जीवाश्म क्या है? जीवाश्मीकरण, (jivasm) जीवाश्म का महत्व/ उपयोग, प्रकार
मृत जीव जंतुओं तथा वृक्षों की वे सर रचनाएं जिन्हें प्रकृति द्वारा हजारों वर्षों तक सुरक्षित रखा गया हो, जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड नामक स्थान पर डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये डायनासोर 15 से 21 मीटर लंबाई का रहा होगा।
जीवाश्म ईंधन - कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हमें पृथ्वी के भीतर से प्राप्त होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सभी जीवाश्म ईंधन हैं क्योंकि ये सभी पदार्थ जीवों (वनस्पति एवं जंतु) के अवशेषों से बने हैं।
पेट्रोलियम से प्राप्त विभिन्न ईंधन जैसे एल.पी.जी., पेट्रोल तथा केरोसिन (मिट्टी का तेल) भी जीवाश्म ईंधन की श्रेणी में आते हैं।
करोड़ों वर्ष पूर्व प्राकृतिक आपदाओं के कारण पृथ्वी पर उपस्थित वनस्पति एवं जीव जंतु पृथ्वी की गहराई में दब गए। धीरे-धीरे उन पर मिट्टी एवं रेत की परतें जमती गई। पृथ्वी के भीतर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति, उच्च ताप एवं दाब के कारण कालांतर में जीव अवशेष कोयले में परिवर्तित हो गए।
पेट्रोलियम भी समुद्री जीव अवशेषों के समुद्र तल में दब जाने के कारण अनेक प्राकृतिक क्रियाओं के फल स्वरुप कालांतर में उत्पन्न हुआ माना जाता है।
करोड़ों वर्षों में बने कोयले एवं पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अमूल्य भंडार हैं, जिनका मानव द्वारा निरंतर उपयोग हो रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या, नए-नए उद्योग लगने तथा हमारी जीवन शैली में बदलाव के कारण इन ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कोयले के खनन के कारण जल एवं वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पेट्रोलियम शोधन के कारखाने वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं, साथ ही इन ईंधनों के उपयोग से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को अत्यधिक प्रदूषित कर रहा है जिससे अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
आज का मानव, आदिमानव की तुलना में 100 गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग करता है। ऐसा अनुमान है कि यदि ऊर्जा खपत की दर में इसी प्रकार बढ़ोतरी होती गई तो जीवाश्म ईंधनों के ये भंडार लगभग 21वीं शताब्दी के मध्य तक समाप्त हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में क्या होगा? सभी उद्योग एवं कारखाने बंद हो जाएंगे। सभी कार्य बिना मशीनों की सहायता से अर्थात् पेशियों द्वारा करने होंगे, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। क्या हम वर्तमान समय में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस तथा बिजली के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं? यदि नहीं तो ऊर्जा संकट के से निपटने के लिए आवश्यक है कि-
1. ऊर्जा के अपव्यय को रोका जाए अर्थात् आवश्यकता के अनुसार ही कम से कम मात्रा में ऊर्जा का उपयोग किया जाए।
2. ऊर्जा के नवीन एवं वैकल्पिक स्रोतों को खोजा जाए, जिनसे लंबे समय तक असीमित मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न :- जीवा समीकरण क्या है
उत्तर जीवासमीकरण प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी जीव के शरीर को पेट्रोफिकेशन द्वारा जीव असम में परिवर्तित किया जाता है या अकार्बनिक पदार्थ द्वारा क्रमिक जोड या कार्बनिक पदार्थों को प्रतिस्थापन के द्वारा निर्मित होता है। जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया के लिए सामान्य रूप से जीवो के कंकाल नाखून, दांत, हड्डी, आदि कठोर से होने चाहिए क्योंकि नरम इससे आम तौर पर विघटित हो जाते हैं एक जीव की मृत्यु के बाद उसे तुरंत दफन किया जाना चाहिए ताकि नष्ट ना हो
प्रश्न :- विकास से संबंधित स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्व है
उत्तर :- जीवाश्म विकासीय संबंध स्थापित करने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब जीवाश्म की खुदाई से प्राप्त की जाती है तो उनकी प्राप्ति की गहराई से पता लग जाता है कि वह लगभग कितना पुराना है पर्सेंट ट्रेंडिंग की प्रक्रिया इस काम में सहायक सिदृ होती है।
जो जीव आसन जितनी अधिक गहराई से प्राप्त होगा वह उतना ही पुराना होगा लगभग 10 करोड वर्ष पहले समुद्र तल में केसर की जीवो के जीवाश्म प्राप्त होते हैं। वे सबसे पुराने हैं इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब डायनोसॉर मारे तो उनके जीवाश्म अकशेरुकी जीवो के जीवाश्म से ऊपरी सतह में बने इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब घोड़े के समान जीवो जीवाश्मों में बदले तो उन्हें डायनों की जीवाश्म से ऊपर स्थान मिला इसी से उनका विकास ही संबंध स्थापित होता है।
प्रश्न :- फॉसिल ट्रेनिंग क्या है
फॉसिल डेटिंग में जीवाश्म में पाए जाने वाले किसी एक तत्व के विभिन्न समस्थानिको के अनुपात के आधार पर जीवाश्म का समय निर्धारित किया जाता है इसमें कार्बन -14 समस्थानिक का प्रयोग होता है।
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