अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय || Atal Bihari Vajpayee ka jeevan parichay
अटल बिहारी बाजपेई
25 दिसंबर 1924 - 16 अगस्त 2018
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए
अटल बिहारी वाजपेई का जन्म कब और कहां हुआ था?
भारतीय इतिहास में तीन बार के प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 25 दिसंबर 1924 में मध्य प्रदेश जिले के ग्वालियर के एक गांव में हुआ था। (पैत्रक गांव - बटेश्वर)। उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेई एक शिक्षक और एक कवि भी थे। उनकी माता का नाम कृष्णा देवी बाजपेई और उनके 7 भाई-बहन भी थे।
प्रारंभिक जीवन
वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे और 1967 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लंबे समय तक 'राष्ट्रधर्म', 'पांचजन्य' और 'वीर-अर्जुन' आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
वे तीन बार प्रधानमंत्री बने पहली बार 13 दिन के लिए 16 मई से 1 जून 1996 तक, दूसरी बार फिर 13 महीने के लिए 1986 से 1999 तक तथा तीसरी बार 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा (निचले सदन), दस बार और दो बार राज्यसभा (ऊपरी सदन) में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया, 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयं-सेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ करने वाले बाजपेई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजक) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए।
राजनीतिक जीवन
वाजपेई जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रूचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जनसंघ के नाम से जाना जाता था।
वाजपेई जी राजनीति के क्षेत्र में 4 दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में 9 बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। बाजपेई 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।
अटल बिहारी वाजपेई की शिक्षा (Atal Bihari Vajpayee ki Shiksha)
अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती स्कूल से हुई। लक्ष्मीबाई कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया इसके बाद कानपुर के डीएवी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। फिर वे आर. एस. एस. द्वारा प्रकाशित पत्रिका में बतौर संपादक का कार्य करने लगे और पूर्ण रूप से संघ कार्य में जुट गए।
अटल जी एक प्रखर वक्ता और कवि भी थे उन्होंने पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, वीर अर्जुन और दैनिक स्वदेश जैसी पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं प्रदान की।
1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने
कवि ह्रदय बाजपेई अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया।
वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे।
इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थाई समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।
अटल बिहारी वाजपेई की मृत्यु (Atal Bihari Vajpayee ki mrutyu)
अटल बिहारी वाजपेई ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में 93 साल की उम्र में 16 अगस्त 2018 को शाम 5:05 पर अपनी आखिरी सांस ली। उनकी मृत्यु का कारण यूरिन इन्फेक्शन को बताया गया उनकी अंतिम समय में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई बड़े दिग्गज नेताओं ने उनसे आखिरी मुलाकात की।
प्रधानमंत्री के कार्यकाल में अटल जी के द्वारा किए गए प्रमुख कार्य
1. भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया
सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेई जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए तो राजस्थान के पोखरण में सन 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परीक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था कि पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पाई थी। परमाणु परीक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगाए परंतु अटल जी ने इन सब चीजों की परवाह ना करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊंचाइयों तक ले गए।
2. पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की पहल की
अटल जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की, जिसे सदा-ए-सरहद का नाम दिया गया। बस सेवा शुरू करके दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात भी की।
3. कारगिल युद्ध (1999)
कुछ समय बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों द्वारा कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी और कई पहाड़ की चोटियों पर अपना कब्जा कर लिया। तब जवाबी कार्रवाई में अटल बिहारी जी की सरकार ने ठोस कदम उठाए और भारतीय सेना को खुला समर्थन दिया। जिससे कि हमारी सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया और धूल चटा दी।
4. स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना
अटल बिहारी वाजपेई जी ने ही भारत के सड़क मार्ग को जोड़ने का काम चारों कोनों से किया है। इसमें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों को राजमार्गों से जोड़ने का काम किया गया जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का नाम दिया गया और अभी तक अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार ने ही सबसे ज्यादा सड़के बनवाई है।
अटल बिहारी वाजपेई की प्रमुख रचनाएं (पुस्तकों के नाम)
जैसा कि दोस्तों हमने आपको पहले भी बताया है कि अटल जी एक अच्छे प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी रहे हैं उनके द्वारा प्रकाशित कुछ रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं-
भारत की विदेश नीति : नई डायमेंशन
राजनीति की रपटीली राहें
राष्ट्रीय एकीकरण
क्या खोया क्या पाया
मेरी इक्यावन कविताएं
न दैन्यं न पलायनम्
21 कविताएं
Decisive Days
असम समस्या : दमन समाधान नहीं
शक्ति से संति
Back to square one
Dimension of an open society
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