UP Board Light Reflection and Refraction in Hindi / Class 10th Science Chapter 10 ncert notes
UP Board Class 10th Science Chapter 10 ncert Solution: Light Reflection and Refraction in Hindi {प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन}
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यूपी बोर्ड कक्षा 10वी विज्ञान अध्याय 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन एनसीईआरटी नोट्स
10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
ऐसा विकिरण या ऊर्जा जो हमारी आँखों में दृष्टि संवेदना उत्पन्न करता है, में प्रकाश कहलाता है। इस दृष्टि संवेदना के कारण हमारी आँख अपने चारों ओर रखी वस्तुओं को देख पाती है।
प्रकाश का परावर्तन
जब प्रकाश किसी पॉलिशदार या चिकने तल पर गिरता है, तो उसका अधिकांश भाग तल से टकराकर उसी माध्यम में वापस लौट आता है। प्रकाश के चिकने या पॉलिशदार तल से टकराकर लौटने की इस प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
परावर्तन के नियम
परावर्तन के दो नियम होते हैं
(1) आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
(2) परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है
समतल पृष्ठ से प्रकाश का परावर्तन
प्रतिबिम्ब
वस्तु के किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणें परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं उस बिन्दु को प्रथम बिन्दु का प्रतिबिम्ब कहते हैं। प्रतिबिम्ब निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
1. वास्तविक प्रतिबिम्ब
वस्तु के किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणें परावर्तन के पश्चात् किसी दूसरे बिन्दु पर वास्तव में मिलती हैं, तो इस दूसरे बिन्दु पर बने प्रतिबिम्ब को उस बिन्दु का वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं।
2. आभासी प्रतिबिम्ब
वस्तु के किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन के पश्चात किसी दूसरे बिन्दु पर वास्तव में नहीं मिलती हैं परन्तु दूसरे बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं, तो इस बिन्दु पर बने प्रतिबिम्ब को उस हिन्दु का आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं।
दर्पण
यदि किसी चिकने पारदर्शी तल के एक पृष्ठ पर कलई अथवा लाल ऑक्साइड का लेप करके दूसरे पृष्ठ को परावर्तक पृष्ठ बना दिया जाये, तो वह निकाय दर्पण कहलाता है।
दर्पण दो प्रकार के होते हैं
1. समतल दर्पण
ऐसे दर्पण, जिनका परावर्तक पृष्ठ समतल होता है, समतल दर्पण कहलाते हैं।
2. गोलीय दर्पण
ऐसे दर्पण, जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।
गोलीय दर्पण काँच के खोखले गोले का काटा गया भाग होता है। इसके एक तल पर पारे तथा लाल ऑक्साइड का लेप होता है तथा दूसरा तल परावर्तन तल होता है।
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं
(i) अवतल दर्पण वह गोलीय दर्पण, जिनमें उभरे तल पर कलई होती है तथा परावर्तन दबे हुए तल से होता है, उसे अवतल दर्पण कहते हैं।
(ii) उत्तल दर्पण वह गोलीय दर्पण, जिनमें दबे हुए तल पर कलई होती है तथा परावर्तन बाहरी उभरी सतह से होता है, उसे उत्तल दर्पण कहते हैं। इसका दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है।
गोलीय दर्पण से सम्बन्धित परिभाषाएँ
(i) दर्पण का ध्रुव गोलीय दर्पण में परावर्तक तल के मध्य बिन्दु को ध्रुव (P) कहते हैं।
(ii) वक्रता केन्द्र गोलीय दर्पण काँच के जिस खोखले गोले का भाग होता है, उस गोले के केन्द्र को दर्पण का वक्रता केन्द्र कहते हैं।
(iii) वक्रता त्रिज्या वक्रता केन्द्र से दर्पण के ध्रुव तक की दूरी दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है।
(iv) मुख्य अक्ष गोलीय दर्पण के ध्रुव (P) तथा वक्रता केन्द्र (C) को मिलाने वाली सीधी
रेखा, गोलीय दर्पण की मुख्य अक्ष कहलाती है।
(v) दर्पण का द्वारक गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के व्यास को दर्पण का द्वारक कहते हैं। चित्र में, M1, M2 दर्पण का द्वारक है।
(vi) मुख्य फोकस गोलीय दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणें गोलीय दर्पण से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं उस बिन्दु को दर्पण का मुख्य फोकस अथवा फोकस कहते हैं। इसे F से प्रदर्शित करते हैं।
(vi) फोकस दूरी गोलीय दर्पण के ध्रुव से मुख्य फोकस तक की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं। यदि दर्पण का द्वारक छोटा है, तो f= R/2 अर्थात् गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस, ध्रुव तथा दर्पण की वक्रता त्रिज्या का मध्य बिन्दु होता है।
नोट समतल दर्पण की फोकस दूरी अनन्त होती है।
(vii) फोकस तल फोकस बिन्दु से होकर जाने वाले तथा मुख्य अक्ष के लम्बवत् तल को फोकस तल कहते हैं।
अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना
अवतल तथा उत्तल दर्पण के उपयोग
(1) अवतल दर्पण का उपयोग मोटरकारों, रेलवे इंजनों, स्टीमरों तथा सर्चलाइट लैम्पों में परावर्तक के रूप में तथा डॉक्टरों द्वारा आँख, नाक तथा गले आदि को देखने में किया जाता है।
(2) उत्तल दर्पण का उपयोग गली तथा बाजारों में लगे लैम्पों के ऊपर किया जाता है तथा इसका उपयोग वाहनों में पीछे का दृश्य देखने के लिए भी किया जाता है।
गोलीय दर्पणों के लिए चिन्ह परिपाटी
अवतल दर्पण के लिए f v तथा u का मान ऋणात्मक (-) लेते हैं।
#.यदि अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है, तो v का मान धनात्मक (+)
तथा दर्पण के सामने बनने पर v का मान ऋणात्मक (-) लेते हैं।
#. उत्तल दर्पण के लिए f एवं R का मान घनात्मक (+) तथा u का मान ऋणात्मक (-) लेते हैं। उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। अतः v का मान धनात्मक (+) लेंगे।
गोलीय दर्पण के लिए u.v तथा f में सम्बन्ध
गोलीय दर्पण के लिए फोकस दूरी तथा दर्पण से वस्तु और प्रतिबिम्ब की दूरियों के लिए निम्न सम्बन्ध होता है
1/f = 1/v + 1/u
जहाँ, u= दर्पण से वस्तु की दूरी, v = दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी तथा f= दर्पण की फोकस दूरी।
प्रकाश का अपवर्तन
प्रकाश किरण के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करने पर उनके पथ में परिवर्तन होने की घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। प्रकाश के अपवर्तन का कारण प्रकाश की चाल का विभिन्न माध्यमों में भिन्न-भिन्न होना है। जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में संचरित होता है, तो अपवर्तित किरण अभिलम्ब की ओर झुक जाती है
(i>r)
प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में संचरित होता है, तो यह अभिलम्ब से दूर हट जाती है। (i <r)
जहाँ i आपतन कोण, तथा r अपवर्तन कोण।
अपवर्तन का कारण
प्रकाश की चाल विभिन्न माध्यमों में भिन्न-भिन्न होती है। अतः जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो चाल में परिवर्तन होने के कारण प्रकाश की किरण अभिलम्ब से दूर अथवा अभिलम्ब के पास हो जाती है अर्थात् प्रकाश का अपवर्तन हो जाता है।
अपवर्तन के नियम
प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम होते हैं
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(i) आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात
एक नियतांक होता है
अर्थात्
sin i /sin r = नियतांक
इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं तथा इस नियतांक को पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक (μ) कहते हैं।
अपवर्तनांक
यदि प्रकाश की किरणें माध्यम 1 से माध्यम 2 में प्रवेश करती हैं, तो अपवर्तनांक को ₁μ₂लिखा जाता है तथा ₁μ₂ को माध्यम 2 का माध्यम 1 के लिए सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
₁μ₂ = μ₂/ μ₁ =sini /sinr
यदि किसी माध्यम का अपवर्तनांक निर्वात् के सापेक्ष लिया जाता है, तो यह माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहलाता है। किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक साधारणतया अपवर्तनांक कहलाता है।
काँच व जल युग्म के लिए
ʷμᵍ =ₐμᵍ / ₐμʷ
नोट वायु का अपवर्तनांक सबसे कम तथा हीरे का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है।
आयताकार काँच की झिल्ली से अपवर्तन
जब प्रकाश की किरण किसी आयताकार काँच से गुजरती है तो आपतित किरण तथा निर्गत् किरण एक-दूसरे के समान्तर होती है लेकिन किरण अपने मार्ग से थोड़ा विस्थापित हो जाती है। जब प्रकाश की किरण आयताकार काँच की झिल्ली से गुजरती है, तो निर्गत् किरण तथा आपतित किरण के मध्य लम्बवत् दूरी पार्श्व विस्थापन कहलाती है।
अपवर्तन की इस प्रक्रिया में अपवर्तन दो बार होता है, प्रथम बार जब प्रकाश की किरण वायु से काँच की झिल्ली में पृष्ठ AB से गमन करती है तथा दूसरी बार पृष्ठ CD पर, जब यह कौंच से वायु में गमन करती है। आयताकार काँच के स्लैब के विपरीत पृष्ठों AB तथा CD पर किरण के मुड़ने का परिमाण समान तथा विपरीत है। इसी कारण निर्गत् किरण आपतित किरण के समांतर निकलती है। तथापि प्रकाश किरण में थोड़ा-सा पार्रिवक विस्थापन होता है।
चित्र में, i =आपतन कोण, r=अपवर्तन कोण तथा e= निर्गत कोण
लेन्स
ऐसा पारदर्शी माध्यम (जैसे-काँच), जो दो गोलीय पृष्ठों या एक गोलीय तथा एक समतल पृष्ठ से घिरा होता है, लेन्स कहलाता है।
लेन्स निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
1. उत्तल लेन्स
वे लेन्स जो बीच में से मोटे तथा किनारों से पतले होते हैं, उन्हें उत्तल लेन्स कहते हैं।
2. अवतल लेन्स
वे लेन्स जो बीच में से पतले तथा किनारों पर से मोटे होते हैं, उन्हें अवतल लेन्स कहते हैं।
लेन्सों से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ
(i) प्रकाशिक केन्द्र लेन्स के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु, जिससे होकर जाने वाली प्रकाश की किरण अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है, लेन्स का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है। इसे O से प्रदर्शित करते हैं।
(ii) वक्रता केन्द्र उत्तल लेन्स व अवतल लेन्स के गोलीय पृष्ठ जिस गोले के भाग होते हैं, उस गोले का केन्द्र लेन्स का वक्रता केन्द्र कहलाता है।
(iii) वक्रता त्रिज्या लेन्स जिस गोले का भाग होता है, उस गोले की त्रिज्या को लेन्स की वक्रता त्रिज्या कहते हैं।
(iv) मुख्य अक्ष लेन्स के दोनों गोलीय पृष्ठों के वक्रता केन्द्रों से गुजरने वाली एक काल्पनिक सीधी रेखा को लेन्स का मुख्य अक्ष (XX') कहते हैं।
(v) मुख्य फोकस अथवा फोकस लेन्स के दो फोकस होते हैं, प्रथम फोकस (F1) तथा द्वितीय फोकस (F2)
गोलीय पृष्ठ के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे गुजरने वाली प्रकाश की किरण अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं, उस बिन्दु को प्रथम फोकस (F1) कहते हैं। इसी प्रकार लेन्स के मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली प्रकाश किरणें लेन्स से अपवर्तन के पश्चात् अक्ष के जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उस बिन्दु को द्वितीय फोकस (F2) कहते हैं।
(vi) फोकस दूरी लेन्स के प्रकाशिक केन्द्र व फोकस के मध्य की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।
(vii) फोकस तल लेन्स के फोकस से होकर जाने वाले तथा मुख्य अक्ष के अभिलम्बवत् तल को लेन्स का फोकस तल कहते हैं।
(viii) द्वारक लेन्स के अर्द्धवृत्ताकार सिरों के व्यास को लेन्स का द्वारक (AB) कहते हैं।
लेन्सों द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के नियम
(i) प्रथम नियम लेन्स के मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात् द्वितीय फोकस से होकर जाती हैं।
(ii) द्वितीय नियम लेन्स के प्रथम मुख्य फोकस से होकर जाने वाली (उत्तल लेन्स में) या प्रथम मुख्य फोकस की ओर से जाती हुई प्रतीत होने वाली (अवतल लेन्स में) प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है।
(iii) तृतीय नियम लेन्स के प्रकाशिक केन्द्र से होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है।
(i) उत्तल लेन्स का उपयोग
(i)विभिन्न प्रकाशिक यन्त्रों में जैसे-दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी एवं डॉक्टरों के द्वारा आँख व कान की जाँच करने के लिए किया जाता है।
(ii) मानव नेत्र में दृष्टि दोष के निवारण हेतु चश्में में दोनों लेन्सों का उपयोग होता है।
गोलीय लेन्सों के लिए चिन्ह परिपाटी
गोलीय लेन्सों के लिए चिन्ह परिपाटी, गोलीय दर्पणों के समान होती है। उत्त लेन्स की फोकस दूरी धनात्मक (+) तथा अवतल लेन्स की फोकस दूरी ऋणात्मक (-) होता है।
लेन्स सूत्र
लैन्स के लिए बिम्ब की दूरी u, प्रतिबिम्ब की दूरी तथा फोकस दूरी में सम्बन्ध को V
लेन्स सूत्र कहा जाता है जो निम्न हैं।
1/f = 1/v -1/u
v u दोनों प्रकार के लेन्सों के लिए लेन्स सूत्र एक ही होता है। लेन्सों में सभी दूरियाँ प्रकाशिक केन्द्र से मापी जाती हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक
प्रश्न 1. समतल दर्पण की फोकस दूरी है
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) 25 सेमी
(d) 25 सेमी
उत्तर (b) समतल दर्पण की फोकस दूरी अनन्त होती है।
प्रश्न 2. समतल दर्पण के सामने एक वस्तु दर्पण से 10 सेमी की दूरी पर रखी गई है, तो दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी होगी
(a) 5 सेमी
(b) 10 सेमी
(d) 0
उत्तर (b)
प्रश्न 3. समतल दर्पण द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का आवर्धन होता है
(a) 1
(b) 1 से कम
(c) 1 से अधिक
(d) अनन्त
उत्तर (a)
प्रश्न 4. दर्पण की फोकस दूरी f तथा वक्रता त्रिज्या R के बीच सम्बन्ध है
(a) f= R
(c) 2 f= R
(d) f= 2R
उत्तर (c)
प्रश्न 5. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 12 सेमी है, दर्पण के उत्तल पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या होगी
(a) 6 सेमी
(b) 12 सेमी
(c) 18 सेमी
(d) 24 सेमी
उत्तर (d)
प्रश्न 6. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 20 सेमी है। उसकी वक्रता त्रिज्या होगी
(a) 10 सेमी
(b) 20 सेमी
(c) 40 सेमी
(d) 80 सेमी
उत्तर (c)
प्रश्न 7. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी होगी
(a) -20 सेमी
(b) -10 सेमी
(c) 40 सेमी
(d) 10 सेमी
उत्तर (b)
प्रश्न 8. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी होगी, जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 सेमी है
(a) 32 सेमी
(c) 61 सेमी
(b) 16 सेमी
(d) 8 सेमी
उत्तर (b)
प्रश्न 9. किस दर्पण के सामने, किसी वस्तु को रखने पर उसका प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व आकार में कुछ छोटा बनेगा?
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) समतल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (b)
प्रश्न 10. अवतल दर्पण द्वारा किसी वस्तु का सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब बनाने के लिए उसे रखना होगा
अथवा अवतल दर्पण द्वारा किसी वस्तु का बना प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति होगी।
(a) दर्पण के वक्रता केन्द्र C पर
(b) दर्पण के फोकस बिन्दु F पर
(c) दर्पण के वक्रता केन्द्र C और उसके फोकस बिन्दु F के बीच में
(d) दर्पण के ध्रुव P और उसके फोकस बिन्दु F के बीच में
उत्तर (d)
प्रश्न 11. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिम्ब सदैव सीधा प्रतीत होता है, तो वह दर्पण होगा
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) समतल तथा उत्तल
उत्तर (d) समतल तथा उत्तल, क्योंकि समतल तथा उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब सदैव सीधा बनता है।
प्रश्न 12. अनन्त एवं उत्तल दर्पण के ध्रुव P के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ और किस प्रकृति का होगा?
(a) दर्पण के पीछे, P एवं F के बीच, आभासी एवं सीध
(b) दर्पण के पीछे, Pएवं F के बीच, आभासी एवं उल्टा
(c) दर्पण के सामने, वास्तविक एवं सीधा
(d) दर्पण के सामने, आभासी एवं सीधा (यहाँ F फोकस है
उत्तर (a)
प्रश्न 13. टॉच, सर्चलाइटों तथा वाहनों की हैडलाइटों में बल्ब कहाँ लगा होता है?
(a) परावर्तक के ध्रुव एवं फोकस के बीच
(b) परावर्तक के फोकस के अत्यधिक निकट
(c) परावर्तक के फोकस एवं वक्रता के बीच
(d) परावर्तक के वक्रता केन्द्र पर
उत्तर (b)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 2 अंक
प्रश्न1. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के गुणधर्म बताइए।
उत्तर समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के गुण निम्नलिखित होते हैं
(i) समतल दर्पण द्वारा बना हुआ प्रतिबिम्ब आभासी एवं सीधा होता है।
(ii) प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के बराबर होता है। अतः आवर्धन का मान 1 सेमी है।
(iii) प्रतिबिम्ब दर्पण से उतनी ही दूर पीछे होता जितनी कि वस्तु दर्पण के आगे होती है।
(iv) h ऊँचाई के मनुष्य को अपना पूर्ण प्रतिबिम्ब देखने के लिए समतल दर्पण की आवश्यक न्यूनतम ऊँचाई (h/2) होती है।
प्रश्न 2. अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर है?
उत्तर अवतल दर्पण से बनने वाला आभासी प्रतिबिम्ब सीधा तथा वस्तु से बड़ा होता है जबकि उत्तल दर्पण से बनने वाला आभासी प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वस्तु से छोटा होता है।
प्रश्न 3. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। इसके द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब अधिक-से-अधिक कितनी दूरी पर बनेगा?
उत्तर वस्तु का प्रतिबिम्ब अधिक-से-अधिक 10 सेमी पर बनेगा, क्योंकि उत्तल दर्पण के लिए आवर्धन सदैव धनात्मक व 1 से कम होता है।
प्रश्न 4. गोलीय दर्पण की फोकस दूरी व वक्रता त्रिज्या के सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या (R), उसकी फोकस दूरी (f) की दोगुनी के
होती है अर्थात् R = 2f
प्रश्न 5. एक अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र एवं फोकस के मध्य रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब के बनने का किरण आरेख खींचिए।
अथवा एक अवतल दर्पण से फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब का किरण आरेख बनाइए तथा प्रतिबिम्ब की प्रकृति तथा उसका आकार बताइए
उत्तर जब वस्तु मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच रखी जाती है, तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच बनता है तथा वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा होता है। किरण आरेख
प्रश्न 6. 15 सेमी फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाना चाहते हैं। बिम्ब की दर्पण से दूरी परिसर क्या होनी चाहिए? प्रतिबिम्ब की प्रकृति कैसी होगी यदि प्रतिबिम्ब बिम्ब से बड़ा अथवा छोटा है? इस स्थिति में प्रतिबिम्ब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर बिम्ब को दर्पण से 15 सेमी से कम दूरी पर रखना चाहिए, जिससे प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा बिम्ब से बड़ा बनेगा।
किरण आरेख
प्रश्न 7. अवतल दर्पण के ध्रुव एवं फोकस दूरी के मध्य रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब के बनने का किरण आरेंख खींचिए ।
अथवा दर्पण द्वारा वस्तु का आवर्धित प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख बनाइए।
उत्तर – जब वस्तु अवतल दर्पण के फोकस तथा ध्रुव के बीच होती है, तब प्रतिबिम्ब आभासी तथा आवर्धित (वस्तु से बड़ा) होता है और दर्पण के पीछे बनता है।
किरण आरेख
प्रश्न 8. अवतल दर्पण के लिए तथा f में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर अवतल दर्पण के लिएu v तथा f में निम्न सम्बन्ध होता है
1/f = 1/u + 1/v
जहाँ, u = दर्पण से वस्तु की दूरी, v =दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी तथा f = दर्पण की फोकस दूरी।
प्रश्न 9. सड़कों पर लगे लैम्पों के ऊपर किस दर्पण का उपयोग होता है? इस दर्पण का एक और उपयोग लिखिए।
उत्तर सड़कों पर लगे लैम्पों के ऊपर उत्तल दर्पण का उपयोग होता है। इस दर्पण का उपयोग वाहनों में पीछे का दृश्य देखने के लिए भी किया जाता है
प्रश्न 10. निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए।
(i) किसी कार का अग्र-दीप ( हैड लाइट)
(ii) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(iii) सौर भटटी
अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर (i) अवतल दर्पण, क्योंकि ये प्रकाश का शक्तिशाली किरण पुँज प्रदान करते हैं।
(ii) उत्तल दर्पण, क्योंकि ये सीधा अपितु छोटा (तथा आभासी) प्रतिबिम्ब बनाते हैं तथा इनका दृष्टि क्षेत्र भी अधिक होता है।
(iii) अवतल दर्पण, क्योंकि ये सूर्य के प्रकाश को कक्ष क्षेत्र में केंद्रित कर सकते हैं।
प्रश्न 11. प्रकाश के अपवर्तन सम्बन्धी स्नेल के नियम को लिखिए तथा समझाइए।
उत्तर आपतन कोण की ज्या (sini) व अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात किन्हीं दो माध्यमों के लिए नियतांक होता है, जिसे दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं
इस नियम को स्नेल का नियम कहते हैं।
प्रश्न 12. एक प्रकाश किरण पतले लेन्स से अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है। उस बिन्दु का नाम बताइए।
अथना प्रकाशिक केन्द्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – प्रत्येक लेन्स के लिए उसके मुख्य अक्ष पर स्थित एक ऐसा बिन्दु होता है. जिनमें से गुजरने वाली प्रकाश की किरणें बिना विचलित या विस्थापित हुए सीधे बाहर निकल जाती है, वह बिन्दु लेन्स का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है।
प्रश्न 13. यदि मिट्टी का तेल, तारपीन का तेल तथा जल के अपवर्तनांक क्रमशः 1.44, 1.47 तथा 1.33 हैं। इनमें प्रकाश की चाल किसमें सबसे अधिक होगी, और क्यों?
उत्तर दिया है,
मिट्टी का तेल 1.44 "तारपीन का तेल -1.47, जल -1.33
जो माध्यम सबसे अधिक प्रकाशीय विरल है, अर्थात् जिसका अपवर्तनांक सबसे कम है, उस माध्यम में प्रकाश की गति सबसे तीव्र होगी। उपरोक्त तीनों माध्यमों में से जल का अपवर्तनांक सबसे कम है, अतः इनमें से जल ही ऐसा माध्यम है, जिसमें प्रकाश की गति सबसे तीव्र होगी।
प्रश्न 14. चित्र द्वारा दिखाइए कि दो अभिसारी लेन्सों को किस प्रकार व्यवस्थित किया जाए कि समान्तर आने वाली किरणें लेन्सों से गुजरने के बाद पुनः समान्तर हो जाएँ।
उत्तर
यदि दोनों लेन्सों के मध्य दूरी 2f होगी, तो प्रथम लेन्स से प्रतिबिम्ब फोकस बिन्दु (I) पर बनेगा। यह प्रतिबिम्ब L2 के लिए वस्तु का कार्य करेगा। इससे आपतित किरणें अपवर्तन के पश्चात् पुनः मुख्य अक्ष के समान्तर जायेगी।
लघु उत्तरीय प्रश्न 4 अंक
प्रश्न 1. उत्तल दर्पण तथा उसके फोकस के बीच स्थित वस्तु के बने प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति को आवश्यक किरण आरेख द्वारा समझाइए।
उत्तर – जब वस्तु उत्तल दर्पण तथा उसके फोकस के बीच रखी जाती है, तब वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा, वस्तु से छोटा तथा दर्पण के पीछे, दर्पण व फोकस के बीच बनता है।
किरण आरेख
प्रश्न 2. प्रकाश के अपवर्तन के नियम समझाइए।
उत्तर प्रकाश के अपवर्तन के निम्नलिखित दो नियम है
(i) प्रथम नियम अपवर्तन के प्रथम नियम के अनुसार, आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(ii) द्वितीय नियम अपवर्तन के द्वितीय नियम के अनुसार, किन्हीं दो माध्यमों के लिए आपतन कोण (i) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (r) की ज्या (sine) का अनुपात नियतांक होता है
अर्थात्
sin i / sin r = नियतांक
इस नियम को स्नेल का नियम (Snell's law) भी कहते हैं। इस नियतांक को प्रथम माध्यम के सापेक्ष द्वितीय माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। इसे n (या μ) द्वारा प्रदर्शित करते हैं तथा इसके दोनों ओर प्रथम व द्वितीय माध्यम का संकेत लिखा जाता है।
प्रश्न 4. किसी पेंसिल को जब जल से भरे गिलास में डुबोते हैं तो वह वायु तथा जल के अंतरापृष्ठ पर मुड़ी हुई प्रतीत होती है। यदि इस पेंसिल को जल के स्थान पर केरोसीन अथवा तारपीन के तेल में डुबोएँ, तो क्या यह इनमें भी इतनी ही मुड़ी हुई प्रतीत होगी? अपने उत्तर की व्याख्या कारण सहित समझाइए।
उत्तर जब किसी पेंसिल को जल से भरे गिलास में डुबोते हैं, तो वह वायु तथा जल के अंतरापृष्ठ पर मुड़ी हुई प्रतीत होती है। इसका कारण यह है कि अपवर्तन के कारण पेंसिल के जल में डूबे हुए भाग से आने वाला प्रकाश बिना डूबे हुए भाग की तुलना में अलग दिशा से आता है।
यदि इस पेंसिल को जल के स्थान पर केरोसीन अथवा तारपीन के तेल में डुबोएँ तो इन द्रवों के वायु के सापेक्ष भिन्न-भिन्न अपवर्तनांक होने के कारण, पेंसिल आपतित प्रकाश से भिन्न-भिन्न विचलन प्रदर्शित करेगी।
प्रश्न 5. 2F दूरी पर स्थित किसी वस्तु की उत्तल लेन्स द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति तथा सापेक्ष आकार को समझाइए। किरण आरेख खींचिए।
उत्तर – किरण आरेख
जब वस्तु 2F1 दूरी पर स्थित हो, तब
(i) प्रतिविम्ब 2F2 दूरी पर बनेगा।
(ii) प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार जैसा होगा।
(iii) प्रतिबिम्ब वास्तविक तथा उल्टा होगा।
प्रश्न 6. प्रथम मुख्य फोकस तथा द्वितीय मुख्य फोकस के मध्य स्थित वस्तु का उत्तल लेन्स द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचिए।
उत्तर किरण आरेख
इस अवस्था में प्रतिबिम्ब 2F, की दूसरी ओर बनेगा। यह वास्तविक, उल्टा तथाआवर्धित होगा।
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