केशव प्रसाद मौर्य का जीवन परिचय | Keshav Prasad Maurya ka jivan Parichay in hindi
केशव प्रसाद मौर्य का जीवन परिचय, हिस्ट्री, घर परिवार, बेटी, उम्र, शिकायत, राजनीतिक करियर न्यूज़, नंबर (Keshav Prasad Maurya biography in hindi) (Son, Family, Wife, Department, Twitter, Vidhan, sabha, Seat, Election, Result,
![]() |
Keshav Prasad Maurya ka jivan Parichay in hindi |
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1- केशव प्रसाद मौर्य कौन है?
उत्तर - उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री।
प्रश्न 2- केशव प्रसाद मौर्य से शिकायत कैसे करें?
उत्तर - जनता दर्शन नामक मोबाइल एप्प के जरिए।
प्रश्न 3- केशव प्रसाद मौर्य की पत्नी का नाम क्या है?
उत्तर - राजकुमारी देवी मौर्य
प्रश्न 4- केशव प्रसाद मौर्य के कितने बच्चे हैं?
उत्तर - 2
सन 2017 में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बनी केशव प्रसाद मौर्य इस बार फिर से इसी पद पर विराजमान रहेंगे। जी हां इस बार यानी सन 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई है आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य भारतीय राजनीति की दशा पंथी विचारधारा के तहत भारतीय जनता पार्टी से संबंधित हैं। यह भारतीय जनता पार्टी के बहुत जाने-माने चेहरे हैं और उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष भी हैं साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव जीता 11 जनवरी सन् 2016 में पार्टी ने अपने 12 सदस्यों को इन पर बलिया में हमला करने की वजह से पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इसके ठीक बाद दो अन्य बड़े नेताओं पर भी मामले दर्ज हुए।
केशव प्रसाद मौर्य का जीवन परिचय
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म और शिक्षा
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में इलाहाबाद के कौशांबी जिले के एक छोटे से छोटे सिराथू मैं एक किसान परिवार में हुआ था। इनका बचपन बहुत कठिन तथा और इस वजह से इन्हें चाय और अखबार बेचना पड़ता था। इनके पिता का नाम श्यामलाल मौर्य और इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। उन्होंने इलाहाबाद हिंदी साहित्य सम्मेलन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढ़ाई की है।
केशव प्रसाद मौर्य का परिवार पत्नी बेटी
केशव प्रसाद मौर्य हिंदू धर्म के कुशवाहा समुदाय से संबंध रखते हैं। इनके पिता एक किसान थे उनकी huपत्नी का नाम राजकुमारी देवी मौर्य है और इनके तीन संतानों का आशीर्वाद मिला है। राजनीति के साथ-साथ उनका अपना व्यापार ही है और ये जीवन ज्योति क्लिनिक और हस्पताल के निर्देशक और पार्टनर है।
केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक कैरियर
केशव प्रसाद मौर्य हिदुत्व की राजनीति के लिए मशहूर है। यह एक लंबे समय तक विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे। लगभग 18 साल तक इन्होंने विश्व हिंदू परिषद के लिए प्रचार किया इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे एक अच्छा खासा समय इन संस्थाओं में गुजरने की वजह से उनकी राजनैतिक जुड़े मजबूत होती गई, जिससे इन्हें राजनीति में बहुत गहराई से उतरने में मदद मिली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत गरीबी संघ और ओबीसी की सोच का रास्ता अपनाकर की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जोड़कर इन्होंने इस संस्था को और भी मजबूत किया। यद्यपि केशव प्रसाद मौर्य की पहचान और कौशांबी के बाहर बहुत अधिक नहीं है लेकिन इनका हिंदुत्व इमेज कई हिंदू संस्थाओं में बहुत अच्छे से जाना जाता है। अपने शुरुआती करियर के दौरान ये बजरंग दल से भी जुड़े थे, और नगर कार्यवाह के पद पर काम कर रहे थे,गो रक्षा आंदोलन में भी उन्होंने बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, और साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा की पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया।
लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के साथ इनकी राजनीति की शुरुआत हुई थी। ये हार इन्हें सन 2002 और सन 2007 में मिली। इसके बाद सन् 2014 में मोदी लहर में जब कई छिटपुट नेताओं को बेड़ा पार लगा रहा था उसी समय इस लहर ने इनका भी बेड़ा पार लगा दिया और इस लोकसभा चुनाव में इन्हें जीत मिली। उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में कुशवाहा जाति फैली हुई है और स्थान परिवर्तन के साथ उनका उपनाम भी बदलता है कई जगहों पर यह सैनी और सख्त के उप नाम से भी जाने जाते हैं। बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ने की वजह ये भी थी,कि बीजेपी ने ओबीसी नेता तो कई थे मगर कुशवाहा के मौर्य जाति का कोई नेता नहीं था। मौर्य जाति की एक बहुत बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में होने की वजह से यह समय पर जातिगत राजनीति की बहुत काम आ सकती थे। भाजपा और सपा की राजनीति का एक तोड़ यहां से भी निकलते देखा जा सकता है।
8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तर प्रदेश राज्य पार्टी प्रमुख चुना। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है इन्हें पता था कि उत्तर प्रदेश में सपा और भाजपा जीतने की खास हालत में नहीं है, और यदि ऐसी परिस्थिति में भाजपा से एक ऐसे नेता को चुना जाए, जो पिछड़ी जाति का हो और साथ में हिंदुत्व के नाम पर पड़ने वाले वोटों को भी सुरक्षित रखें ऐसी दशा में केशव प्रसाद मौर्य पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम भूमिका में देखा गया और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।
केशव प्रसाद मौर्य विवाद में
कट्टरपंथी राजनीति करने की वजह से इन्हें कई बार विवादों के घेरे में आना पड़ा सन 2011 में इन पर इनके तीन साथियों के साथ एक गरीब किसान गुलाम गौस आलियास चंद खान की हत्या का आरोप लगा है। 21 मई 2015 में इन्हें बरी कर दिया गया और मृतक किसान के बड़े भाई ने कहा कि वे अब इस केस को बंद कर देना चाहते हैं। क्योंकि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है, और वह मौर्य के साथ दुश्मनी नहीं झेल पाएंगे, और अगर यह दुश्मनी तब हो जब वे उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रमुख हैं, 2014 के लोकसभा चुनाव के समय एफिडेविट पर उन्होंने दस प-पेंडिंग पड़े केसेस का जिक्र किया था। मौर्य के अनुसार यह सारे मामले उन पर उनसे राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए उनके प्रतिद्वंदियों ने दर्ज कराया है। इन मामलों में उन पर दंगे भड़काने का अपराध संबंधी साजिश रचने का, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने आदि के विरोध में केस दर्ज हैं।
केशव प्रसाद मौर्य की उपलब्धियां
सन 2012 से सन 2014 तक उन्होंने विधायक के तौर पर काम किया। इसके साथ 16 मई सन 2014 में उन्होंने लोकसभा चुनाव को बहुत बड़े वोटिंग मार्जिन से जीतकर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की।
केशव प्रसाद मौर्य 2022 चुनाव में
पिछली बार की तरह इस बार यानी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत के साथ जीत हासिल की है। इसलिए केशव प्रसाद मौर्य जी इस बार फिर से उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री का पदभार संभालते नजर आने वाले हैं जल्द ही वे इस पद की शपथ भी ग्रहण करते दिखाई देंगे।
👉UP board model paper 2023 class-12th sychology
एक टिप्पणी भेजें