उपन्यास क्या हैं ? हिंदी साहित्य का इतिहास (What is Upanyas ? History of Hindi …

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उपन्यास क्या हैं ? हिंदी साहित्य का इतिहास (What is Upanyas ? History of Hindi …

 उपन्यास क्या हैं ? हिंदी साहित्य का इतिहास (What is Upanyas ? History of Hindi …

उपन्यास किसे कहते हैं उपन्यास का क्या अर्थ होता है तथा यह कितने प्रकार के होते हैं पर उपन्यास की क्या विशेषताएं होती हैं तो मित्रो आज की इस पोस्ट में हम लोग यही जानेंगे आपको पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना है। तो मित्रो आपके मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर उपन्यास किसे कहते हैं।(What is upanyas in Hindi) जहां तक मुझे लगता है कि कई सारे लोगों को सही मायने में उपन्यास का मतलब भी पता नहीं होगा।


अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं जो कि उपन्यास के बारे में जानना चाहते हैं कि उपन्यास का है उपन्यास कितने प्रकार के होते हैं निबंध के तत्व कौन कौन से होते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी।


दोस्तों उपन्यास शब्द से हम बचपन से ही वाकिफ होते हुए आ रहे हैं लेकिन अगर देखा जाए तो उपन्यास किसे कहते हैं यह बहुत कम लोगों को पता होगा तो आज मैंने सोचा कि मैं आपको इसी विषय पर जानकारी देती हूं दोस्तों में upboardlive.com मैं आपका हार्दिक स्वागत करती हूं तो आइए अब हम उपन्यास के बारे में जानते हैं।


उपन्यास शब्द 'उप' उपसर्ग और 'न्यास' पद के योग से बना है। जिसका अर्थ है उप = समीप, न्याय रखना स्थापित रखना (निकट रखी हुई वस्तु)। 98 वस्तु या कृति जिसको पढ़ कर पाठक को ऐसा लगे कि यह उसी की है उसी की जीवन की कथा, उसी की भाषा में कही गई है। उपन्यास मानव जीवन की काल्पनिक कथा है।


उपन्यास का अर्थ


उपन्यास शब्द में' अस' धातु है। 'नि' उपसर्ग से मिलकर 'न्यास' शब्द बनता है। नया शब्द का अर्थ है धरोहर उपन्यास शब्द दो शब्दों उप+न्यास  से मिलकर बना है। उपन्यास का प्रारंभ उसी समय से हो गया था जब एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति के साथ अपनत्व की भावना से विचार-विनियम किया था। उन्यास की वृत्ति का प्रारंभ मानव चेतना की उत्सुकता से होता है।


उपन्यास क्या हैं ? हिंदी साहित्य का इतिहास (What is Upanyas ? History of Hindi …

उपन्यास की परिभाषा

डॉ श्याम सुंदर दास नी उपन्यास की परिभाषा इस प्रकार से दी है उपन्यास मनुष्य जीवन की काल्पनिक कथा है। उपन्यासकार सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र जी लिखते हैं कि "मैं' उपन्यास को मानव चरित्र का चित्र मात्र समझता हूं मानव चरित्र पर प्रकाश डाला था उसके चरित्र को स्पष्ट करना है उपन्यास का मूल तत्व है।"


बाबू गुलाब राय के शब्दों में: उपन्यासकार कारण श्रंखला में बना हुआ है गद्य कथानक है जिसमें वास्तविक व काल्पनिक घटनाओं द्वारा जीवन के सत्यो का उद्घाटन किया है।


उपन्यास की प्रकार


सोच में अनुशीलन पर निम्न प्रकार के उपन्यासों के दर्शन होते हैं-


सांस्कृतिक उपन्यास

सामाजिक उपन्यास

यथार्थवादी उपन्यास

ऐतिहासिक उपन्यास

मनोवैज्ञानिक उपन्यास

राजनीतिक उपन्यास

प्रयोगात्मक उपन्यास

तिलस्मी जुदाई उपन्यास

वैज्ञानिक उपन्यास

धार्मिक उपन्यास

लोक कथात्मक उपन्यास

आंचलिक उपन्यास

रोमानी उपन्यास

कथानक प्रधान उपन्यास

चरित्र प्रधान उपन्यास

वातावरण प्रदान उपन्यास

महाकाव्यात्मक उपन्यास

जासूसी उपन्यास

समस्या प्रधान उपन्यास

भाव प्रधान उपन्यास

आदर्शवादी उपन्यास

नीति प्रधान उपन्यास

प्राकृतिक उपन्यास


हिंदी उपन्यास का विकास क्रम


1. भारतेंदु युग


हिंदी के भारतेंदु युगीन मौलिक उपन्यास ऊपर संस्कृत के कथा साहित्य एवं परवर्ती नाटक साहित्य के साथ ही बंगाल उपन्यासों की छाया पाई जाती है। इस दृष्टिकोण से हिंदी का प्रथम उपन्यास "परीक्षा गुरु" सन 1882 ई० को माना जाता है।


2. द्विवेदी युग


द्विवेदी युग में खड़ी बोली ने अपने रूप को निखारा परिमार्जित रूप ग्रहण किया काव्य में नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठा की।


3. प्रेमचंद्र युग


उपन्यास लेखक क्षेत्र में प्रेमचंद के अमूल्य योगदान के कारण इस योग को प्रेमचंद योग की संज्ञा से अभिहित किया जाता है। उपन्यास रचना की दृष्टि से यह अत्यंत समृद्ध काल है हिंदी उपन्यास को प्रेमचंद की बहुमुखी देन है इस युग में प्राय: मध्यवर्ग उपन्यास के केंद्र में रहा।


4. प्रेमचंदोत्तर युग


प्रेमचंदोत्तर युग में अनेक प्रवृत्तियां एवं प्रभाव उपन्यास के क्षेत्र में परिलक्षित हुए। यह काल पर्याप्त प्रौढ़ एवं विकसित काल है। इसी युग की प्रमुख उपन्यास एवं उपन्यासकार हैं।


जैनेंद्र का त्यागपत्र: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय का शेखर एक जीवनी नरेश मेहता का डूबते मस्तूल: उपेंद्रनाथ अश्क का गिरती दीवारें, अमृतलाल नगर का मानस का बाणभट्ट की आत्मकथा, यशपाल का झूठा सच।


उपन्यास के तत्व


किसी भी साहित्य को एक नियमबद्ध रूप से लिखा जाता है, उपन्यास के संदर्भ में भी ऐसा ही है। उपन्यास को लिखने से पूर्व उपन्यासकार को उपन्यास के मूलभूत सिद्धांत से परिचित होना चाहिए, तभी वह सफल उपन्यास की रचना कर सकता है। उपन्यास के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं –


कथावस्तु

पात्र का चरित्र चित्रण

प्रधान पात्र और गौण पात्र

संवाद

वातावरण

भाषा शैली

जीवन दर्शन व उद्देश्य


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