नई शिक्षा नीति पर निबंध हिंदी में || Essay on New Education Policy in Hindi

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नई शिक्षा नीति पर निबंध हिंदी में || Essay on New Education Policy in Hindi

नई शिक्षा नीति पर निबंध हिंदी में || Essay on New Education Policy in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम आपको नई शिक्षा नीति पर निबंध हिंदी में लिखना बताएंगे। दोस्तों अगर आप चाहते हैं की नई शिक्षा नीति पर निबंध किस प्रकार से लिखा जाएगा तो यह पोस्ट आपके लिए ही है। तो इसलिए आपको इस पोस्ट को पूरा Last तक जरूर पढ़ना है। पोस्ट पसंद आए तो अपने सभी दोस्तों के साथ भी share कर दीजिएगा।


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Table of contents –


1.प्रस्तावना

2.अंग्रेजी शासन में शिक्षा की स्थिति

3. नई शिक्षा नीति 2020 की आवश्यकता

4.स्वतंत्रता के पश्चात की स्थिति

5.शिक्षा नीति का उद्देश्य

6.नई शिक्षा नीति की विशेषताएं

7.नई शिक्षा नीति की समीक्षा

8.उपसंहार


प्रस्तावना – 


शिक्षा मानव जीवन के सर्वागीण विकास का सर्वोत्तम साधन है। प्राचीन शिक्षा व्यवस्था मानव को उच्च आदर्शों की उपलब्धि के लिए अग्रसर करती थी और उसके वैयक्तिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन के सम्यक विकास में सहायता करती थी।

नई शिक्षा नीति मौजूदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्थान पर 29 जुलाई 2020 को अस्तित्व में आई। शिक्षा नीति में यह बदलाव कुल 24 वर्ष के अंतराल के बाद किया गया है। लेकिन बदलाव जरूरी था और समय की जरूरत के अनुसार यह पहले से ही हो जाना चाहिए था।


शिक्षा की यह व्यवस्था हर देश और काल में तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन संदर्भों के अनुरूप बदलती रहनी चाहिए। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है, जिसे सन् 1835 ईस्वी में लागू किया गया था। अंग्रेजी शासन की गलत शिक्षा नीति के कारण ही हमारा देश स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी पर्याप्त विकास नहीं कर सका।


अंग्रेजी शासन में शिक्षा की स्थिति – 


सन् 1835 में जब वर्तमान शिक्षा प्रणाली की नींव रखी गई थी तब लॉर्ड मैकाले ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि, "अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य भारत में प्रशासन को बिचौलियों की भूमिका निभाने तथा सरकारी कार्य के लिए भारत के लोगों को तैयार करना है।" इसके फलस्वरूप एक सदी तक अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के प्रयोग में लाने के बाद भी सन् 1935 ईस्वी में भारत साक्षरता के 10% के आंकड़े को भी पार नहीं कर सका। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भी भारत की साक्षरता मात्र 13% ही थी। इस शिक्षा-प्रणाली ने उच्च वर्गों को भारत के शेष समाज से पृथक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी बुराइयों को सर्वप्रथम गांधी जी ने सन् 1917 में 'गुजरात एजुकेशन सोसायटी' के सम्मेलन में उजागर किया तथा शिक्षा में मातृभाषा के स्थान और हिंदी के पक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर तार्किक ढंग से रखा।


नई शिक्षा नीति 2020 की आवश्यकता –


पहले की शिक्षा मूल रूप से सीखने और परिणाम देने पर केंद्रित थी। विद्यार्थियों का आकलन प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता था। यह विकास के लिए एक बहु एकल दिशा वाला दृष्टिकोण था। लेकिन नई शिक्षा नीति एक बहुपिवयक दृष्टिकोण की प्रासंगिकता पर केंद्रित है जिसका उद्देश्य विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करना है।


नई शिक्षा नीति एक नए पाठ्यक्रम और शिक्षा की संरचना के गठन की कल्पना करती है जो छात्रों को सीखने के विभिन्न चरणों में मदद करेगी। शिक्षा को शहरी ग्रामीण क्षेत्र में सभी तक पहुंचाने के लिए मौजूदा शिक्षा प्रणाली में बदलाव किया जाना चाहिए। यह लक्ष्य 4- गुणवत्ता शिक्षा को पूरा करके स्थिरता को पूरा करने की ओर होगा।


स्वतंत्रता के पश्चात की स्थिति – 


स्वतंत्रता के पश्चात भारत में ब्रिटिशकालीन शिक्षा-पद्धति में परिवर्तन के कुछ प्रयास किए गए। इनमें सन् 1968 ईस्वी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति उल्लेखनीय है। सन् 1976 में भारतीय संविधान में संशोधन के द्वारा शिक्षा को समवर्ती-सूची में सम्मिलित किया गया, जिससे शिक्षा का एक राष्ट्रीय और एकात्मक स्वरूप विकसित किया जा सके। भारत सरकार ने विद्यमान शैक्षिक व्यवस्था का पुनरावलोकन किया और राष्ट्रव्यापी विचार-विमर्श के बाद 26 जून, सन् 1986 को नई शिक्षा नीति की घोषणा की।


शिक्षा नीति का उद्देश्य –


इस शिक्षा नीति का गठन देश को 21वीं सदी की ओर ले जाने के नारे के अंगरूप में ही किया गया है। नए वातावरण में मानव संसाधन के विकास के लिए नए प्रतिमानों तथा नए मानकों की आवश्यकता होगी। 


नई शिक्षा नीति का उद्देश्य एक बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ, जिस भी क्षेत्र में वह रुचि रखता है, उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित करना है। इस तरह सीखने वाले अपने उद्देश्य, और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होते हैं। शिक्षार्थियों को एकीकृत शिक्षण प्रदान किया जाना है यानी उन्हें प्रत्येक अनुशासन का ज्ञान होना चाहिए। उच्च शिक्षा में भी यही बात लागू होती है। नई शिक्षा नीति में शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के सुधार पर भी जोर दिया जाता है।


नए विचारों को रचनात्मक रूप में आत्मसात करने में नई पीढ़ी को सक्षम होना चाहिए। इसके लिए बेहतर शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही नई शिक्षा नीति का उद्देश्य आधुनिक तकनीक की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त श्रम-शक्ति को जुटाना है; क्योंकि इस शिक्षा नीति के आयोजकों के विचार से इस समय देश में विद्यमान श्रम-शक्ति यह आवश्यकता पूरी नहीं कर सकती।


नई शिक्षा नीति की विशेषताएं –


(i) नवोदय विद्यालय – नई शिक्षा नीति के अंतर्गत देश के विभिन्न भागों में विशेषकर अंचलों में नवोदय विद्यालय खोले जाएंगे, जिनका उद्देश्य प्रतिभाशाली छात्रों को बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ने का अवसर प्रचार करना होगा। इन विद्यालयों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लागू होगा।


(ii) रोजगारपरक शिक्षा – नवोदय विद्यालयों में शिक्षा रोजगारपरक होगी तथा विज्ञान और तकनीक उसके आधार होंगे। इससे विद्यार्थियों को बेरोजगारी का सामना नहीं करना पड़ेगा।


(iii) 10+2+3 का पुनर्विभाजन –  इन विद्यालयों में शिक्षा 10+2+3 पद्धति पर आधारित होगी। 'त्रिभाषा फार्मूला' चलेगा, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी एवं मातृभाषा या एक अन्य प्रादेशिक भाषा रहेगी। सत्रार्द्ध प्रणाली (सेमेस्टर सिस्टम) माध्यमिक विद्यालयों में लागू की जाएगी और अंकों के स्थान पर विद्यार्थियों को ग्रेड दिए जाएंगे।


(iv) समानांतर प्रणाली – नवोदय विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की एक समानांतर शिक्षा-प्रणाली शुरू की जाएगी।


(v) अवलोकन व्यवस्था – केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद शिक्षा-संस्थानों पर दृष्टि रखेगी। एक अखिल भारतीय शिक्षा सेवा संस्था का गठन होगा। माध्यमिक शिक्षा के लिए एक अलग संस्था गठित होगी।


(vi) उच्च शिक्षा में सुधार – अगले दशक में महाविद्यालयों से सम्बद्धता समाप्त करके उन्हें स्वायत्तशासी बनाया जाएगा। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारा जाएगा तथा शोध के उच्च स्तर पर बल दिया जाएगा।


(vii) आवश्यक सामग्री की व्यवस्था – प्राथमिक विद्यालयों में 'ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड' (Operation Blackboard) लागू होगा। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय के लिए दो बड़े कमरों का भवन, एक छोटा सा पुस्तकालय, खेल का सामान तथा शिक्षा से संबंधित अन्य साज-सज्जा उपलब्ध रहेगी। शिक्षा मंत्रालय ने प्रत्येक विद्यालय के लिए आवश्यक सामग्री की एक आकर्षक और प्रभावशाली सूची भी बनाई है। प्रत्येक कक्षा के लिए एक अध्यापक की व्यवस्था की गई है।


(viii) मूल्यांकन और परीक्षा सुधार – हाईस्कूल स्तर तक किसी को भी अनुत्तीर्ण नहीं किया जाएगा। परीक्षा में अंकों के स्थान पर 'ग्रेड प्रणाली' प्रारंभ की जाएगी। छात्रों की प्रगति का आकलन श्रमिक मूल्यांकन द्वारा होगा।


(ix) शिक्षकों को समान वेतनमान – देशभर में अध्यापकों को 'समान कार्य के लिए समान वेतन' के आधार पर समान वेतन मिलेगा। प्रत्येक जिले में शिक्षकों के प्रशिक्षण-केंद्र स्थापित किए जाएंगे।


(x) मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना – नई शिक्षा नीति के अंतर्गत संपूर्ण देश के पैमाने पर एक मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। इस मुक्त विश्वविद्यालय का दरवाजा सबके लिए खुला रहेगा; ना तो उम्र का कोई प्रतिबंध होगा और ना ही समय का कोई बंधन।


(xi) नई शिक्षा नीति के अंतर्गत निजी क्षेत्र के व्यवसायी यदि चाहें तो आवश्यकता के अनुरूप शिक्षण-संस्थान खोल सकेंगे।


नई शिक्षा नीति की समीक्षा –


वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जो अनेकश: दोष हैं उनकी अच्छी-खासी चर्चा सरकारी परिपत्र 'Challenges of Education : A Policy Perspective' में की गई है। इस शिक्षा प्रणाली से संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं का भविष्य अंधकारमय होकर रह गया है। इसके अंतर्गत केवल अंग्रेजी का ही बोलबाला होगा; क्योंकि इसके लागू होने के साथ-साथ पब्लिक स्कूलों को समाप्त नहीं किया गया है। फलत: इस नीति की घोषणा के बाद देश में अंग्रेजी माध्यम वाले मोंटेसरी स्कूलों की गली-कूचों में बाढ़-सी आ गई है। शिक्षा पर अयोग्य राजनेता दिनोंदिन नवीन प्रयोग कर रहे हैं, जिससे लाभ के स्थान पर हानी हो रही है। शिक्षा के प्रश्न को लेकर बहुधा अनेकों गोष्ठियां, सेमिनार आदि आयोजित किए जाते हैं किंतु परिणाम देखकर आश्चर्य होता है कि शिक्षा-प्रणाली सुधरने के बजाय और अधिक निम्नकोटि की होती जा रही है। वस्तुतः भ्रष्टाचार के चलते अच्छे व समर्पित शिक्षा अधिकारी जो संख्या में इक्का-दुक्का ही हैं; उनके सुझावों का प्रायः स्वागत नहीं किया जाता। शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम भी कुछ इस प्रकार का निर्धारित किया गया है कि एक के बाद दूसरी पीढ़ी के आ जाने तक भी ना उसमें कुछ संशोधन होता है, नाही परिवर्तन। पिष्टपेषण की यह प्रवृत्ति विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति अश्रद्धा जगाती है। निश्चित ही हमारी अधुनातन शिक्षा-नीति, पद्धति, व्यवस्था एवं ढांचा अत्यंत दोषपूर्ण सिद्ध हो चुका है। यदि इसे शीघ्र ही ना बदला गया तो हमारा राष्ट्र हमारे मनीषियों के आदर्शों की परिकल्पना तक नहीं पहुंच सकेगा।


उपसंहार – नई शिक्षा-नीति के परिपत्र में प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल पर शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और मानदंडों की समीक्षा की व्यवस्था की गई है; किंतु सरकारों में जल्दी-जल्दी हो रहे परिवर्तनों से इस नई शिक्षा-नीति से नवीन अपेक्षाओं और सुधारों की संभावनाओं में विशेष प्रगति नहीं हो पाई है। 

वर्तमान शिक्षा प्रणाली वर्ष 1986 की मौजूदा शिक्षा नीति में किए गए परिवर्तनों का परिणाम है। इसे शिक्षार्थी और देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित है। इस नीति के तहत वर्ष 2023 तक अपने उद्देश्य को प्राप्त करने का लक्ष्य है।

साथ ही यह शिक्षा-नीति एक सुनियोजित व्यवस्था, साधन संपन्नता और लग्न की मांग करती है। यदि नई शिक्षा नीति तो ईमानदारी और तत्परता से कार्यान्वित किया जाए तो निश्चय ही हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ सकेंगे।


10 lines essay on new Education Policy 


1. New education Policy in India was announced on the 29th of July 2020.


2. The Union Cabinet of India approved this education scheme.


3. They added a new vision to education.


4. The New Education Policy will replace the old one that was the national policy on education of 1986.


5. It was not an easy task; it took many years and meetings to bring this new education policy.


6. In this policy, concept of 10 + 2 has been replaced by the 5+3+3+4 model.


7. Instead of giving exams every year now, students have to face exams only in classes 3,5 and 8. PARAKH is a new assessment process for students.


8. The age limit for this new system will be 3-8 years in the first group, 8-11 years in the second, 11-14 in the third, and 14-18 years in the 4th group.


9. A new committee was formed under the cabinet secretary T.S.R.


10. This education system also aims to increase the GDP from 4% to 6% in the education sectors.


People Also Asked –


प्रश्न – नई शिक्षा नीति 2022 का उद्देश्य क्या है?

उत्तर – पहले दसवी और बारहवीं के पैटर्न को फॉलो किया जाता था परंतु अब नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा जिससे कि 12 साल की स्कूल शिक्षा होगी और 3 साल की फ्री स्कूल शिक्षा होगी। छठी कक्षा से व्यवसायिक परीक्षण इंटर्नशिप प्रारंभ कर दी जाएगी।


प्रश्न – नई शिक्षा नीति के मुख्य बिंदु क्या है?

उत्तर – इस नीति के तहत 3 से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत रखा गया है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है। 2025 तक पूर्व माध्यमिक शिक्षा (3 से 6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना।


प्रश्न – नई शिक्षा नीति का निष्कर्ष क्या है?

उत्तर – नई शिक्षा नीति के विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह शिक्षा नीति समय की मांग को पूरा करने व विश्व स्तर पर भारतीय ज्ञान, विज्ञान और कला संस्कृति को पहुंचाने की एक महत्वकांक्षी नीति है।


प्रश्न – नई शिक्षा नीति क्या है विस्तार से समझाइए?

उत्तर – नीति के अंतर्गत सरकार के द्वारा कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित कीजिए गए हैं, जिसमें वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100% तक लाना शामिल है। शिक्षा के क्षेत्र पर केंद्र व राज्य सरकार की मदद से जीडीपी का 6% हिस्सा व्यय करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।


प्रश्न – नई शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षक की क्या भूमिका होगी?

उत्तर – इस नई शिक्षा नीति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की ही है। क्योंकि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है ‌ शिक्षा नीति में जो भी नए परिवर्तन हुए हैं उनको शिक्षक समझ कर विद्यार्थियों व अभिभावकों को समझाने की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक ही निभा रहे हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी भी बढ़ी है।


प्रश्न – शिक्षा में 5 3 3 4 का अर्थ क्या है?

उत्तर – नई स्कूली शिक्षा प्रणाली के अनुसार, बच्चे पांच साल फाउंडेशनल stage में, 3 साल प्रिपरेटरी स्टेज में, 3 साल मिडिल स्टेज में और 4 साल सेकेंडरी स्टेज में बिताएंगे।


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Reference –

सामान्य हिंदी

लेखक – हीरालाल जैन page no - 315-317

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