जल ही जीवन है पर निबंध | jal Hi jeevan hai Par Nibandh

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जल ही जीवन है पर निबंध | jal Hi jeevan hai Par Nibandh

 जल ही जीवन है पर निबंध | jal Hi jeevan hai Par Nibandh

आज हम जल ही जीवन है पर निबंध (jal Hi jeevan hai Par Nibandh)  दोस्तों पृथ्वी पर जल महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। हमारे जीवन में जल का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस निबंध को आप अंत तक पढिएगा।


 हम आपको ( jal Hi jeevan Hai Par Nibandh) बहुत आसान भाषा में समझाने का प्रयत्न करेंगे अधिकतर परीक्षा में यह निबंध पूछा जाता है आप सभी के लिए यह मददगार होगा।


जल ही जीवन है पर निबंध | jal Hi jeevan hai Par Nibandh
प्रस्तावना

जल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहें या ये कहें कि इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते तो यह गलत भी नहीं होगा। क्योंकि जल है तो जीवन है जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71% है।


इसमें से हमारी पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है और इसका बहुत छोटा भागी थी मानो प्रयोग के लिए उपलब्ध है अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। इस प्रकार जल के विकास के लिए जल का मूल्यांकन और संरक्षण आवश्यक हो गया है।


हमारे देश भारत के जल संसाधन


भारत में विश्व के धरातल क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में 1 वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन किलोमीटर है।


धारा तली जल और पुनः पूर्ति योग जल से 1,869 घन

की.मि. जल उपलब्ध है। इसमें से केवल प्रतिशत जल का लाभ दायक उपयोग किया जा सकता है इस प्रकार हमारे देश में जल संसाधन 1,122 घन की. मि. है।


जल के स्रोत


पृथ्वी पर जल के चार मुख्य स्रोत है। जो कि है नदिया, झीले, तलैया तालाब। देश में कुल नदियां तथा सहायक नदियां जिन की लंबाई 1.6 कि.मी. से अधिक है ऐसे नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां हैं। भारत में सभी नदी बेसिनो में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन की. मि. में होने का अनुमान किया गया है।


फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त दरात जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। कुछ नदियां जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, और सिंधु, के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं। गंगा ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है।


ये नदियां यद्यपि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती हैं। जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदियां जैसे गोदावरी, कृष्णा, और कावेरी में वार्षिक जल प्रभाव का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र, और गंगा, बेसिनो में अभी भी संभव नहीं हो सका है


जल की जरूरत और उसका प्रयोग


पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो  -  तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसलिए पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।


और बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसे भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, दामोदर, घाटी, परियोजना, नागार्जुन सागर, परियोजना, इंदिरा गांधी, नहर, परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में वर्तमान में जल की मांग सिंचाई की अवस्था के लिए अधीक है।


हमारी पृथ्वी का भूजल सबसे अधिक कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें धरातल ही जल का 89 प्रतिशत और भूजल का 92 प्रतिशत जल का उपयोग किया जाता है। जबकि औद्योगिक सेक्टर में सतह जल केवल 2 प्रतिशत और भूजन का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।


घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भूजल की तुलना में अधिक 9 प्रतिशत कुल जल के क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है फिर भी भविष्य में भी और अभी भी औद्योगिक और घरेलू सेक्टर में जल का उपयोग बढ़ाने की संभावना है।


उपाय


आज के इस दौर में बढ़ते जल प्रदूषण को देखते हुए सरकार द्वारा बहुत से अभियान चलाए जा रहे हैं हर जगह नदियां तालाब आदि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तो हमारा भी यह करता बनता है कि हमें अपनी तरफ से जल बचाना चाहिए उसकी बर्बादी नहीं करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए


सबसे पहले तो जो लोग नदियों तालाबों नहरो कुओ आदि के किनारे बैठ कर नहाते हैं और कपड़े धुलते हैं, उसके पश्चात साबुन का इस्तेमाल करते हैं वह जल में जाकर मिलता है जिससे जल प्रदूषित होता है उन्हें रोकना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए और इसके अलावा हमें बड़े-बड़े गड्ढों में जल को एकत्रित करना होगा।


लोगों को जल बचाने के लिए जागरुक करना होगा वर्षा में हो रहे जल को भी एकत्रित करना होगा। कारखानों से आ रहे दूषित जल को नदियों तालाबों आदि ने मिलने से रोकना होगा और सभी को आवश्यकतानुसार की जड़ को खर्च करने की सलाह देनी होगी इन प्रयासों से हम जल दूषित होने और जल कम होने से कुछ मात्रा में रोक सकते हैं।


किन राज्यों में जल उपयोग अधिक है।


पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और तमिलनाडु, राज्यों में भूजल का उपयोग बहुत अधिक है। परंतु कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़ उड़ीसा केरल आदि अपने भूजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।


 गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, और महाराष्ट्र अपने भूजल संसाधनों का माध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।


जल के गुणों का हास


जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक भारी पदार्थ से रहित जल से है। जल बाहरी पदार्थ जैसे सूक्ष्म भी जीव, रासायनिक पदार्थों यौगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं, और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते।


जब विषैले पदार्थ झीलों, झरनों, नदियों, समुद्रों, और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं। तो वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलंबित हो जाते हैं इससे जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जली तंत्र(aquatic system) प्रभावित होते हैं।


कभी-कभी प्रदूषण नीचे तक पहुंच जाते हैं और भूजल को प्रदूषित करते हैं। हमारे देश में गंगा और यमुना ऐसी पवित्र नदियां है, जो सबसे अधिक प्रदूषित हैं परंतु अभी इन को साफ रखने के कई कार्य चल रहे है।


जल जीवन मिशन


हमारी भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया इस मिशन के तहत घर-घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है।


73 स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी जी ने कहा कि देश में अभी करीब 50 फ़ीसदी परिवार को पाइप के द्वारा पानी नहीं मिल पा रहा है। जल संकट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है।


और वह काम है, हमारे देश के हर घर में जल पहुंचाना और घर को पीने का शुद्ध जल मिले इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उन्होंने ऐलान किया कि हम इस मिशन को बहुत आगे लेकर जाएंगे ताकि सभी को स्वच्छ और साफ जल की प्राप्ति हो सके।


उन्होंने कहा कि जल मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कार्य करेगी और आने वाले वर्षों में साढे़ तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है प्रधानमंत्री जी ने बताया कि जल जीवन मिशन पर आगामी वर्षों में करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।


मोदी जी ने कहा कि हमें जल संरक्षण के प्रयासों में अधिक तेजी लानी होगी उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है मोदी जी ने प्रत्येक कार्य में पानी की उपलब्धता के तहत इस मिशन की शुरुआत की है।


जल ही जीवन है पर निबंध | jal Hi jeevan hai Par Nibandh
विशव जल दिवस

22 मार्च को मनाने वाली विशव जल दिवस के दिन, देश के कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं 1933 से मनाई जा रही है। इस दिवस को आज भी काफी उत्सव के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विशव की सभी विकसित देशों को स्वच्छ और साफ जल की उपलब्धता करना साथ जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है।


उपसंघार


हमारी पृथ्वी पर पानी की मात्रा सीमित है और इस बात की जानकारी सभी को रखनी चाहिए क्योंकि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन संभव नहीं है इसके लिए हमें इसके महत्व को समझाना होगा। वरना ऐसा ना हो कि हम पानी को पीना तो दूर देख भी ना सकें।


इसलिए अभी से इसके संरक्षण के बारे में सोचना और पानी की बचत करना बहुत जरूरी है। सरकार और कई संस्थाएं साथ ही कई अभिमान भी पानी के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। तो हमें भी इन पानी बचत के कार्यक्रम में पूरा-पूरा सहयोग देते हुए पानी की बचत करनी चाहिए।


क्योंकि बहुत कीमती है ये पानी किसी सोने-चांदी से कम नहीं है। इसलिए इसके महत्व को समझे और जल की बचत करिए, जल है तो हमें है, जल है तो जीवन है।


तो यह था जल ही जीवन है पर निबंध आशा करता हूं कि जल ही जीवन है पर  निबंध (Jal Hi Jeevan Hai par Nibandh) आपको पसंद आया होगा अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है तो इसलिए को सभी के साथ शेयर करें।


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