महादेवी वर्मा का जीवन परिचय/Mahadevi verma ka jivan parichay

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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय/Mahadevi verma ka jivan parichay

 महादेवी वर्मा का जीवन परिचय/Mahadevi verma ka jivan parichay


Mhadevi verma ka sahityik Parichay


Mahadevi Verma ka jivan Parichay Hindi main


Mahadevi Verma ka jivan Parichay PDF




महादेवी वर्मा का जीवन परिचय/Mahadevi verma ka jivan parichay


नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस वेबसाइट पर दोस्तों आज की इस पोस्ट में बात करेंगे हिंदी साहित्य में निहार, रश्मि में एवं दीपशिखा की रचना करने वाली प्रमुख साहित्यकार कयवित्री माने जाने  वाली महादेवी वर्मा का जीवन परिचय अपको इस पोस्ट में देखने को मिलेगा दोस्तों यह किसने सोचा था कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले से निकली एक युवती महादेवी वर्मा के नाम से प्रसिद्ध होगी और अपनी रचनाओं का एहसास आम जनमानस में घोला की जन जन उसकी रचनाओं का दीवाना हो जाएगा जी हां आज हम अपने पोस्ट में इन हिंदी साहित्य की ऐसे ही महान कयवित्री एवं नीरजा रश्मि निहार एवं दीपशिखा तथा हिंदी के महान कयवित्री साहित्यकार महादेवी वर्मा जी के जीवन का संक्षिप्त वर्णन आपको को बताएंगे महादेवी वर्मा जी के जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय के बारे में आप लोगों को बताने जा रहे हैं दोस्तों महादेवी वर्मा का एक ऐसा नाम जिसे हिंदी साहित्य का पर्याय माना जाता है दोस्तों जब जब नीरजा रश्मि एवं यामा का नाम लिया जाएगा तब-तब महादेवी वर्मा जी का नाम भी सदैव समाज याद करेगा दोस्तों यह किसने सोचा था कि उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में जन्मी एक बालिका नीरजा रश्मि एवं दीपशिखा जैसे महत्वपूर्ण कृतियों की रचना करेंगे ना ही यह किसी ने सोचा होगा कि फर्रुखाबाद जिले की माटी से निकली एक नन्ही बालिका जिसने नीरजा यामा दीपशिखा निहार एवं रश्मि जैसी महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध कृतियों की रचना की एक दिन हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा बनेगी! साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, एवं मंगला प्रसाद पुरस्कार से सम्मानित महान कवित्री महादेवी वर्मा का नाम साहित्य जगत में बहुत ही आदर और सम्मान से लिया जाता है महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा जिन्हें हिंदी के श्रेष्ठतम लेखकों में गिना जाता है महादेवी वर्मा एक ऐसा नाम जिसने अपनी कलम से हिंदी साहित्य जगत में क्रांति ला दी महादेव वर्मा एक ऐसा नाम जिसे हिंदी साहित्य में नीरजा एवं यामा जैसी श्रेष्ठ रचना के लिए जाना जाता है महान अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा के श्रेष्ठ साहित्यकार सिस्टम कवित्री महादेवी वर्मा जी को यदि हिंदी साहित्य का महान साहित्यकार भी कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी|

महादेवी वर्मा एक ऐसा नाम जिसने हिंदी साहित्य की दिशा और दशा को बदलने का कार्य किया यदि महादेवी वर्मा जी को हिंदी साहित्य का कोहिनूर हीरा भी कहा जाए तो इसमें कोई विवाद नहीं होगा क्योंकि उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नया कीर्तिमान स्थापित किया जिसे युगों युगों तक हिंदी साहित्य में याद रखा जाएगा महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कुछ ऐसे नए मानदंड और आयाम स्थापित कर दिए हैं जिन्हें हिंदी साहित्य जगत में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा दोस्तों यद्यपि महादेव वर्मा जी आज हम लोगों के बीच में नहीं लेते उनकी रचनाएं कब तृतीय विश्व भर के साहित्य प्रेमियों के हृदय में हमेशा जीवंत रहेगी तो दोस्तों ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के बारे में हम लोग आज जानेंगे तो दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट पसंद आए तो इसे अधिक से अधिक अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें दोस्तों यह तो सभी जानते हैं कि जब जब हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य के रचनाओं की बात होगी उस समय सबसे पहले जो नाम सबसे अगर पंक्ति में होगा वह नाम होगा महा कयवित्री महादेवी वर्मा जी महादेवी वर्मा जी एक ऐसा नाम जिसने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का ऐसा रस आम जनमानस में घोला की आज नैतिक शिक्षा, नैतिकता की रसमयी काव्यधारा केवल हिंदुस्तान में ही नहीं अपितु समस्त विश्व में बह रही है दोस्तों यदि यह पोस्ट आप लोगों को पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें और साथ ही कमेंट करे आप लोगों को कैसी लगी पोस्ट|


जीवन परिचय 

महादेवी वर्मा


जीवन परिचय एक दृष्टि में


नाम -महादेवी वर्मा 


जन्म -सन 1907 ईस्वी में


जन्म स्थान- उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में


मृत्यु -11 सितंबर सन 1987 ईस्वी में


माता जी का नाम -श्रीमती हेमा रानी देवी 


पिताजी का नाम -श्री गोविंद सहाय वर्मा


आरंभिक शिक्षा- मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में 


उच्च शिक्षा- प्रयाग


उपलब्धियां -महिला विद्यापीठ की प्राचार्य पदम भूषण पुरस्कार सेकसरिया तथा मंगला प्रसाद पुरस्कार भारत भारती पुरस्कार तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि


रचनाएं- निहार, रश्मि ,नीरजा ,सान्ध्यगीत, दीपशिखा


भाषा -खड़ी बोली 


साहित्य में योगदान- विधान छायावादी कवित्री के रूप में गीतात्मक भाव परख शैली का प्रयोग महादेवी जी की देन है 


पति का नाम- डॉक्टर स्वरूप नारायण मिश्रा


जीवन परिचय हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 मैं उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था इनके पिता गोविंद सहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे माता हेमरानी साधारण कवित्री थी एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थी इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी 9 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ ,किंतु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा!

 अत्यधिक परिश्रम के फलस्वरूप इन्होंने मैट्रिक से लेकर M.Aतक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्कृष्ट कि वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य पद को सुशोभित किया इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया साथ ही नारी की स्वतंत्रता के लिए यह सदैव संघर्ष करती रही इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा कला साहित्य साधना पर रविंद्र नाथ टैगोर का प्रभाव पड़ा|


साहित्यिक परिचय- महादेवी जी साहित्य और संगीत के अतिरिक्त चित्रकला में भी रुचि रखते थे सर्वप्रथम इनकी रचनाएं चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई यह चांद पत्रिका के संपादक का भी रहे इनकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने इन्हें पदम भूषण की उपाधि से अलंकृत किया इन्हें सेकसरिया तथा मंगला प्रसाद पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया वर्ष 1983 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा इन्हें ₹100000 का भारत भारती पुरस्कार दिया गया तथा इसी वर्ष का ग्रंथ यहां पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ यह जीवन पर्यंत प्रयाग में ही रहकर साहित्य साधना करती रही आधुनिक काल के साथ-साथ सिंगार में इनका अभिन्न योगदान है इनके काव्य में उपस्थित विरह वेदना अपनी भावात्मक जनता के लिए अमूल मानी जाती है इसी कारण इन्हें आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता है और भव्यता इनके काव्य की पहचान है 11 सितंबर 1987 को यह महान कवित्री पंचतत्व में विलीन हो गई|


रचनाएं- महादेवी जी ने पद एवं गत दोनों ही विधाओं पर समान अधिकार से अपनी लेखनी चलाई इनकी कृतियां निम्नलिखित हैं_

1-निहार 


2-रश्मि 


3-नीरजा 


4-सान्ध्यगीत

 

5-दीपशिखा


6-अन्य रचनाएं -अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रृंखला की कड़ियां, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता, मेरा परिवार, चिंतन के क्षण आदि प्रसिद्ध गद्य रचनाएं हैं| इनके अतिरिक्त सप्तवर्णा, संधिनी, आधुनिक कवि नामक गीतों के समूह प्रकाशित हो चुके हैं|


भाषा शैली- महादेवी जी ने अपने गीतों में स्निग्ध और सरल तत्सम प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग किया है इनकी रचनाओं में उपमा, रूपक, श्लेष मानवीकरण आदि अलंकारों की छटा देखने को मिलती है इन्होंने भावात्मक शैली का प्रयोग किया जो सांकेतिक एवं लाक्षणिक है इनकी शैली में लाक्षणिक प्रयोग एवं व्यंजना के प्रयोग के कारण अस्पष्टता व दूरूहता दिखाई देती है|


हिंदी साहित्य में स्थान- महादेवी जी की कविताओं में नारी हृदय की कोमलता और सरलता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है इनकी कविताएं संगीत की मधुरता से परिपूर्ण हैं इनकी कविताओं में एकाकीपन की भी झलक देखने को मिलती है हिंदी साहित्य में पत्र लेखन के साथ-साथ अपने गद्य लेखन द्वारा हिंदी भाषा को सजाने संवारने तथा अर्थ गंभीर प्रधान करने को जो प्रयत्न इन्होंने किया है वह प्रशंसा के योग्य हिंदी के रहस्यवादी कवियों में इनका स्थान सर्वोपरि है!


शिक्षा- छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत ही 9 वर्ष बाल्यावस्था में ही महादेवी वर्मा का विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया इससे उनकी शिक्षा का क्रम टूट गया क्योंकि महादेवी के ससुर लड़कियों से शिक्षा प्राप्त करने के पक्ष में नहीं थी लेकिन जब महादेवी के ससुर का स्वर्गवास हो गया तो महादेवी जी ने पुना शिक्षा प्राप्त करना शुरू किया वर्ष उन्नीस 20 में महादेवी जी ने प्रयाग से प्रथम श्रेणी में मिडिल पास किया वर्तमान उत्तर प्रदेश का हिसा प्रयागराज संयुक्त प्रांत के विद्यार्थियों में उनका स्थान सर्वप्रथम रहा इसके फलस्वरूप उन्हें छात्रवृत्ति मिली 1924 में महादेवी जी ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और पुनः प्रात बार में प्रथम स्थान प्राप्त किया इस बार भी उन्हें छात्रवृत्ति मिली वर्ष 1926 में उन्होंने इंटरमीडिएट और वर्ष 1928 में बीए की परीक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में प्राप्त की| व्हाट्सएप 1933 में महादेवी जी ने संस्कृत में मास्टर ऑफ आर्ट m.a. की परीक्षा उत्तीर्ण की  इस प्रकार उनका विद्यार्थी जीवन बहुत सफल रहा b.a. में उनका एक विषय दर्शन भी तथा। इसलिए उन्होंने भारतीय दर्शन का गंभीर अध्ययन किया इस अध्ययन की इच्छा पूर्ण पर अंत तक बनी रही !


महादेवी जी ने अपनी रचनाएं चांद में प्रकाशित होने के लिए भेजी हिंदी संसार में उनकी उन प्रारंभिक रचनाओं का अच्छा स्वागत हुआ इससे महादेवी जी को अधिक प्रोत्साहन मिला और फिर से वे नियमित रूप से काव्य साधना की ओर अग्रसर हो गई|


पुरस्कार- महादेवी वर्मा ने वर्ष 1934 में नीरजा पर र500 का पुरस्कार और सेकसरिया पुरस्कार जीता वर्ष 1940 में आधुनिक कवि और निहार पर 1200 का मंगला प्रसाद पारितोषिक भी जीता! भाषा साहित्य संगीत और चित्रकला के अतिरिक्त उनकी रूचि दर्शनशास्त्र में भी थी महादेवी वर्मा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1956 में पद्म भूषण से तथा वर्ष 1988 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें भारतेंदु पुरस्कार प्रदान किया गया वर्ष 1982 में काव्य संकलन यामा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया|


काव्य साधना- महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रसिद्ध कवित्री हैं छायावाद आधुनिक काल की एक सहेली होती है जिसके अंतर्गत विविध सौंदर्य पूर्ण अंगों का चेतन सत्ता का आरोप कर उनका मानवीकरण किया जाता है इस प्रकार इस में अद्भुत और सुंदर चेतना की अभिव्यक्ति को प्रमुख स्थान दिया जाता है महादेवी जी ने काव्य में यह दोनों विशेषताएं हैं अंतर मात्र इतना है कि जहां छायावाद के अन्य कवियों ने प्रकृति में उल्लास का अनुभव किया है वहीं इसके उलट महादेवी जी ने वेदना का अनुभव किया है महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में कल्पना के आधार पर प्रकृति का मानवीकरण कर उसे एक विशेष भाव स्मृति और गीतकार से विभूषित किया है इसलिए महादेवी जी ने की रचनाओं में छायावाद की विभिन्न भागवत व कलाकात विशेषताएं मिलती है|


काव्य भाव- महादेवी जी के काव्य की मूल भावना वेदना भाव लेकिन जीवन में वेदना भाव की उपज दो कारणों से मिलती है|


जीवन में किसी अभाव के कारण


 दूसरों के कष्टों से प्रभावित होने के कारण


मृत्यु- महादेवी वर्मा का निधन 11 सितंबर 1987 को प्रयाग वर्तमान प्रयागराज में हुआ महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक विख्यात कवित्री थी स्वतंत्रता सेनानी और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महान महिला थी|


महादेवी वर्मा को मिले पुरस्कार एवं सम्मान-

महादेवी वर्मा को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया इनको हर क्षेत्र में पुरस्कार मिले|


1-साहित्य अकादमी फेलोशिप (1979) 


2-ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982) 


3-पद्म भूषण पुरस्कार (1956) 


4-पदम भूषण (1988)


तो दोस्तों अगर आपको पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करें और आप साथ ही कमेंट करके बताएं आप लोगों को पोस्ट कैसी लगी दोस्तों यह थी महादेवी वर्मा जी के जीवन का संक्षिप्त जीवन परिचय जो आप लोगों के लिए बोर्ड एग्जाम के लिए मोस्ट इंपोर्टेंट है तो आप लोग इस पोस्ट को जरूर पढ़ें/


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