विद्युत मोटर किसे कहते हैं? (Definition of electric motor)

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विद्युत मोटर किसे कहते हैं? (Definition of electric motor)

विद्युत मोटर किसे कहते हैं? (Definition of electric motor)

 विद्युत मोटर - विद्युत मोटर एक ऐसा साधन है, जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।

 (Definition of electric motor)

विद्युत मोटर की परिभाषा
(Definition of electric motor)

विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक पूजा में बदलने के लिए विद्युत मोटर का प्रयोग किया जाता है आइए गोदारा देखें आपके घर में मिक्सर आपके लिए क्या करता है? खेलने वाले ब्लेड आपके लिए चीजों को मैश और मिलाते हैं। और अगर कोई आपसे पूछे कि यह कैसे काम करता है तो आप क्या करेंगे। आप शायद कहेंगे कि यह बिजली पर काम करता है खैर, यह गलत नहीं है। मोटर्स विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक कार में परिवर्तित करती है। इसके विपरीत जनरेटर द्वारा किया जाता है जो यांत्रिक कार्य को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

सिद्धांत - जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुंडली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुंडली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र हो तो वह घूमने लगती है।


कार्य विधि - जब बैटरी से कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से, कुंडली की भुजाओं AB तथा CD पर बराबर, परंतु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं। ये बल एक बल-युग्म बनाते हैं, जिसके कारण कुंडली दक्षिणावर्त दिशा में घूमने लगती है। कुंडली के साथ उसके शेरों पर लगे विभक्त वलय भी घूमने लगते हैं। इन विभक्त वलयों की सहायता से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुंडली पर बल लगातार एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात कुंडली एक दिशा में घूमती रहे।


विभक्त वलय का महत्व - विभक्त वलय का कार्य कुंडली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है। जब कुंडली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से संपर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से संपर्क जुड़ जाता है। इसके फलस्वरूप कुंडली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुंडली एक ही दिशा में घूमती रहे।


विद्युत मोटर (Electric Motor) - यह एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है। इसका सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं, तो उस पर एक बल-युग्म कार्य करने लगता है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम द्वारा निर्धारित की जाती है। यह बल-युग्म कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में लगातार घुमाता रहता है।


रचना:- विद्युत मोटर में 3 मुख्य भाग होते हैं-


1. क्षेत्र चुंबक - यह एक शक्तिशाली चुंबक होता है, जिसके ध्रुव-खंड N व S हैं।


2. आर्मेचर - यह तांबे के तार के कई फेरों वाली एक कुंडली ABCD होती है जो की चुंबक के ध्रुव-खंडो NS के बीच घूमने के लिए स्वतंत्र है।


3. विभक्त वलय तथा ब्रुश - यह पीतल का एक छल्ला होता है, जो दो बराबर भागों में विभाजित होता है। ये दोनों भाग एक-दूसरे से पृथक्कृत होते हैं। कुंडली का एक सिरा वलय के एक भाग से तथा दूसरा दूसरे भाग से जुड़ा होता है। इन भागों को पृथक-प्रथक दो कार्बन के ब्रुश स्पर्श करते हैं। इन ब्रुशों का संबंध एक बैटरी से होता है। एक ब्रुश से विद्युत धारा कुंडली में प्रवेश करती है तथा दूसरे ब्रुश से बाहर निकलती है।


क्रिया विधि - जब बैटरी से कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम के अनुसार, कुंडली की भुजा AB पर एक बल नीचे की ओर, तथा भुजा CD पर एक बल ऊपर की ओर कार्य करने लगता है। इन दोनों बलों से बने बल-युग्म के कारण कुंडली वामावर्त (anti-clockwise) दिशा में घूमने लगती है। कुंडली के साथ उसके सिरों पर लगे विभक्त-वलय के भाग भी घूमते हैं परंतु बैटरी का धन ध्रुव सदैव बायें ब्रुश से कुंडली से जुड़ा रहता है तथा ऋण ध्रुव दायें ब्रुश से कुंडली से जुड़ा रहता है। अतः कुंडली उसी दिशा में घूमती रहती है।

विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा के रूपांतरण में होता है। इसके द्वारा बिजली के पंखे, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, मिक्सर, आटा पीसने की चक्की इत्यादि चलाए जाते हैं।


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