शैल या चट्टान क्या है? चट्टानों का वर्गीकरण प्रकार चट्टानों का आर्थिक महत्व

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शैल या चट्टान क्या है? चट्टानों का वर्गीकरण प्रकार चट्टानों का आर्थिक महत्व

 शैल या चट्टान क्या है? चट्टानों का वर्गीकरण प्रकार चट्टानों का आर्थिक महत्व


Sail ya Chattan Kya Hai? Chattanon ka vargikaran Prakar chattanon ka Arthik mahatva


शैल या चट्टान क्या है? चट्टानों का वर्गीकरण प्रकार चट्टानों का आर्थिक महत्व

चट्टान किसे कहते हैं? 


शैल के प्रकार 


आग्नेय शैल 


अवसादी शैल 


रूपांतरित या कायांतरित शैल 


शैलो का आर्थिक महत्व


चट्टान किसे कहते हैं?


स्थलमंडल का सबसे ऊपर भाग भूपर्पटी कहलाता है यह पृथ्वी का सबसे महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि इसकी ऊपरी सतह पर मानव रहते हैं। जिन पदार्थों से भूपर्पटी बनी है उन्हें शैल कहते हैं। शैले विभिन्न प्रकार की होती हैं शैले ग्रेनाइट की तरह कठोर चीका मिट्टी की तरह मुलायम अथवा बजरी के सामान बिखरी होती है। शैले विभिन्न रंग भार और कठोरता लिए होती हैं शैले खनिजों से बनी है वह एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण है। दूसरी ओर खनिज एक या एक से अधिक तथ्यों पर निश्चित अनुपात में मिलने से बनी है खनिजों मे एक निश्चित रसायनिक संगठन होता है भूपर्पटी 2000 से भी अधिक खनिजों से बनी है परंतु इनमें से केवल 6 खनिजों की अधिकता है इन्हीं का पृथ्वी की ऊपरी परत के निर्माण में विशेष योग है इनके 6 खनिजों के नाम-

फेल्सपार, क्वार्टस, पाइराक्सीन, एम्फीबोल, अभ्रक, और ओलिविन है।


ग्रेनाइट एक कठोर सेल है इसके निर्माण कारी खनिज क्वार्टज, फेल्सपार और अभ्रक है इन खनिजों के अनुपात में भिन्नता होने से ग्रेनाइट के रंग और उसकी कठोरता में अंतर आ जाता है जिन खनिजों में धात्विक अंश होता है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं।


हेमेटाइट एक प्रमुख लौह अयस्क है यह धात्विक खनिज है आयुक्त धात्विक खनिज होते हैं जिन्हें धातुओं का निकलना लाभकारी होता है शहरों का निर्माण खनिजों से हुआ है इनका मानव जीवन में बहुत अधिक महत्व है।


शैल़ो के प्रकार- शैले अपने गुण, कणों के आकार और उनके बनने की प्रक्रिया के आधार पर विभिन्न प्रकार की होती है।


निर्माण क्रिया की दृष्टि से शैलो के 3 वर्ग हैं-

1- आग्नेय शैल


2-अवसादी शैल 


3-रूपांतरित शैल


1-आग्नेय शैल- इंगनियस अंग्रेजी भाषा का शब्द है यह लैटिन भाषा के इंग्लिश शब्द से बना है। इंग्निस शब्द का अर्थ अग्नि से हुई है। उन्हें आग ने सेल कहते हैं आग्नेय  शैले अति तप्त चट्टानी तरल पदार्थ जिसे मैग्मा कहते हैं। ठंडे होकर जमने से बनती है भूगर्भ में मैग्मा के बनने की निश्चित गहराई की हमें जानकारी नहीं है यह संभवत विभिन्न गहराइयों पर बनता है जो 40 किलोमीटर से अधिक नहीं होती शैलो के पिघलने से वेतन में वृद्धि होती है जिसके कारण भूपर्पटी टूटती है या उससे दरारे पडती हैं इन खुले क्षेत्रों या आंखों के सहारे ऊपर से पड़ने वाले दबाव में कमी आती है। इससे मैग्मा बाहर निकलता है अगर ऐसा ना हो तो ऊपर से पडने वाला अत्यधिक दाब मैग्मा को बाहर जाने नहीं देगा।

जब मैग्मा धरातल पर निकलता है तो उससे लावा कहते हैं पिघला हुआ मैग्मा भूगर्भ में या पृथ्वी की सतह पर जब ठंडा होकर ठोस रूप धारण करता है तो आग्नेय  शैलो का निर्माण होता है। पृथ्वी की प्रारंभिक भूपर्पटी आग्नेय शैलों से बनी हैं। अतः अन्य सभी शैलो का निर्माण आग्नेय शैलो से ही हुआ है। इसी कारण आग्नेय  शैलो को जनक या मूल शैल भी कहते हैं। भूगर्भ के सबसे ऊपरी 16 किलोमीटर की मोटाई में आग्नेय शैलो का लगभग 95% है। अग्नेय शैल सामान्यतया कठोर भारी विशालकाय और रवेदार होती हैं। निर्माण स्तर के आधार पर आग्नेय शैलो को दो वर्गों में बांटा गया है बाह्य या बहिर्भेदी (ज्वालामुखी) और आंतरिक या अंतर्भेदी आग्नेय शैल।


2-बाह्य आग्नेय शैल- धरातल पर लावा के ठंडा होकर जमने से बनी है शैलो की रचना में लावा बहुत जल्दी ठंडा हो जाता है। लावा के जल्दी ठंडा होने से इनमें छोटे आकार के रवे बनते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शैल भी कहते हैं।ग्रब्रो और बेसाल्ट बाह्य आग्नेय शैलों के सामान्य उदाहरण है। यह शैले ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। भारत के दक्षिण पठार की रेगुर अथवा काली मिट्टी लावा से बनी है।


3- आंतरिक आग्नेय शैल- रचना मैग्मा के धरातल के नीचे जमने से होती है धरातल के नीचे मैग्मा धीरे-धीरे ठंडा होता है अतः इन शैलो में बड़े आकार के रवे होते हैं। अधिक गहराई में पाई जाने वाली आन्तरिक शैलों को पातालीय अग्नि शैल कहते हैं। ग्रेनाइट और डोला राइट आंतरिक आग्नेय शैलो के सामान्य उदाहरण है। दक्कन पठार और हिमालय क्षेत्र में ग्रेनाइट शैलों के विस्तृत भूखंड देखे जा सकते हैं आंतरिक आग्नेय शैलो की आकृति कई प्रकार की होती है।


सामान्य रूप से भूतल की रचना जिन पदार्थों से हुई है उन्हें चट्टान या शैल के नाम से पुकारते हैं चट्टाने अनेक खनिज पदार्थों का सम्मिश्रण होती है खनिज पदार्थों का यह साम्मिश्रण रसायनिक तत्वों का योग होता है वर्तमान वैज्ञानिक युग में 115 मूल तत्वों की खोज कर ली गई है। उपर्युक्त तथ्यों में धरातलीय संरचना का लगभग 986 भाग केवल 8 तथ्यों ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एल्यूमिनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम ,पोटेशियम एवं मैग्नीशियम द्वारा निर्मित है शेष 2% भाग 98 तत्वों के योग से बना है इसके अतिरिक्त प्रकृति द्वारा प्रदत्त अन्य तत्व धरातल निर्माण में सहायक हुए ।


अवसादी शैल- इन शैलो की रचना अवसादो के निरंतर जमाव से होती है। ये अवसाद किसी भी पूर्ववर्ती शैल-आग्नेय रूपांतरित या अवसादी शैलो का अपरदित मलवा हो सकता है। अवसादो का जमाव परतों के रूप में होता है इसलिए इन शैलों को परतदार  शैल भी कहते हैं।इन शैलों की मोटाई कुछ मि.मी से लेकर कई मीटर तक होती है। इन शैलो की परतों के बीच में जीवाश्म भी मिलते हैं।


रूपांतरित या कायांतरित शैल-


पर्वतीय प्रदेशों में अधिकांश शैलो में परिवर्तन के प्रमाण मिलते हैं। ये सभी शैले कालांतर में रूपांतरित हो जाती हैं। अवसादी अथवा आग्नेय शैलो पर अत्यधिक ताप से या दाब पड़ने के कारण रूपांतरित शैले बनती हैं। उच्च ताप और उच्च दाब पूर्ववर्ती शैलों के रंग कठोरता गठन तथा खनिज संघटन में परिवर्तन कर देते हैं। जहां शैले गर्म द्रवित मैग्मा के संपर्क में आती हैं वहां उनकी रचना में परिवर्तन आ जाता है इस परिवर्तन की प्रक्रिया को रूपांतरण और कायांतरण कहते हैं इस प्रक्रिया द्वारा बनी शैल को रूपांतरित शैल कहते हैं।


शैलो का आर्थिक महत्व -


मनुष्य पृथ्वी तल पर विविध क्रियाकलाप लंबे समय से कर रहा है समय और तकनीकी विकास के साथ वह शैलो और खनिजों का विविध उपयोग करता रहा है। वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे ही मनुष्य की सुख सुविधाओं के लिए शैलो और खनिजों की उपयोगिता बढ़ती गई। शैलों के महत्व के संबंध में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है।


1- मृदा शैलो से प्राप्त होती है मृदा से मानव के लिए भोजन मिलता है इसके साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों से उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल भी प्राप्त होता है।


2- भवन निर्माण कार्य सामग्री सैलो से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्राप्त होती है शैलो ही सभी प्रकार के भवनों की सामग्री एकमात्र स्त्रोत है। ग्रेनाइट नीस बलुआ पत्थर संगमरमर और स्लेट आदि का मकान बनाने में भारी मात्रा में उपयोग होता है। ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है दिल्ली और आगरा का लाल किला लाल बलुआ पत्थर से बने हैं भारत और विदेशी में भी स्लेट का उपयोग छतों के निर्माण में किया जाता है।


3- खनिजों के स्रोत खनिज आधुनिक सभ्यता की आधारशिला है धात्विक खनिजों में मूल्यवान सोना, प्लैटिनम, चांदी तांबा से लेकर एल्युमीनियम और लोहा मिलता है यह धात्विक खनिज विभिन्न प्रकार की शैलों में पाए जाते हैं।


4- ईंधन कोयला पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस महत्वपूर्ण खनिज ईंधन है परमाणु ऊर्जा भी ईंधन के रूप में हमें विभिन्न प्रकार की स्थलों से मिलती है।


5- शैल और खनिज आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है यह सही प्रकार की धातुओं मूल्यवान पत्थर उद्योगों के लिए माल और ईंधन के स्रोत हैं।


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