यूपी बोर्ड कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 7//up board class 12th Sociology chapter 7

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यूपी बोर्ड कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 7//up board class 12th Sociology chapter 7

 

यूपी बोर्ड कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 7//up board class 12th Sociology chapter 7

यूपी बोर्ड कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 7//up board class 12th Sociology chapter 7

यूपी बोर्ड मॉडल पेपर 2023 

कक्षा 12 

विषय समाजशास्त्र

 अध्याय 7 सांस्कृतिक परिवर्तन


बहुविकल्पी प्रश्न 

प्रश्न-1 भारतीय समाज के संदर्भ में पंथनिरपेक्षीयकरण का प्रभाव निम्न में से क्या है?


1-विभिन्न संस्कारों की प्रभावहीनता 


2-पवित्रता आपवित्रता की भावना का लोप 


3-अस्पृश्यता का अंत 


4-उपर्युक्त सभी


उत्तर 4-उपर्युक्त सभी


प्रश्न-2 आधुनिकीकरण के परिणाम स्वरुप परिवर्तन होता है-


1- सामाजिक व्यवस्था में 


2-सांस्कृतिक व्यवस्था में


3- व्यक्तित्व व्यवस्था में 


4-उपर्युक्त सभी में


उत्तर 4-उपर्युक्त सभी में


प्रश्न-3 भारतीय समाज के संदर्भ में पश्चिमीकरण का लक्षण या विशेषता है


1-भौतिकवाद 


2-वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार


3- स्त्रियों और पुरुषों के समान अधिकार 


4-उपर्युक्त सभी 


उत्तर 4-उपर्युक्त सभी


प्रश्न 4 प्रभु जाति की अवधारणा किसे  प्रतिपादित की? 


1-योगेश अटल


2- योगेंद्र सिंह


3- एम.एन. श्रीनिवास


4- एस. सी. दुबे 


उत्तर 3-एम.एन. श्रीनिवास


प्रश्न 5 संस्कृतिकरण की विशेषता है- 

1-संस्कृति का आदान-प्रदान 


3-केवल पद मूलक परिवर्तन 


3-उच्च जातियों का अनुसरण 


4-उपर्युक्त सभी


उत्तर 4-उपर्युक्त सभी


प्रश्न 6 संस्कृतिकरण की अवधारणा का प्रतिपादन निम्न में से किसने की है?


1-एम.एन. श्रीनिवास 


2-योगेंद्र सिंह 


3-एस.सी दुबे 


4-इरावती कर्वे


उत्तर1- एम.एन. श्रीनिवास


प्रश्न 7 संस्कृति की विशेषता निम्न में से कौन है? 


1-हस्तांतरण की विशेषता


2- परिवर्तनशील का तथा आदर्शात्मकता 


3-सीखा हुआ गुण तथा संगठित प्रतिमान 


4-उपर्युक्त सभी 


उत्तर 4-उपस्थित सभी


प्रश्न 8 पुणे में प्रथम महिला विद्यालय निम्न में से किसने स्थापित किया था 


1-ज्योतिबा फुले 


2-महात्मा गांधी 


3-विवेकानंद 


4-राजा राममोहन राय 


उत्तर1- ज्योतिबा फुले


प्रश्न-9 सती प्रथा निषेध अधिनियम पारित हुआ 


1-1815 


2-1829 


3-1863 


4-1894 


उत्तर 2- 1829


प्रश्न 10 भारत में आधुनिकीकरण का प्रमुख कारण है 


1-औद्योगिकरण 


2-नगरीकरण 


3-पश्चिमीकरण 


4-इनमें से सभी 


4-उत्तर इनमें से सभी


अति लघु उत्तरीय प्रश्न 


प्रश्न 1-  पश्चिमीकरण से आप क्या समझते हैं?


उत्तर- पश्चिमी करण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत लोगों ने पश्चिम के मूल्यों को अपनाना प्रारंभ कर दिया जिसके कारण संस्कृति तथा सामाजिक संरचना में बदलाव आए।


प्रश्न-2 आधुनिकीकरण शब्द का क्या मतलब है? 


उत्तर- आधुनिकीकरण एक बहुआयामी शब्द है यह लोगों के जीवन में निर्मित क्षेत्रों आर्थिक राजनीतिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक पक्षों को एक नया अर्थ प्रदान करता है।


प्रश्न 3 औपनिवेशिक भारत में सांस्कृतिक परिवर्तनो को जानने के लिए किन-किन आयामों को जाना आवश्यक है?


 उत्तर- औपनिवेशिक भारत में सांस्कृतिक परिवर्तनों को जानने के लिए आधुनिक संदर्भ में इसके तीन आयामों को जाना आवश्यक है -


  • संचार के प्रकार 


  • संगठनों के प्रकार 


  • विचारों की प्रकृति।


प्रश्न 4 संस्कृति क्या है? 


उत्तर- संस्कृति को एक अंतर क्रिया के रूप में देखा जाता है जो नियमित रूप से तथा बारंबार होती है। इसका संबंध ज्ञान ,विश्वास, कला, मूल्य, नियम ,परंपरा अथवा सामाजिक सदस्य के रूप में मनुष्य द्वारा अर्जित किसी अन्य क्षमता से है।


प्रश्न 5 सामाजिक संरचना को परिभाषित कीजिए |


उत्तर- समाज शास्त्रियों का मानना है कि सामाजिक संरचना व्यक्ति से संबंधों की सतत व्यवस्था है। संस्थाओं के द्वारा परिभाषित अथवा नियंत्रित की जाती है।


प्रश्न 6 आधुनिकीकरण की तीन विशेषताएं बताइए 


उत्तर-1- आधुनिकीकरण की अवधारणा का संबंध वैज्ञानिक मूल्यों से है। 


2-आधुनिकीकरण एक प्रकार की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्थाओं की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया है। 


3-आधुनिकीकरण के चलते लोग जाति बंधुओं और अंधविश्वासों से विमुख हो रहे हैं।


प्रश्न 7 भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं तीन  दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए ।


उत्तर-1- आधुनिकीकरण भारतीय आध्यात्मिक एवं नैतिक मूल्यों का क्षरण कर रहा है।


2- पाश्चात्य मूल्यों को अंगीकार करने के कारण हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों से विमुख हो रहे हैं। 


3-आर्थिक मूल्य सामाजिक व धार्मिक मूल्यों पर हावी हो रहे हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न-1 पंथनिरपेक्षी करण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 


उत्तर- पंथनिरपेक्षीकरण का तात्पर्य प्रगति से है जिसमें धर्म और विश्वास के मामलों में तर्क और युक्ति शीलता को अपनाया जाता है। यह समाज के विभिन्न पहलुओं के अलगाववादी प्रवृत्ति पर प्रकाश डालता है।

भारत में कानून की नजर में पंथनिरपेक्षी करण सबके लिए समान रूप से परिभाषित किया गया है। सरकार नीतियों के निर्धारण तथा उनके क्रियान्वयन में किसी भी धर्म के प्रति भेदभाव नहीं करेगी। सरकार कई तरह के पूर्वाग्रह से प्रेरित किसी भी नीति को अपनाने की अनुमति किसी व्यक्ति संस्थान या समुदाय को नहीं देगी।


प्रश्न-2 भारत में संस्कृतिकरण का प्रभाव व्यवसाय और धर्म के क्षेत्र में किस रूप में पड़ा? वर्णन कीजिए। 


उत्तर- भारत में संस्कृति करण का प्रभाव 


(क) व्यवसाय पर प्रभाव- किसी भी तरह की कार्य में जाति, धर्म अथवा शुद्धता को आधार नहीं बनाया गया। व्यवसाय को अपनाने के मापदंड उसी प्रकार से बदलते हैं, जिस प्रकार से जीवन शैली तथा शादी-ब्याह इत्यादि के मानकों में परिवर्तन आया है।


(ख) धार्मिक क्षेत्र पर प्रभाव- घंटों पूजा स्थलों पर बैठे रहने की बजाय लोग अब कार्य करते हुए प्रार्थना इबादत कर लेते हैं ।धार्मिक स्थलों पर जाने के बजाय अब वे टीवी चैनलों पर भी धार्मिक उपदेश सुन लिया करते हैं पंडितों तथा पुजारियों को दान दक्षिणा देने के बजाय अब वे दान की राशि चैरिटेबल संस्थानों को भी प्रदान करते हैं। जो सामाजिक कल्याण के कार्यो में संलिप्त है।


प्रश्न 3 पश्चिम के संदर्भ में पंथनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?


 उत्तर- पश्चिमी समाज में आमतौर से पंथनिरपेक्ष कर्ण का आशय समाज में धर्म के प्रभाव में कमी के रूप में लगाया जाता है। सार्वजनिक जीवन से धर्म को हटाने के पक्षधर हैं। क्योंकि यह व्यक्तिगत जीवन में स्वैच्छिक के बजाय अनिवार्यता के रूप में विद्यमान है।


प्रश्न-4 प्रभुत्व  वाली जाति का क्या आशय है? 


उत्तर- प्रभुत्व वाली जातियों से कहा जाता है। जिसके पास बड़े पैमाने पर भूमि होती है। जिनके सदस्यों की संख्या बहुत ही ज्यादा होती और जो संबंधित क्षेत्र में उच्च स्थान रखती है।


प्रश्न-5 सांस्कृतिक विविधता क्या है? उत्तर -सांस्कृतिक विविधता किसी देश अथवा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के समुदायों भाषा क्षेत्र जातीयता अथवा क्षेत्रीयता  के रूप में मौजूद होती है वस्तुता यह पहचान की बहुलता है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1 भारत में 19वीं और 20वीं शताब्दी में आरंभ हुए आंदोलनों को स्पष्ट कीजिए 


अथवा 


सामाजिक सुधार आंदोलन पर एक निबंध लिखिए।


उत्तर-19वी  और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुए समाज सुधार आंदोलन


निश्चय ही उपनिवेशवाद ने भारत के लोगों के जीवन को व्यापकता से प्रभावित किया। 19 वी सदी में हुए समाज सुधार आंदोलन उन चुनौतियों के प्रतिउत्तर थे जिन्हें औपनिवेशिक भारत अनुभव कर रहा था। भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों से भारतीय समाज बुरी तरह प्रभावित था। सती प्रथा बाल विवाह विधवा पुनर्विवाह निश्चित और जाति भेद कुछ इस प्रकार की कुरीतियां थी। ऐसा नहीं है कि उपनिवेशवाद से पूर्व भारत में इन सामाजिक भेदभावो को भक्तों एवं सूफी आंदोलनों के केंद्र में भी थे 19वीं सदी में हुए समाज सुधारक आधुनिक संदर्भ एवं मिश्रित विचारों से संबंद्ध थे। यह प्रयास पश्चिमी उदारवाद के आधुनिक विचार द्वारा प्राचीन साहित्य के प्रतीक नहीं जस्ट के मिले-जुले रूप में उत्पन्न हुए।


समाज सुधारकों के मिश्रित विचार


राजा राममोहन राय ने सती प्रथा का विरोध करते हुए न केवल मानवीय व प्राकृतिक अधिकारों से संबंधित आधुनिक सिद्धांतों का हवाला ही नहीं दिया बल्कि उन्होंने हिंदू शास्त्रों का भी संदर्भ दिया।


रानाडे ने विधवा विवाह के समर्थन में शास्त्रों का संदर्भ देते हुए द टेक्स्ट ऑफ द हिंदू लाँ जिसमें उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह को नियम के अनुसार बताया इस संदर्भ में उन्होंने वेदों के उन पक्षों का उल्लेख किया जो विधवा पुनर्विवाह की स्वीकृति प्रदान करते हैं और उसे शास्त्र सम्मत मानते हैं।



शिक्षा की नई प्रणाली में आधुनिक और उत्तर वादी प्रवृत्ति थी यूरोप में हुए पुनर्जागरण धर्म सुधारक आंदोलन और प्रबोधन आंदोलन से उत्पन्न साहित्य को सामाजिक विज्ञान और भाषा साहित्य में सम्मिलित किया गया इस नए प्रकार के ज्ञान में मानवतावादी पंथनिरपेक्ष और उदारवादी प्रवृत्तियां थी।


विभिन्न प्रकार के समाज सुधारक आंदोलन में कुछ विषयगत समानताएं थी परंतु साथ ही अनेक महत्वपूर्ण असहमतिया भी थी। कुछ में उन सामाजिक मुद्दों के प्रति चिंता थी। जो उच्च जातियों के मध्यवर्गीय महिलाओं और पुरुषों से संबंधित थी। जबकि कुछ ने तो यह माना कि सारी समस्याओं का मूल कारण सच्चे हिंदुत्व के सच्चे विचारों का कमजोर होना था। उसके लिए तो धर्म में जाति एवं लैंगिक शोषण अंतर्निहित था। यह तो हिंदू धर्म से संबंधित समाज सुधारक वाद विवाद था। इसी तरह मुस्लिम समाज सुधारकों ने बहु विवाद और पर्दा प्रथा पर सक्रिय स्तर पर बहस की उदाहरण के लिए जहांआरा शाहनवाज ने अखिल भारतीय मुस्लिम महिला सम्मेलन में बहुविवाह की कुप्रथा के विरुद्ध प्रस्तुत प्रस्ताव प्रस्तुत किया।


प्रश्न-2 आधुनिक सामाजिक संगठनों का वर्णन कीजिए। 


उत्तर- बंगाल में ब्रह्मा समाज तथा पंजाब में आर्य समाज की स्थापना की गई अखिल भारतीय मुस्लिम महिला कांग्रेस (अंजुमन ए ख्वातीन इस्लाम) का गठन 1914 में किया गया। भारतीय समाज सुधार को ने सामाजिक सुधार के विषय में ना केवल सार्वजनिक बैठकों में चर्चा की बल्कि सार्वजनिक मीडिया; जैसे समाचार पत्र तथा पत्र पत्रिकाओं में भी इस विषय पर अपने विचार प्रकट किए समाज सुधारकों के द्वारा किए गए लेखन कार्य को सामाजिक संगठनों के सहयोग से एक भारतीय भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद भी किया गया उदाहरण विष्णु शास्त्री ने विद्यासागर की पुस्तक इंदु प्रकाश का 1868 में मराठी में अनुवाद किया।


प्रश्न 3 आधुनिकीकरण का विस्तृत विवेचन कीजिए 


उत्तर- आधुनिकीकरण


आधुनिकीकरण की अवधारणा का प्रयोग विशेष तौर पर समाज में होने वाले परिवर्तनों या औद्योगिकरण के कारण पश्चिमी देशों में आए परिवर्तनों को समझाने के लिए किया गया है इसके साथ ही आधुनिकीकरण का प्रयोग उपनिवेश जी एवं विकासशील देशों में होने वाले परिवर्तनों को समझने के लिए भी किया गया है। कुछ समाज शास्त्रियों ने आधुनिकीकरण को उसके सांस्कृतिक पक्ष तक सीमित रखा तो कुछ ने उसके संरचनात्मक पक्ष को उभारा है कुछ अध्ययनों में आधुनिकीकरण को राजनीति से जोड़ा गया है तो कुछ में इसके मनोवैज्ञानिक अर्थ का विश्लेषण किया गया है कुछ इसे एक प्रक्रिया मानते हैं तो कुछ ऐसे प्रतिफल के रूप में स्वीकार करते हैं।


वास्तव में आधुनिकीकरण की अवधारणा का संबंध वैज्ञानिक मूल्यों से है यह किसी समाज और संस्कृति के घेरे में बंद नहीं है आधुनिकीकरण के बहुत सारे आयाम है इसे कई स्तरों पर देखा जाता है जैसे व्यक्ति समूह एवं समस्त समाज आधुनिकीकरण एक प्रकार की सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्थाओं की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया है जो 16वी से 19 वीं शताब्दी तक पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका एशियाई और अफ्रीकी देशों में विकसित हुई।


आधुनिकीकरण का भारतीय परिप्रेक्ष्य

भारत में ब्रिटिश काल के दौरान आधुनिकीकरण के विकास का क्रम आरंभ हुआ पश्चिमी देशों एवं समाजों के संपर्क में आने से सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक संस्थाओं में व्यापक परिवर्तन हुए। भारत में तत्कालीन ब्रिटिश शासन ने जहां एक और न्याय कृषि शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्रों में नई प्रणाली आरंभ की वहीं दूसरी ओर जमीदारी रैयतवाड़ी और महलवाड़ी जैसी नई भूमि प्रणालियों को लागू करके भारत में राजस्व वसूली को बढ़ाया गया। सरकारी नौकरियां का विस्तार हुआ और अधिकाधिक स्थानों पर भारतीयों को नियुक्त किया गया सेना और आयुद्ध प्रणाली को व्यवस्थित किया गया।


ब्रिटिश शासन के बाद अर्थात स्वतंत्र भारत में भी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही भारत में अपना संविधान लागू होने पर प्रजातंत्र की स्थापना हुई युवाओं और महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ। राजनीतिक पार्टियां लोकतांत्रिक व्यवस्था में शक्तिशाली रूप से उभरी। इस प्रकार राजनीतिकरण की प्रक्रिया पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से और भी अधिक गतिशील होती गई भारतीय गांव में सामाजिक गतिशीलता की गति भी अब पहले से अधिक बढ़ गई है उनके रहन-सहन का स्तर पहले से ऊंचा उठा है और भी जाति व्यवस्था व धर्म संबंधी अनेक अंधविश्वासों के प्रति सचेत होते जा रहे हैं केवल आधुनिक विचारों को ही नहीं अपितु आधुनिक व्यवहार प्रति मानव खाने-पीने के ढंग फैशन आदि का भी विस्तार ग्रामीण समुदायों में हो रहा है।


भारत में आधुनिकीकरण की दिशा दूसरे देशों की तुलना में बन रही है इस संदर्भ में दो महत्वपूर्ण तथ्यो की चर्चा की जा सकती है। पहला आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में कई पारंपरिक संस्थाओं और गतिविधियां फिर से आरंभ हो गई हैं उदाहरण के रूप में भारत में कई टीवी चैनल जैसे आस्था संस्कार साधना श्रद्धा आदि पूरी तरह धार्मिक प्रचार के लिए समर्पित है आधुनिकता की चकाचौंध धर्म में धर्म गुरुओं का अस्तित्व कायम ही नहीं बल्कि बढ़ रहा है। समाज में भौतिकवाद तथा विलासिता बढ़ रही है व्यक्तिवाद पनप रहा है फास्ट फूड रेस्टोरेंट क्रेडिट कार्ड मोबाइल फोन इंटरनेट चैटिंग टीवी चैनलों पर अश्लीलता परोसने जैसी नई संस्कृति विकसित हो रही है जो हमारी विश्व प्रसिद्ध प्राचीन तथा आध्यात्मिक संस्कृति को विकृत कर रही है।


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