रूपक अलंकार किसे कहते हैं? Rupak Alankar Kise Kahate Hain | सबसे सरल उदाहरण
नमस्कार दोस्तों स्वागत है एक नए आर्टिकल में इस आर्टिकल में हम रूपक अलंकार के बारे में पढ़ेंगे, साथ ही रूपक अलंकार की परिभाषा और रूपक अलंकार के उदाहरण भी देखेंगे तो चलिए विस्तार से जानते हैं। - Rupak alankar Kise Kahate Hain.
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रूपक अलंकार किसे कहते हैं? Rupak Alankar Kise Kahate Hain |
रूपक अलंकार
परिभाषा (लक्षण) - जहां उपमेय में उपमान का भेदरहित आरोप किया जाता है अर्थात् उपमेय (प्रस्तुत) और उपमान (अप्रस्तुत) में अभिन्नता प्रकट की जाए, वहां रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण-
1. मुख-चंद्र तुम्हारा देख सखे! मन-सागर मेरा लहराता।
स्पष्टीकरण-
यहां मुख (उपमेय) में चंद्र (उपमान) का तथा मन (उपमेय) में सागर (उपमान) का भेद ना करके एकरूपता बताई गई है; अतः यहां रूपक अलंकार है।
2. 'चरण कमल बंदों हरि राइ।'
स्पष्टीकरण-
यहां चरण में कमल का भेद न रखकर एकरूपता बताई गई है।
अन्य उदाहरण-
1. हरि जननी, मैं बालक तेरा।
2. मुनि पद-कमल बंदी दोउ भ्राता।
3. अंसुवन जल सींची सींची प्रेम बेलि बोई।
4. माया दीपक नर पतंग भ्रमि भ्रमि पडंत।
5. बढ़त-बढ़त संपत्ति-सलिलु, मन सरोज बढ़ि जाए।
6. उदित उदयगिरि-मंच पर, रघुवर-बाल पतंग।
7. बिकसे संत-सरोज सब, हरषै लोचन भृंग।
8. अपने अनल-विशिख से आकाश जगमगा दे।
9. अनुराग तडा़ग में भानु उदै, विगसी मनो मंजुल कंज कली
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