मातृभाषा किसे कहते हैं? मातृभाषा का महत्व|matrabhasha Kise Kahate Hain
नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको मातृभाषा किसे कहते हैं? मातृभाषा का क्या महत्व होता है? इसकी क्या विशेषताएं होती हैं इन सबके बारे में बताएंगे। दोस्तों अगर आपको यह पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करिएगा।
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मातृभाषा किसे कहते हैं? मातृभाषा का महत्व|matrabhasha Kise Kahate Hain |
मातृभाषा की विशेषताएं -
मातृभाषा किसे कहते हैं?
वह भाषा या बोली तो परिवार में बोली, जाती है, मात्रभाषा कहलाती है मातृभाषा के ज्ञान के बिना शब्दों एवं कथन का अर्थ समझना संभव नहीं है। इसको जाने बिना विचारों का सही व सार्थक आदान-प्रदान नहीं हो सकता। अतः मातृभाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।
जन्म लेने के बाद बालक जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं।
मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है - माता की भाषा।
एनसीईआरटी के अनुसार, मातृभाषा भाषा का वह रूप है जिसे बालक अपनी मां से, आस-पड़ोस से, किसी विशेष क्षेत्र से या समाज से सीखता है।
मातृभाषा की विशेषताएं
ज्ञानोपार्जन का सबसे सरल व सशक्त माध्यम है।
बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।
मातृभाषा में अपनी कहावतें, लोककथाएं, कहानियां, पहेलियां, सूक्ति होती है, जो सीधे हमारी स्मृति की धरती से जुड़ी होती हैं।
मातृभाषा से अपने परिवेश का बोध होता है।
मातृभाषा के माध्यम से लोगों की वास्तविक आवश्यकताओं को गीतों, नृत्यों, नाटकों ,कविताओं आदि के जरिए अभिव्यक्ति दी जाती है।
मातृभाषा में कट्टरता ना होना और जनपक्षधर होना उसका समंजन पक्ष है। मातृभाषा में मनुष्य की स्मृतियां-बिंब अधिक सुरक्षित व पल्लवित होती हैं।
मातृभाषा बालक के भावात्मक विकास में साधन का काम करती है। जो जनजीवन के संज्ञानात्मक पहलुओं का चित्रण है।
मातृभाषा बालक के कल्पना शक्ति व उसकी लेखन प्रवृत्तियों को जगाकर स्वतंत्र रूप से साहित्य - सृजन की प्रेरणा देती है।
मातृभाषा में सरसता और पूर्णता की अनुभूति होती है।
प्राथमिक शिक्षा का मुख्य आधार होती है।
अभिव्यक्ति में स्वाभाविक और प्रभावोत्पादकता का लाती है ।
सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक होती है।
सृजनात्मक शक्ति का विकास करती है।
व्यवहार परिवर्तन लाती है।
मातृभाषा मात्र संवाद ही नहीं अपितु संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका भी है ।
शिक्षा में मातृभाषा का महत्व -
बालक की शिक्षा में मातृभाषा का विशेष स्थान होता है। यह शिक्षा का सर्वोत्तम साधन होता है इसके महत्वपूर्ण तत्व निम्नवत् हैं।
सामाजिक विकास
बौद्धिक विकास
मौलिक चिंतन
भाषांतर भाषा की शिक्षा में सरलता
उत्तम नागरिकता
आर्थिक महत्व
हिंदी भाषा का उद्देश्य एवं लक्ष्य हिंदी भाषा को मातृभाषा के रूप में भारत के अधिकांश क्षेत्रों में पढ़ाया जाता है। दक्षिण भारत तथा अन्य कुछ राज्यों में एक हिंदी भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में रखा गया है। भाषा के विषय में भी संत ने लिखा है -
"भाषा संसार का नामदेय स्वरूप है।"
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