Up board model paper 2023 class 12th Sociology chapter 10// यूपी बोर्ड मॉडल पेपर 2023 कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 10
यूपी बोर्ड मॉडल पेपर 2023 कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 10 औद्योगिक समाज में परिवर्तन एवं विकास
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न-1 औद्योगिकरण का सामाजिक प्रभाव है|
1-सामाजिक मूल्यों के नए प्रतिमान
2-नवीन दृष्टिकोण एवं मनोवृतियो का विकास
3-जाति व्यवस्था में शिथिलता
4-उपर्युक्त सभी
उत्तर4- उपर्युक्त सभी
प्रश्न -2 औद्योगिकरण का आर्थिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है-
1-विशेषज्ञों का प्रादुर्भाव
2-आपसी तनाव एवं संघर्ष में वृद्धि होती है
3-उत्पादन व्यवस्था परिवर्तन होती है
4- उपर्युक्त सभी
उत्तर 4-उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3 निम्न में से कौन सा कारक औद्योगिकरण में सहायक है?
1-प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता
2-सरकार का व्यापक दृष्टिकोण
3-जनता का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
4-उपर्युक्त सभी
उत्तर4- उपर्युक्त सभी
प्रश्न4- औद्योगिक करण से लाभ होता है।
1-राष्ट्र आत्मनिर्भर बनता है
2-अंधविश्वासों का अंत होता है
3-व्यापार में तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है
4-उपर्युक्त सभी
उत्तर4- उपस्थित सभी
प्रश्न 5 औद्योगिकरण से आशय है-
1-उत्पादन के क्षेत्र में मशीनीकृत यंत्रो तथा उर्जा का अधिक प्रयोग
2-यातायात के तीव्र साधन इस्तेमाल करना
3-बहुराष्ट्रीय कंपनियां स्थापित करना
4-आधुनिक ढंग से कृषि करना
उत्तर4- उत्पादन के क्षेत्र में मशीनीकृत यंत्रों तथा ऊर्जा का अधिक प्रयोग
प्रश्न 6 आर्थिक वस्तुओं के उत्पादन एवं सेवाओं में अमानवीय शक्ति के अधिकाधिक प्रयोग से संबंधित प्रक्रिया है-
1-लौकीकिकरण
2-औद्योगिकरण
3-संस्कृतीकरण
4-नगरीकरण
उत्तर 4-औद्योगिकरण
प्रश्न 7 उदारीकरण से रोजगार के क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा।
1-सरकारी कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना विकसित हुई है
2-कंपनियों में स्थाई कर्मचारियों की संख्या घट रही है
3-बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बोलबाला हो गया है
4-उपर्युक्त सभी
उत्तर 4-उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8 मजदूर संघ ट्रेड यूनियन की स्थापना किसने की?
1-बी.पी वाडिया
2-महात्मा गांधी
3-एम एन राय
4-बाबासाहेब आंबेडकर
उत्तर1- बी.पी वाडिया
प्रश्न-9 औद्योगिकरण के लक्षण हैं-
1-आधुनिक मशीनों का प्रयोग
2-उत्पादन में वृद्धि
3-अ और ब दोनों
4-इनमें से कोई नहीं
उत्तर 3-अ और ब दोनों
प्रश्न 10 सामाजिक परिवर्तन एक सीधी रेखा में होता है यह किस सिद्धांत की अवधारणा है?
1-चक्रीय
2-रेखीय
3-उद्विकासीय
4- जनांकिकीय
उत्तर 2-रेखी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1 हड़ताल तथा तालाबंदी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए
उत्तर- जब कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब हड़ताल होती है। कर्मचारियों की शिकायतों को रखने का यह एक शांतिपूर्ण मार्ग है। तालाबंदी के अंतर्गत प्रबंधक कंपनी के गेट पर ताला मार देता है। तथा कामगारों को काम करने से रोक दिया जाता है।
प्रश्न-2 आज के औद्योगिक समाज की प्रमुख विशेषताएं क्या है?
उत्तर- औद्योगिकरण ने लोगों को व्यस्त बना दिया है। सामाजिक संबंधों के निर्माण के लिए उनके पास बहुत ही कम समय है। इससे समानता बढी है। उदाहरण के तौर पर सार्वजनिक स्थानों जैसे ट्रेन, बस, रेस्टोरेंट, अथवा साइबर कैफो में जातिगत भेदभाव देखने को नहीं मिलता।
प्रश्न 3 उदारीकरण की नीति क्या है?
उत्तर- भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत निजी क्षेत्रों को बहुत सारे क्षेत्रों में स्वतंत्रता दी गई है जैसे
1-लाइसेंस की सरल प्रक्रिया
2-कच्ची सामग्री के आयात की सुविधा
3-वस्तुओं की कीमतों के निर्धारण तथा उनका वितरण हेतु कारणों में शिथिलता उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था से जोड़ा है।
प्रश्न-4 लोग काम कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर -आधुनिक समाज में रोजगार के लिए समाचार पत्रों तथा वेबसाइटों पर विज्ञापन निकाले जाते हैं। आवेदक अपने आवेदन संबंधित विभाग या नियुक्ता के पास भेजते हैं। बहुत सारे शैक्षणिक संस्थाओं में प्लेसमेंट के द्वारा भी रोजगार प्रदान किए जाते हैं। बहुत से लोग संदर्भों के द्वारा भी काम प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 5 माक्र्स के अनुसार पराधीनता अथवा पराधीन श्रम क्या है?
उत्तर- आधुनिक उद्योगों में श्रम का विभाजन व्यापक पैमाने पर है इसमें मजदूर एक ही काम को बार-बार करते थक जाता है तथा काम में उसकी दिलचस्पी कम होती जाती है माक्र्स के अनुसार श्रम की यह स्थिति पराधीनता कहलाती है।
प्रश्न 6 औद्योगीकरण उसने परस्पर संबंध को किस प्रकार से प्रभावित किया है?
उत्तर- ग्रामीण लोग उद्योगों में काम करने के लिए अपने गांव तथा परिवार को छोड़ देते हैं। संयुक्त परिवार की प्रथा लगभग समाप्त हो गई है।
प्रश्न 7 संगठित क्षेत्र की किन्हीं दो विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-1. संगठित क्षेत्र उस क्षेत्र को कहते हैं जहां 1 वर्ष में कम से कम 10 या उससे अधिक लोग नियोजित होते हैं।
2. संगठित क्षेत्र में काम करने वालों को नियमित रूप से वेतन पेंशन तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है।
प्रश्न 8 असंगठित क्षेत्र की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर- असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगार अपनी अज्ञानता अशिक्षा तथा तदर्थ रूप से काम करने के कारण अपने समान हितों के लिए स्वयं को संगठित नहीं कर पाते।
प्रश्न-9 विनिवेश की प्रक्रिया पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर- विनिवेश एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के शेयर निजी क्षेत्रों को भेज दिए जाते हैं बहुत से कर्मचारी विनिवेश के कारण अपने काम की समाप्ति की आशंका से भयभीत रहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1 उदारीकरण ने किस प्रकार से भारत की रोजगार पद्धति को प्रभावित किया है?
अथवा
उदारीकरण के किन्हीं तीन सामाजिक आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए
अथवा
उदारीकरण ने रोजगार प्रति मानव को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर-(अ)- भारत सरकार ने 1990 के दशक में उदारीकरण की नीति अपनाई निजी तथा विदेशी कंपनियां सरकार के लिए आरक्षित क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रेरित हुई।
(ब)- उदारीकरण के कारण कई भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने खरीद लिया दूसरी तरफ कई भारतीय कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियां बन गई।
(स)- विनिवेश की प्रक्रिया के अंतर्गत सरकार अपने सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर निजी क्षेत्रों को बेचने की कोशिश कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपने रोजगार से वंचित हो जाने की आशंका से भयभीत है। मॉडर्न फूड सार्वजनिक क्षेत्र के पहली कंपनी थी जिसका निजीकरण किया गया। इसमें काम करने वाले 60% कर्मचारियों को जबरन सेवा -निवृत कर दिया गया|
प्रश्न-2 समाज में लोग किस प्रकार से काम करते हैं?
उत्तर- विकसित देशों में अधिकांश लोग सेवा क्षेत्र में काम करते हैं तथा 10% या इससे भी कम लोग कृषि क्षेत्र में काम करते हैं भारत में वर्ष 1999-2000 के दौरान 60%लोग कृषि तथा खान में 17% लोग विनिर्माण क्षेत्र में तथा 23% लोग व्यापार , परिवहन तथा वित्तीय सेवा क्षेत्र में काम करते थे। यद्यपि आर्थिक समृद्धि में योगदान के दृष्टिगत कृषि के कार्य के हिस्से में तेजी से गिरावट आई है तथा यह आधा रह गया है। इसका कारण यह है कि जिस क्षेत्र में ज्यादा लोग कार्यरत हैं वह उन्हें अधिक आमदनी देने में सक्षम नहीं है।
प्रश्न-3 कर्मचारियों पर विनिवेश के प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-(अ)- बहुत से सरकारी कर्मचारी इस बात को लेकर भयभीत हैं कि विनिवेश के कारण उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। मॉडर्न फूड कंपनी जिसकी स्थापना सरकार के द्वारा की गई थी तथा जिसका उद्देश्य अच्छा ब्रेड सस्ती दरों पर लोगों को उपलब्ध कराना था पहली कंपनी थी जिसका निजीकरण किया गया। प्रथम 5 वर्षों में इस कंपनी के 60% कर्मचारियों जबरन सेवा निवृत्त कराए गए।
(ब)- यद्यपि भारतीय कृषि के साथ-साथ सेवा क्षेत्र जैसे दुकान बैंक सूचना तथा प्रौद्योगिकी उद्योग होटल तथा अन्य सेवाएं अधिकाधिक लोगों को नियुक्त कर रहे हैं। शहरी मध्यम वर्ग अपने मूल्यों को लेकर तेजी से विकसित हो रहा है जिस प्रकार से हम टेलीविजन के सीरियलों तथा फिल्मों में देखते हैं।
प्रश्न-4 औद्योगिक समाज के प्रमुख बिंदुओं को लिखिए
उत्तर- औद्योगिक समाज की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न है-
(i)- संयंत्रों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है।
(ii)औद्योगिक समाज में कई प्रकार की नई सामाजिक विशेषताएं भी देखने को मिल रही है ;जैसे -
1-नगरीकरण तीव्र गति से होता है।
2- ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से निकटता बढ़ती है|
3- उद्योगों में कारखाना के मालिकों प्रबंधकों तथा श्रमिकों के बीच एक व्यवसायिक संबंध का विकास होता है।
4-श्रम के विभाजन को अपनाया जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1 औद्योगिक समाज की कल्पना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर -औद्योगिक समाज की कल्पना
समाजशास्त्र के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन उस समय किया गया जब औद्योगिकरण की नई अवधारणा आकार ले रही थी तथा मशीनों ने अपनी उपयोगिता को सिद्ध करना आरंभ कर दिया था। कार्ल मार्क्स बेवर तथा इमाइल दुर्खीम जैसे विचार को ने स्वयं को उद्योगों को अनेक नई संकल्पनाओं के साथ समृद्ध किया। जैसे कि नगरीकरण की संकल्पना जिससे आमने-सामने के संबंध को परिवर्तित किया जो कि ग्रामीण समाजों में पाए जाते थे। जहां के लोग अपने जान पहचान के भू स्वामियों के खेतों में काम करते थे उन संबंधों का स्थान आधुनिक कारखाना एवं कार स्तनों के अज्ञात व्यवसायिक संबंधों ने ले लिया। औद्योगिकरण से एक विस्तृत श्रम विभाजन आकार लेता है। अधिकांश लोग अपने कार्य का अंतिम रूप देख नहीं पाते क्योंकि उन्हें उत्पाद के एक छोटे से पुर्जे को बनाना होता है। प्राया यह कार दोहराने और थकाने वाला होता है किंतु फिर भी रोजगार हीन होने से यह स्थिति अच्छी है। कार्ल मार्क्स ने इस स्थिति को अलगाव कहा है जिसमें लोग अपने कार्य से प्रसन्न नहीं होते हैं बल्कि उनकी उत्तरजीविता भी इस बात पर निर्भर करती है की मशीनों ने मानवीय श्रम हेतु कितना स्थान रिक्त छोड़ा है।
औद्योगिकरण समाज के कुछ क्षेत्रों में व्यापक समानता प्रस्तुत की है जैसे रेलगाड़ियों बसों और साइबर कैफे में जाति भेदभाव के महत्व का ना होना। किंतु दूसरी ओर सामाजिक भेदभाव के पूर्व प्रचलित स्वरूप को नए कारखानों और कार्य स्थलों में हम आज भी देखते हैं। यह सच है कि वैश्विक स्तर पर सामाजिक असमानता है धीरे धीरे कम हो रही है। लेकिन आर्थिक न्याय से संबंधित आ समानताएं उत्पन्न हो रही है। प्रायः सामाजिक एवं इससे संबंधित असमानता परस्पर जुड़ी हुई है। उदाहरण के लिए अच्छे वेतन वाले व्यवस्थाओं जैसे औषधि कानून अथवा पत्रकारिता में उच्च जाति के लोगों का वर्चस्व आज भी बना हुआ है। प्रायः महिलाएं किसी कार्य के लिए पुरुषों की तुलना में कम वेतन पाती है।
समाज शास्त्रियों ने औद्योगिकरण के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों का विश्लेषण किया है बीसवीं शताब्दी में आधुनिकीकरण के सिद्धांत के प्रभाव स्वरूप औद्योगिकरण के अपरिहार्य एवं सकारात्मक रूप में प्रदर्शित किया गया है। आधुनिकीकरण का सिद्धांत यह तर्क देता है की अलग-अलग समाजों में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया की अवस्थाएं भी अलग-अलग होती है। लेकिन उन सभी की दिशा एक ही है। निश्चय ही आधुनिक समाज पश्चिमी समाजों का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
प्रश्न-2 भारत में औद्योगिकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -भारत में औद्योगिकरण
भारत में औद्योगिकरण से होने वाले अनुभव अनेक प्रकारों से पाश्चात्य प्रतिमान के समान और कई प्रकार से भिन्न है। विभिन्न देशों के बीच किए गए तुलनात्मक विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि औद्योगिकरण पूंजीवाद का कोई आदर्श प्रतिमान नहीं है। विकसित देशों में जनसंख्या का एक बड़ा भाग नौकरी पेशा लोगों का होता है उद्योगों और लगभग 10% लोग कृषि कार्यों में संलग्न होते हैं। वर्ष 1999 2000 में भारत में लगभग 60% लोग प्राथमिक क्षेत्र कृषि एवं खनन 17% लोग द्वितीय क्षेत्र उत्पादन निर्माण और उपयोगिता और 23% लोग तृतीय क्षेत्र व्यापार यातायात वित्तीय सेवाएं आदि में कार्यरत हैं। आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि का विश्लेषण करने से यह तथ्य प्रकट होता है। की कृषि कार्यों के हिस्से में तेजी से गिरावट आई है और इस क्षेत्र में होने वाले कार्य लगभग आधे से अधिक हो गए हैं। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है कि जिस क्षेत्र में अधिक लोग कार्यरत हैं वह उन्हें अधिक आय देने में सक्षम नहीं है भारत सरकार आर्थिक सर्वेक्षण 2001-2 भारत में 2006-7 में रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में इस प्रकार थे- कृषि में 15.19%, खदान एवं खनन में 0.61% उत्पादन में, 13.33% निर्माण में 6.10% व्यापार होटल एवं रेस्त्रां मे 13.18% यातायात भंडारण एवं संचार में 5.06%, सामुदायिक सामाजिक एवं व्यक्तिगत सेवाओं में 8.97%, वित्ती भीमा रियल स्टेट एवं व्यवसायिक सेवाओं में 2.22% तथा बिजली और पानी में 0.33%था। (स्रोत योजना आयोग ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 2007- 12)
भारत में स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में औद्योगिकरण
1948 की औद्योगिक नीति प्रस्ताव के साथ ही भारत में औद्योगिक नीति की विकास क्रम की शुरुआत हुई इस प्रस्ताव ने ना केवल नीत की मोटी मोटी रूपरेखा परिभाषित की अपितु इसने औद्योगिक विकास से जुड़े उद्यमियों और प्राधिकारी दोनों ही के रूप में राष्ट्र की भूमिका को रेखांकित किया। विभिन्न नीतिगत प्रस्तावों में भी सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति इस बुनियादी झुकाव को दोहराया गया। अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र को 1956 ईस्वी के औद्योगिक नीति प्रस्ताव में एक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई।
भारत में आधुनिक उद्योगों में सबसे पहले कपड़ा, जूट, खनन और रेलवे उद्योग की स्थापना हुई। अपनी औद्योगिक नीति के अनुसार सरकार ने अर्थव्यवस्था की ऊंचाइयों को छूने का संकल्प लिया। उच्च प्राथमिकता में रक्षा यातायात एवं संचार विद्युत खनन तथा अन्य परियोजनाएं शामिल थी जिन्हें चलाने की शक्ति के व सरकार के पास थी। सरकार निजी उद्योग को भी आगे बढ़ने का अवसर देना चाहती थी। भारत सरकार की मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ क्षेत्र तो सरकार के लिए आरक्षित थे जबकि कुछ अन्य निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए गए थे। इस मिश्रित नीति के अंतर्गत सरकार ने अपने लाइसेंस नीत की माध्यम से भारत के विभिन्न प्रदेशों में उद्योगों का जाल फैलाने का एक सुनिश्चित प्रयास किया था।
स्वतंत्रता से पहले उद्योग मुख्य रूप से मद्रास, मुंबई ,कोलकाता जैसे बंदरगाहों वाले शहरों में स्थित थे। परंतु आजादी के बाद उद्योग का विस्तार बड़ौदा कोयंबटूर बंगलुरु पुणे फरीदाबाद तथा राजकोट जैसे शहरों तक हुआ और आज यह महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों में गिने जाते हैं। सरकार ने लघु उद्योग को भी विशेष सुविधाएं और सहायता देकर प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। अनेक मुद्दे जैसे कागज और काट उत्पाद स्टेशनरी कांच तथा चीनी मिट्टी के बरतन आदि को लघु क्षेत्र के उद्योगों के लिए आरक्षित कर दिया गया था। 1991 में उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक निर्माण बाद पादन कार्य में संगलन कुल कार्यशील श्रम शक्ति का केबल 28 परसेंट भाग बड़े पैमाने के उद्योगों में जबकि 72 परसेंट भाग छोटे परमाणु और परंपरागत उद्योगों में कार्यरत था।
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