फसली वर्ष क्या होता है? फसली वर्ष कैसे निकालते हैं। Fasali varsh kya hota hai phsali varsh kaise nikaalte hain
नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को खतौनी में लिखी "फसली वर्ष" क्या होता है? इसके बारे में बताने जा रही हूं इस फसली वर्ष का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को होना चाहिए, खासकर सिविल की वकालत करने वाले ने अधिवक्ताओं को क्योंकि इस फसली वर्ष का महत्व राजस्व मुकदमों में भूत होता। यदि आपको ज्ञात होगा तो आप अपने मुवक्किल के बाद को जीत सकते हैं।
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तो चलिए इसके बारे में एक-एक सब कुछ जाने।
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Fasali varsh kya hota hai phsali varsh kaise nikaalte hain |
क्या है फसली वर्ष कृषि वर्ष
फसली वर्ष कृषि वर्ष जिसके नाम से ही थोड़ा बहुत मालूम चल रहा होगा कि इसका संबंध फसलों के साल से है असली वर्ष का उपयोग खेती की भूमि को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है,
जो अधिकतर आप लोगों को खतौनी में देखने को मिलेगा। प्रत्येक फसली वर्ष में खतौनी का पुनरीक्षण किया जाता है। प्रत्येक राज्य का फसली वर्ष उस राज्य की जलवायु पर आधारित होता है। उत्तर प्रदेश राज्य की बात करें तो इसका फसली वर्ष 1 जुलाई से 30 जून तक होता है, जो कि पूरा 1 साल होता है, इसमें इसके दो भागों में विभाजित किया जाता है। इसका मतलब फसली वर्ष भी सामान वर्ष की तरह 12 महीने का होता है। इसके बाद अगला फसली वर्ष चालू हो जाता है। फसली वर्ष को संक्षिप्त रूप में 'फ' शब्द लिखते हैं। लेखपाल के द्वारा हर साल फसली वर्ष के अनुसार खसरा तैयार किया जाता है। इसी प्रकार खतौनी अभिलेख प्रत्येक 6 साल बाद यानी प्रत्येक 6 फहली वर्ष बाद तैयार किया जाता है। खतौनी पुनरीक्षण का कार्य प्रत्येक फसली वर्ष में चलता है।
फसली वर्ष कैसे ज्ञात करते हैं?
फसली वर्ष ज्ञात करने के लिए हमें दो संख्याएं 594 और 593 याद रखनी है, इनका क्या उपयोग नीचे बताने जा रहे हैं जैसा कि हम जानते हैं कि फसली वर्ष 1 जुलाई से 30 जून तक होता है जो कि पूरा 1 साल होता है इसे हम 6 माह के दो भागों में विभाजित कर सकते हैं, पहला भाग 1 जुलाई से 30 दिसंबर तक का दूसरा भाग 1 जनवरी से 30 जून तक।
पहला भाग: 1 जुलाई से 31 दिसंबर—(-592)
दूसरा भाग: 1 जनवरी से 30 जून: —(-593)
इसमें पहले भाग 1 जुलाई से 25 दिसंबर के बीच फसली वर्ष निकालने के लिए उस अंग्रेजी वर्ष में से 552 घटा देते हैं।
दूसरे भाग 1 जनवरी से 30 जून के बीच फसली वर्ष निकालने के लिए उस फसली वर्ष में से 593 घटाते हैं।
पहला 1 जुलाई से 31 दिसंबर और दूसरा 1 जनवरी से 23 जून तक। प्रत्येक 5 वर्ष में फसली वर्ष बदलता रहता है। फसली वर्ष को ही कृषि वर्ष कहते हैं।
फसली वर्ष का इतिहास-
मुगल शासक अक्टूबर द्वारा फसली वर्ष प्रारंभ किया गया था। अकबर के शासन काल में हिजरी वर्ष प्रचलित था। तब अकबर ने कृषि और मालगुजारी के उद्देश्य से, ऐसे संबंधित साल का प्रारंभ किया जो फसलों के हिसाब से प्रारंभ हो और फसलों के हिसाब से खत्म हो एवं रितुओ से मिलता हो, चंद्रमास की तरह ना घटे । इस प्रकार उसने 1555 में 963 फसली शुरुआत की, जोकि 963 अकबर के सिंघासनारुढ होने का हिजरी वर्ष था। इसके बाद से राजस्व रिकॉर्ड में लगातार फसली वर्ष या कृषि वर्ष चलता आ रहा है। हर राज्य का फसली वर्ष उसकी जलवायु के हिसाब से होता है।
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