथा अधात्विक (e ग्रहण करने का) गुण बढ़ता है।


प्रश्न 6.विकर्ण सम्बन्ध के तत्व हैं



(a) Li तथा Be


(b) LI तथा Mg


(c) Li तथा Na


(d) Al तथा Si



उत्तर (b) Li के गुण अपने से विकर्णतः स्थित Mg के गुणों के समान हैं। इस कारण लीथियम (Li), मैग्नीशियम (Mg) के साथ विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है।


प्रश्न 7. किस तत्व का ऑक्साइड उभयधर्मी है?


(a) C के


(b) Na के


(c) Mg के


(d) Sn के



 उत्तर (d) Sn के ऑक्साइड उभयधर्मी प्रकृति के होते हैं अर्थात् अम्ल तथा क्षार दोनों से क्रिया करते हैं।



प्रश्न 8. निम्न में से उभयधर्मी ऑक्साइड है


(a) Na₂O          (c) Al₂O₃


(b) MgO          (d) Po₅


उत्तर (c) Al₂O₃उभयधर्मी ऑक्साइड है अर्थात् अम्लीय व क्षारीय दोनों प्रवृत्ति दर्शाता है।


प्रश्न 9. निम्न में अम्लीय ऑक्साइड है


(a) Alp Os


(b) KO


(c) Mgo


(d) P₂O₅


उत्तर (d) अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय होते हैं तथा फॉस्फोरस (P) एक अधातु है। P₂O₅जल में घुलकर अम्ल का निर्माण करता है।


PO +3H O2H, PO,


फॉस्फोरिक अम्ल


अत: B.O, अम्लीय ऑक्साइड है।


प्रश्न 10. निम्न में सर्वाधिक अम्लीय है।


(a) Bip


(b) Sb2O3. 


(c) N₂O₅


(d) AS 2 O 3


उत्तर (c) अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय होते हैं तथा धात्विक लक्षण में वृद्धि के साथ अम्लीय लक्षण कम होता जाता है। किसी समूह (वर्ग) में नीचे जाने पर अधात्विक लक्षण में कमी होने के कारण अम्लीय लक्षण में भी कमी होती जाती है, अतः दिए गए ऑक्साइडों में से N₂O₅सर्वाधिक अम्लीय है।


नोट N, P, As, Sb तथा Bi समान वर्ग में इसी क्रम में रखे गए हैं।


प्रश्न 11. निम्न तत्वों में से किसकी विद्युत ऋणात्मकता सबसे कम है? 


(a) Na


(b) Mg


(c) Al


(d) S


उत्तर (a) सोडियम धातु का आकार अन्य धातुओं (Mg. Al, Si) से अधिक होने के कारण इसकी विद्युत-ऋणात्मकता सबसे कम होती है तथा विद्युत धनात्मकता का मान अधिक होता है।


प्रश्न 12. मुद्रा धातु है


(a) Zn


(b) Sn


(c) Pb


(d) Cu


उत्तर (d) Cu को मुद्रा धातु कहते हैं, क्योंकि इसका उपयोग मुद्रा के निर्माण में किया जाता है।


प्रश्न 13. निम्नलिखित में क्षारीय है


(a) Na 


(b) Be


(C) Al


(d) Zn


 उत्तर (a) सोडियम धातु आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त के प्रथम वर्ग (समूह) का तत्व है। प्रथम वर्ग (समूह) के सदस्यों को क्षारीय धातुएं कहा जाता है।


प्रश्न 14.तत्व जो क्षारीय ऑक्साइड बनाता है, का परमाणु क्रमांक है।



(a) 18


(b) 17 


(c) 14


(d) 19


उत्तर (d) 19, जोकि पोटैशियम का परमाणु क्रमांक है तथा वर्ग-1 का सदस्य है। वर्ग-1 के सभी धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाते हैं।



प्रश्न 15. क्षार धातुएँ हैं


(a) Be, Mg, Ca 


(b) Li, Na. K


(c) B, Al Ga


(d) Cu, Ag. Au 



उत्तर (b) प्रथम वर्ग के तत्वों को क्षार धातुएँ कहते हैं तथा Li, Na. K प्रथम वर्ग के सदस्य है अर्थात् क्षार धातुएँ है।


प्रश्न 16. तृतीय आवर्त का तत्व है।


(a) , Na          (c) B


(b) 3 Sr           (d) 19K


उत्तर (a) परमाणु क्रमांक Na का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1है। इसमें 3 कोश उपस्थित है अतः यह तीसरे आवर्त का तत्व है। 



प्रश्न 17. निऑन है


(a) क्षार धातु


(b) अक्रिय गैस


(c) उपधातु


(d) संक्रमण तत्व


उत्तर (b) निऑन (Ne) एक अक्रिय गैस है।


प्रश्न 18. एक तत्व के क्लोराइड का सूत्र MCI, है। इसके ऑक्साइड का सूत्र है?


(a) MO₂


(b)MO


(c) M₂O₃


(d) M₂O


उत्तर (b) MO में तत्व M के क्लोराइड का सूत्र MCI, है अर्थात् इसमें M की संयोजकता +2 अत: इसके ऑक्साइड का सूत्र MO होगा।


प्रश्न 19. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s², 2s² 2p⁶, 3s² 3p⁶ है| आवर्त सारणी में इसका स्थान होगा


अथवा परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्व का आवर्त सारणी में स्थान है।


(a) आवर्त-3, वर्ग VA


(b) आवर्त -5, वर्ग II A


(c) आवर्त-3, वर्ग VIIA 


(d) आवर्त-2, वर्ग VIIA


उत्तर (c) परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है इस तत्व की तीसरी कक्षा में 7 इलेक्ट्रॉन हैं, अत: यह सातवें (VII A) समूह के तृतीय आवर्त का तत्व है।


प्रश्न 20. तत्व X, XCl, सूत्र वाला एक क्लोराइड बनाता है, जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्व संभवतः किस समूह के अंतर्गत होगा?


(a) Na


(b) Mg


(c) Al


(d) Si


उत्तर (b) Mgक्लोराइड बनाते हैं।

Cl की संयोजकता 1 तथा Mg की 2 है अतः ये MgCl, सूत्र वाला



प्रश्न 21. आधुनिक आवर्त वर्गीकरण का आधार है


(a) परमाणु भार


(c) संयोजकता


(b) परमाणु क्रमांक


(d) रासायनिक क्रियाशीलता


उत्तर (b) मोजले ने सन् 1913 में परमाणु क्रमांक की खोज करने के पश्चात् यह सिद्ध किया कि परमाणु का आधारभूत गुण परमाणु क्रमांक है न कि परमाणु भार। इस आधार पर उसने एक नया नियम दिया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।


प्रश्न 22. निरूपक तत्व है



(a) Na


(c) Sc


(b) K


(d) He


अथवा प्रारूपिक तत्व है।


(a) Na


(b) K


(c) Sc


(d) He


 उत्तर (a) आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त के तत्व निरूपक तत्व कहलाते हैं। ये तत्व अपने-अपने समूह में उपस्थित अन्य तत्वों का आदर्श प्रतिनिधित्व करते हैं, अत: सोडियम (Na) प्रथम समूह का निरूपक तत्व है।


प्रश्न 23. विकर्ण सम्बन्ध के तत्व हैं



(a) Li तथा Be


(b) Li तथा Mg


(d) Al तथा Si


(c) Li तथा Na


उत्तर (b) Li के गुण Mg के गुणों के समान है। इस कारण लीथियम, मैग्नीशियम के साथ विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है। 


प्रश्न 24. Li विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है।



(a) Na के साथ


(b) K के साथ


(c) AI के साथ


(d) Mg के साथ


उत्तर (d) Mg के साथ, क्योंकि यह Li के विकर्णतः स्थित है।


प्रश्न 25. निम्न में से कौन-सा अधिक विद्युत धनी है?


(a) Na


(b) K


(c) Mg


(d) F


उत्तर (b) विद्युत धनी लक्षण परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ बढ़ते हैं इसलिए पोटैशियम (K) का धनविद्युती लक्षण सर्वाधिक है।



प्रश्न 26. सर्वाधिक धनविद्युती तत्व है 


(a) Na 


(b) Al


(C) F


(d) K




उत्तर (d) विद्युत धनी लक्षण परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ता जाता है इसलिए पोटैशियम (K) का धनविद्युती लक्षण सर्वाधिक है।


प्रश्न 27. किस तत्व का ऑक्साइड उभयधर्मी है?


(a) C के


(b) Na के


(c) Mg के


(d) Sn के


उत्तर (d) Sn के ऑक्साइड उभयधर्मी प्रकृति के होते हैं अर्थात् अम्ल तथा क्षार दोनों से क्रिया करते हैं।


प्रश्न 28. निम्न में से उभयधर्मी ऑक्साइड है



(a) Na₂0       (b) MgO


(c) Al₂O₃    (d) P₂O₅


उत्तर (c) Al₂0₃ उभयधर्मी ऑक्साइड है अर्थात् अम्लीय व क्षारीय दोनों प्रवृत्ति दर्शाता है।


प्रश्न 29. निम्न में अम्लीय ऑक्साइड है


(a) Al₂O₂


(b)K₂O


(C ) MgO


(d) P₂O₅



उत्तर (d) अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय होते हैं तथा फॉस्फोरस (P) एक अधातु है। PO₅ जल में घुलकर अम्ल का निर्माण करता है।



प्रश्न 30. मुद्रा धातु है


(a) Zn


(b) Sn


(c) Pb 


(d) Cu


उत्तर (d) Cu को मुद्रा धातु कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग मुद्रा के निर्माण में किया जाता है।



प्रश्न 31. निम्नलिखित में क्षारीय धातु है 


(b) Be


(a) Na


(c) Al


(d) Zn


उत्तर (a) सोडियम धातु आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त के प्रथम वर्ग (समूह) का तत्व है। प्रथम वर्ग (समूह) के सदस्यों को क्षारीय धातुएँ कहा जाता है।




प्रश्न 32. तत्त्व जो क्षारीय ऑक्साइड बनाता है, का परमाणु क्रमांक है 


(a) 18 


(b) 17 


(c) 14


(d) 19


उत्तर (d) 19, जोकि पोटैशियम का परमाणु क्रमांक है तथा वर्ग-1 का सदस्य है। वर्ग-1 के सभी धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाते हैं।


प्रश्न 33. क्षार धातुएँ हैं


 (a) Be. Mg. Ca


(D) Li, Na. K


(c) B. AJ Ga.


(d) Cu. Ag. Au


उत्तर (b) प्रथम वर्ग के तत्वों को क्षार धातुएँ कहते हैं तथा Li, Na. K प्रथम वर्ग के सदस्य है अर्थात् क्षार धातुएं है।



प्रश्न 34. Li विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है



(a) Na के साथ


(b) K के साथ


(c) Al के साथ


(d) Mg के साथ


उत्तर- (d) Mg के साथ


प्रश्न 35. निरूपक (प्रारूपिक) तत्त्व है


(a) Na


(b) K


(c) Sc


(d) He


उत्तर- (a) Na


प्रश्न 36. निम्नलिखित में क्षारीय धातु है


(a) Na


(b) Be


(c) Al


(d) Zn


उत्तर- (a) Na


प्रश्न 37. उभयधर्मी ऑक्साइड है




(a) Na₂O


(b) MgO


(c) AI₂O₃


(d) PO₅


उत्तर- (c) Al₂O₃


प्रश्न 38. एक तत्त्व के क्लोराइड का सूत्र MCI₂है। इसके ऑक्साइड का सूत्र है



(a) MO₂


(b) MO


(c) M₂O₃


(d) M₂0


उत्तर- (b) MO


प्रश्न 39. एक तत्त्व M के कार्बोनेट का सूत्र MCO₃है। इसमें क्लोराइड का सूत्र होगा



(a) MCl₂


(c) MCI


(b) MCl₃


(d) M₂Cl




उत्तर- (a) MCI₂



लघुउत्तरीय प्रश्न



प्रश्न 1. Mg, Al, S, CI में कौन-सा तत्व अधिक विद्युत-ऋणी है व क्यों?



उत्तर ये सभी तृतीय आवर्त के तत्व हैं तथा Mg से Cl की तरफ परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ तत्व का आकार घटता जाता है अर्थात् बाएँ से दाएँ जाने पर विद्युत-ऋणात्मकता (इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता) का मान बढ़ता है। अतः Cl सर्वाधिक विद्युत-ऋणी है। 


प्रश्न 2. 11 Na तथा 12 Mg में किस तत्व के आयनन विभव का मान अधिक होगा? कारण दीजिए।


उत्तर आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणवीय आकार घटता है। इसलिए Mg का परमाणवीय आकार Na से कम है, क्योंकि बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है तथा छोटे आकार के परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए Na की अपेक्षा अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अत: Mg के आयनन विभव का मान Na से अधिक होता है।


प्रश्न 3. (i) क्षारीय मृदा तत्व पर टिप्पणी लिखिए।


अथवा क्षारीय मृदा तत्व क्या होते हैं?


(ii) किसी एक क्षारीय ऑक्साइड तथा उदासीन ऑक्साइड का सूत्र लिखिए। 


उत्तर 

(i) आवर्त सारणी के वर्ग-II के तत्व, जैसे-Be, Mg, Ca, Sr, Ba तथा Ra क्षारीय मृदा धातु कहलाते हैं। इनके ऑक्साइडों के क्षारीय गुण और मिट्टी में पाए जाने के कारण इन्हें क्षारीय मृदा तत्व कहा जाता है। 


(ii) क्षारीय ऑक्साइड - NazO; उदासीन ऑक्साइड – CO



प्रश्न 4. आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है?



 (i) परमाणु त्रिज्या


(iii) आयनन विभव



उत्तर (i) परमाणु त्रिज्या आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु त्रिज्या के मान में कमी आती है, क्योंकि आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर नाभिकीय आवेश के मान में वृद्धि होती है (अर्थात्) नाभिकीय आकर्षण बल के में मान में वृद्धि होती है, परिणामस्वरूप त्रिज्या के मान में कमी आती है।



(iii) आयनन विभव आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर आयनन विभव के मान में वृद्धि होती है, क्योंकि बाएँ से दाएँ जाने पर आवर्त में नाभिकीय आवेश में वृद्धि होने के कारण परमाणवीय आकार में कमी होती है। आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों के आयनन विभव के मान उच्च होते हैं।


प्रश्न 5. द्वितीय आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों के निम्नलिखित गुण किस प्रकार परिवर्तित होते हैं?



(i) विद्युतऋणात्मकता


(ii) धात्विक प्रकृति


उत्तर (i) विद्युतऋणात्मकता किसी आवर्त (या द्वितीय आवर्त) में बाएँ से दाएँ जाने पर विद्युतऋणात्मकता के मान में वृद्धि होती है, अत: हैलोजन समूह के तत्व अधिक विद्युतऋणात्मक होते हैं।


(ii) धात्विक गुणों में परिवर्तन प्रत्येक आवर्त (या द्वितीय आवर्त) में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों के परमाणु क्रमांकों में वृद्धि के साथ तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती हैं। द्वितीय आवर्त में तत्वों की धात्विक प्रकृति निम्न प्रकार घटती है 


 धात्विक लक्षण घटता है

धातु   Li    Be    B    C    N   O   F अधातु

           



प्रश्न 6. Mg, Al, S, CI में कौन-सा तत्व अधिक विद्युत ऋणी है क्यों?



उत्तर ये सभी तृतीय आवर्त के तत्व हैं तथा Mg से Cl की तरफ परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ तत्व का आकार घटता जाता है अर्थात् बाएँ से दाएँ जाने पर विद्युतऋणात्मकता (इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता) का मान बढ़ता है। अत: Cl सर्वाधिक विद्युत ऋणी है। 





प्रश्न 7. क्या डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए। 


 उत्तर- हाँ, डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं। 


उदाहरणार्थ: Li, Na, K डॉबेराइनर के त्रिक हैं जो न्यूलैंड्स के अष्टक के 'रे' स्तंभ में उपस्थित हैं।




प्रश्न 8. डॉबेराइनर के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं?


उत्तर


(i) उस समय ज्ञात सभी तत्त्वों का वर्गीकरण डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।


(ii) डॉबेराइनर केवल तीन तत्त्वों के त्रिक को उस समय पहचान सके। यही कारण है कि डॉबेराइनर के त्रिक को मान्यता प्राप्त नहीं हुई।


प्रश्न.9 न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं? 


 उत्तर


(1) यह नियम केवल Ca तक के परमाणु भार वाले तत्त्वों को वर्गीकृत कर पाता है। इसके बाद आठवाँ तत्त्व प्रथम तत्त्व से समानता प्रदर्शित नहीं करता है।


(ii) न्यूलैंड्स ने माना कि केवल 56 तत्त्व ही सम्भव हैं, अन्य तत्त्वों का आविष्कार नहीं हो सकता।


(iii) न्यूलैंड्स के अष्टक में कुछ ऐसे भी तत्त्व हैं जिनके गुणों में समानता नहीं पाई जाती है।


प्रश्न 10. आधुनिक आवर्त नियम लिखिए।


उत्तर- आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।




लघु उत्तरीय प्रश्न      4 अंक


प्रश्न 1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए।


(i) डोबेराइनर का त्रिक सिद्धान्त


 (ii) न्यूलैण्ड का अष्टक सिद्धान्त 


अथवा निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


(i) न्यूलैण्ड का अष्टक नियम


(ii) निरूपक या प्रारूपिक तत्व


अथवा प्रारूपिक तत्व या निरूपक तत्व क्या हैं? इनकी विशेषताएँ लिखिए।




उत्तर


(i) डोबेराइनर का त्रिक नियम


डोबेराइनर ने समान गुण वाले तीन-तीन तत्वों के समूह बनाए तथा यह ज्ञात किया कि यदि समान गुण वाले तीन तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु

भार के क्रम में रखा जाए, तो बीच वाले तत्व का परमाणु भार पहले तथा तीसरे तत्व के परमाणु भारों के औसत के बराबर होता है। इस प्रकार के समूह डोबेराइनर के त्रिक समूह कहलाते हैं।



दोनों सिरों के तत्वों का औसत परमाणु भार = 7+39 = 23 2


अतः Na तत्व का परमाणु भार = 23


इसी प्रकार, क्लोरीन, ब्रोमीन एवं आयोडीन भी एक त्रिक का निर्माण करते हैं। उपरोक्त नियम सफल नहीं हो सका क्योंकि अधिकांश तत्वों के परमाणु भार त्रिक समूह नहीं बना सकें।



(ii) न्यूलैण्ड का अष्टक नियम


सन् 1863 में न्यूलैण्ड ने देखा कि यदि तत्वों को उनके परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया जाए, तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों से समानता प्रदर्शित करते हैं, जिस प्रकार संगीत में आठवें स्वर की ध्वनि प्रथम स्वर के समान होती है।





प्रश्न 2. संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? इन तत्वों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।


अथवा संक्रमण तत्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर संक्रमण तत्व वे तत्व जिनकी बाहरी दो उपकक्षाएँ पूर्णतया नियमानुसार भरी हुई नहीं होती हैं तथा वे परिवर्तनशील संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। VIII समूह के तत्व तथा इस प्रकार के सभी B उपसमूह के तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं।


इनकी सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं



(i) संक्रमण तत्व रंगीन आयन बनाते हैं।


(ii) इन तत्वों में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति पायी जाती है।


 (iii) ये तत्व परिवर्तनशील संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।


(iv) इन तत्वों में रिक्त कक्षक होने के कारण ये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।


(v) इन तत्वों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण ये अनुचुम्बकीय प्रवृत्ति दर्शाते हैं




मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी किसे कहते हैं इसके गुण तथा दोष



मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी 





अब तक हमें 116 तत्वों की जानकारी है तथा इनमें से 94 तत्व प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं। तत्वों के वर्गीकरण में डोबेराइनर, न्यूलैण्ड, मेण्डेलीफ तथा बोहर आदि वैज्ञानिकों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है।


मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी


 इसके अनुसार, तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात् तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित करने पर एक निश्चित समयान्तराल पर गुणों की पुनरावृत्ति होती है।


मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी के मुख्य तथ्य


मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी के मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं


(i) इस सारणी में तत्वों को परमाणु भार (सामान्य लक्षण) के बढ़ते क्रम में रखा गया है।


(ii) इस सारणी में 12 क्षैतिज पंक्तियाँ (Horizontal rows) या श्रेणियाँ (Series) एवं 8 ऊर्ध्वाधर स्तम्भ (Vertical columns) या समूह या वर्ग (Groups) हैं।


(iii) एक समूह के सभी तत्वों के गुण समान होते हैं।


(iv) तत्वों को क्रमबद्ध करते समय यह ध्यान रखा गया है कि समान गुणों वाले तत्व एक ही समूह में रहें, ऐसा करने हेतु कहीं-कहीं एक रिक्त स्थान छोड़ा गया है।


मेण्डेलीफ आवर्त सारणी की उपलब्धियाँ


(i) तत्वों के गुणों का क्रमबद्ध अध्ययन इस सारणी से तत्वों के गुणों का अध्ययन सरल हो गया, क्योंकि समान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखा गया है।


(ii) नए तत्वों की खोज इस सारणी में मेण्डेलीफ ने कई खाली स्थान छोड़ दिए थे क्योंकि उनके अनुसार, इन स्थानों के तत्व भविष्य में खोजे जाने थे अर्थात् इन तत्वों के गुणों तथा परमाणु की भविष्यवाणी हो चुकी थी। बाद में ये सभी तत्व खोजे गए व इनके गुण भी वही मिले, जो मेण्डेलीफ द्वारा बताए गए थे। उदाहरण स्कैण्डियम (44.96), गैलियम (69.72) तथा जर्मेनियम (72.59) ऐसे ही तीन तत्व हैं। गैलियम व जर्मेनियम को प्रारम्भ में क्रमश: एका-ऐलुमिनियम (Eka-aluminium) तथा एका-सिलिकॉन (Eka-silicon) नाम दिया गया था।


(iii) परमाणु भारों एवं संयोजकता में संशोधन यह सारणी बनाते समय मेण्डेलीफ ने अनेक तत्वों के परमाणु भारों में संशोधन किया।


चूँकि परमाणु भार = तुल्यांकी भार ×संयोजकता


एवं Be का तुल्यांकी भार = 4.5


अतः इसे त्रिसंयोजी मान कर इसका परमाणु भार = 4.5 x 3 = 13.5 माना गया। परन्तु इसके गुण द्वितीय समूह के समान पाए गए, अतः इसकी संयोजकता में संशोधन करके Be की संयोजकता 2 की गई और सही परमाणु भार 4.5 x 2 = 9 प्राप्त किया। अतः इसे द्वितीय समूह में स्थान दिया गया।


(iv) तत्वों के गुणों में समानता के आधार पर सारणी बनाते समय मेण्डेलीफ ने कुछ स्थानों पर अधिक परमाणु भार के तत्वों को कम परमाणु भार के तत्वों से पहले रखा।


(v) अक्रिय गैसों (He, Ne, Ar आदि) की खोज बाद में हुई। अतः इन्हें एक नए वर्ग में अलग स्थान दिया गया।



मेण्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष



(i) असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखना।


 (ii) समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखना।


(iii) भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखना।


(iv) समस्थानिकों तथा समभारिकों का स्थान


(v) आठवें समूह के तत्वों को तीन उर्ध्वाधर स्तम्भों में रखा जाना।











आधुनिक आवर्त सारणी किसे कहते हैं इसकी विशेषताएं


मोजले की आवर्त सारणी




आधुनिक आवर्त सारणी


हेनरी मोजले ने सन् 1913 में परमाणु क्रमांक की खोज करने के पश्चात् यह सिद्ध किया, कि परमाणु का आधारभूत गुण परमाणु क्रमांक है, न कि परमाणु भार। इस आधार पर उसने एक नया (संशोधित) नियम दिया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा जाता है।


इस नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं। अर्थात् तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु क्रमांकों के क्रम में व्यवस्थित करने पर एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात् गुणों की पुनरावृत्ति होती है।


तृतीय आवर्त के तत्व प्रारूपिक तत्व कहलाते हैं, क्योंकि ये अपने-अपने वर्गों के मुख्य लक्षणों को प्रदर्शित करते हैं।


उदाहरण Na (प्रथम वर्ग/तृतीय-आवर्त) प्रारूपिक तत्व है।


प्रारूपिक तत्वों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं


(a) ये अपने समूह की संयोजकता को दर्शाते हैं।


 (b) ये समूह के विद्युत रासायनिक लक्षणों को प्रकट करते हैं।




आधुनिक आवर्त सारणी के गुण


 आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर कॉलम जिन्हें वर्ग कहते हैं तथा 7 क्षैतिज पंक्ति होती हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं।





वर्ग की विशेषताएँ


आधुनिक आवर्त सारणी में वर्गों की विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं 


1• वर्गों को उपवर्गों में विभाजित नहीं किया गया है।


2.किसी वर्ग के सभी तत्वों के संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। 


3. तत्वों के भौतिक गुणों (जैसे-गलनांक, क्वथनांक, घनत्व, आदि) में क्रमिक परिवर्तन होता है।


4. किसी वर्ग के सभी तत्वों की संयोजकता समान होती है।



आवतों की विशेषताएँ


आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त की विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं


1.आवर्त में तत्वों के संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान नहीं होती, परन्तु कक्षकों की संख्या समान रहती है।


2• संयोजी कक्षक में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु क्रमांक में एक यूनिट की वृद्धि के साथ संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या में भी एक यूनिट की वृद्धि होती है। अतः भिन्न तत्वों के परमाणु, जिनके कक्षकों की संख्या समान हो, समान आवर्त में रखे जाते हैं।


3• संयोजी कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बदलने के साथ ही तत्वों के रासायनिक गुण बदल जाते हैं।


4• विभिन्न आवर्तो में, इलेक्ट्रॉनों की संख्या भिन्न हो सकती है, इसे कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों के भरने के आधार पर समझाया जा सकता है। किसी कक्षक में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n² हो सकती है।

 जहाँ, n = दिए गए परमाणु के कक्षकों की संख्या है।


जैसे-K- कक्षक (कोश) = 2 x (1)² = 2 (अति लघु आवर्त)


L- कक्षक (कोश) = 2 x (2)² = 8 (लघु आवर्त)


M- कक्षक (कोश) = 2 × (3)² = 18 (दीर्घ आवर्त) परन्तु अन्तिम कक्षा में अधिकतम केवल 8 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं अतः इसे लघु आवर्त कहा जाता है।


5.चतुर्थ एवं पाँचवें आवर्त में 18 तत्व होते हैं एवं इन्हें दीर्घ आवर्त कहा जाता है।



6. छठें तथा सातवें आवर्त में 32 तत्व हो सकते हैं, अतः इन्हें भी दीर्घ आवर्त कहा जाता है।




दीर्घाकार या प्रवर्धित आवर्त सारणी


(i) दीर्घाकार आवर्त सारणी में मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी की भाँति ही क्षैतिज पंक्तियों की संख्या 7 है जिन्हें आवर्त कहते हैं परन्तु वर्गों की कुल संख्या 18 है।


(ii) इस आवर्त सारणी में परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक के तत्वों को लैन्थेनॉइड व 90 से 103 तक के तत्वों को ऐक्टिनॉइड के रूप में सारणी से बाहर रखा गया है।


(iii) इस सारणी में शून्य वर्ग को अक्रिय गैस कहा जाता है। 


(iv) इस सारणी में वर्ग-1 (H को छोड़कर) के तत्वों को क्षार धातु तथा वर्ग-2 के तत्वों को क्षारीय मृदा धातुएँ कहते हैं।


(v) इस सारणी में वर्ग-13, 14, 15, 16 तथा 17 के तत्वों को सामान्य तत्व कहा जाता है, जिनमें धातु, अधातु एवं उपधातु सम्मिलित हैं तथा सारणी में वर्ग-3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 तथा 12 के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं। वर्ग-11 के तत्वो को मुद्रा या सिक्का धातु भी कहा जाता है, क्योंकि इनका उपयोग मुद्रा के निर्माण में किया जाता है। 


(vi) दीर्घाकार आवर्त सारणी में अधिक धात्विक लक्षण वाले तत्वों को बाएँ ओर तथा अधिक अधात्विक लक्षण वाले तत्वों को दाएँ ओर रखा गया है।





प्रश्न . दीर्घाकार आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।



या दीर्घाकार आवर्त-सारणी के चार गुण लिखिए। 


उत्तर- दीर्घ आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ


1. यह सारणी तत्त्वों के अधिक मौलिक गुण (परमाणु क्रमांक) पर आधारित है।


2. इसमें तत्त्वों की स्थिति का सीधा सम्बन्ध उसके परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से है; अतः यह एक अति आदर्श प्रबन्ध है।


3. इससे तत्त्वों के रासायनिक गुणों में समानता, भिन्नता तथा अन्य क्रमिक परिवर्तनों का स्वयं ही आभास हो जाता है।


4. इस आवर्त सारणी को याद करना सरल है।


5. इसमें उप-समूहों को बिल्कुल ही पृथक कर दिया गया है तथा उप-समूहों के अन्तर्गत सभी तत्त्व परस्पर समानता दर्शाते हैं।


6. इस सारणी में आगे और भी विभाजन किये गये हैं: जैसे—सक्रिय तत्त्व, संक्रमण तत्त्व, विरल मृदा धातु (लैन्थेनाइड) व रेडियो-ऐक्टिव धातु (ऐक्टिनाइड), उपधातु आदि।



विकर्ण सम्बंध किसे कहते हैं परिभाषा उदाहरण सहित





विकर्ण सम्बन्ध


आवर्त सारणी के दूसरे व तीसरे लघु आवर्गों में 8-8 तत्व हैं। इन द्वितीय व तृतीय


आवर्गों के कुछ तत्वों में विकर्ण सम्बन्ध हैं अर्थात् विकर्ण के सिरों पर स्थित दोनों


तत्वों के गुणों में समानता पायी जाती है, इसे विकर्ण सम्बन्ध कहा जाता है।


दूसरा आवर्त      Li       Be        B         C



तीसरा आवर्त    Na      Mg       Al         Si



विकर्ण सम्बन्ध के कारण, Li के गुण Mg के गुणों से समानता दर्शाते हैं, Be के गुण AI के गुणों से तथा B के गुण Si के गुणों के साथ समानता दर्शाते हैं।



                   अथवा 



विकर्ण सम्बन्ध


s- तथा p-ब्लॉक तत्वों में किसी वर्ग के दूसरे आवर्त का तत्व अपने वर्ग के शेष तत्वों की अपेक्षा अगले वर्ष के तीसरे आवर्त के तत्व के साथ अधिक समानता प्रदर्शित करता है, जिसे विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं।


उदाहरण


Li            Be            B               C              N


Na         Mg           AI               Si              P




मेण्डेलीफ के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियमों के अन्तर को लिखिए।


उत्तर आधुनिक आवर्त नियम तत्वों के परमाणु क्रमांकों पर, जबकि मेण्डेलीफ का आवर्त नियम परमाणु भारों पर आधारित है। आवर्त के लक्षण



(i) आवर्त सारणी के आवर्त में तत्वों की संयोजकता बाएँ से दाएँ जाने पर मध्य तक बढ़ती है, तत्पश्चात घटती है।


(ii) आवर्त में तत्वों के धात्विक गुण बाएँ से दाएँ जाने पर घटते हैं।





मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी एवं आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।


उत्तर





मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी

आधुनिक आवर्त सारणी

तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में व्यवस्थित किया गया है।

तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांकों के क्रम में व्यवस्थित किया गया है।

इसमें 8 समूह तथा 6 आवर्त हैं।

इसमें 18 समूह तथा 7 आवर्त हैं।

इसमें 7 समूहों को A तथा B उपसमूहों में बाँटा गया है।

इसमें समूहों को उपसमूहों में नहीं बाँटा गया है।




प्रश्न (i) क्षारीय मृदा तत्व पर टिप्पणी लिखिए।


अथवा क्षारीय मृदा तत्व क्या होते हैं?



(ii) किसी एक क्षारीय ऑक्साइड तथा उदासीन ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।




उत्तर (i) आवर्त सारणी के वर्ग-II के तत्व; जैसे- Be, Mg, Ca, Sr, Ba तथा Ra क्षारीय मृदा धातु कहलाते हैं। इनके ऑक्साइडों के क्षारीय गुण और मिट्टी में पाए जाने के कारण इन्हें क्षारीय मृदा तत्व कहा जाता है। 


(ii) क्षारीय ऑक्साइड – Nag O; 


उदासीन ऑक्साइड – CO 





इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की सहायता से किसी तत्व की आवर्त सारणी में स्थिति ज्ञात करना




इसके लिए सर्वप्रथम दिए गए तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखते हैं। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में उपस्थित कोशों की संख्या तत्व की आवर्त संख्या को दर्शाती है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास द्वारा प्रदर्शित संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या तत्व की वर्ग संख्या को दर्शाती है।


 उदाहरण परमाणु क्रमांक 19 वाले तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8. 1 है। चूँकि इसमें चार कोश उपस्थित हैं अतः यह चतुर्थ आवर्त का तत्व है। अन्तिम कोश में एक इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण इसकी वर्ग संख्या 1 (IA) है। एक इलेक्ट्रॉन का दान करने के पश्चात् यह स्थायी विन्यास प्राप्त कर लेता है अतः इसकी संयोजकता भी 1 है।


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