रामनवमी पर निबंध 2022 | Essay on Ram Navami festival in Hindi
चैत्र मास की नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है. यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. हिंदुओं में इस त्यौहार का बहुत ही अधिक महत्व है. इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इस उपलक्ष में रामनवमी मनाई जाती है।
जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ने लगा तब भगवान विष्णु ने राम के अवतार में जन्म लिया यह बात श्वेता युग की है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के जन्म में भगवान विष्णु का अवतार हुआ. यह अवतार असुरों का संघार करने के लिए हुआ था।
रामनवमी को भगवान राम का जन्म उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है अयोध्या में बहुत ही अधिक सजावट और बहुत बड़ा उत्सव होता है. जिसकी वजह से वहां पर लाखों में पब्लिक पहुंचती है. और भगवान राम का जन्म उत्सव मनाया जाता है।
इस दिन लोग व्रत रखते हैं राम जी के प्रति यज्ञ अनुष्ठान किया जाता है, उनकी पूजा की जाती है। घर में शादी सजावट की जाती है भगवान श्री राम की विशेष पूजा की जाती है. भजन कीर्तन किया जाता है. श्री राम जी के साथ सीता माता की ओर लक्ष्मण जी की भी पूजा की जाती है.
जब माता के कई ने अपने वरदान मांगे, उसमें भगवान राम के लिए बनवास मांगा था. तब भगवान 14 वर्ष के लिए 1 गए और वहां रहकर अश्रु का संघार किया. रावण का वध किया और लंका पर विजय प्राप्त की।
रामनवमी पर निबंध (800 शब्द)
कब मनाई जाती है?
रामनवमी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन माता कौशल्या नहीं भगवान श्रीराम को जन्म दिया था. इसी के उपलक्ष में रामनवमी त्योहार के रूप में मनाई जाती है.
कैसे मनाई जाती है?
रामनवमी के त्यौहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री राम की पूजा की जाती है. भगवान श्री राम के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. राम जी के साथ-साथ माता सीता और लक्ष्मण जी की भी पूजा की जाती है. लोग अपनी मंगल कामना के लिए भगवान श्री राम की पूजा करते हैं. घरों में साज सजावट करते हैं. और अयोध्या में बहुत ही बड़ा उत्सव मनाया जाता है.
क्या महत्व है?
जब रावण के द्वारा प्रजा पर अत्याचार हुआ, तब देवताओं ने भगवान विष्णु के पास आकर दुहार लगाई, कि रावण के अत्याचारों से उन्हें मुक्त कराया जाए. इसके पश्चात भगवान विष्णु ने राम के अवतार में रामनवमी के दिन जन्म लिया. श्री राम जी की माता कौशल्या जी और पिता दशरथ जी के यहां अयोध्या में जन्म हुआ।
व्रत करने का क्या लाभ है?
ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन व्रत करने से भगवान श्री राम कृपा बनाए रखते हैं और सभी दुख दर्द को खत्म करते हैं. भगवान श्री मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाने जाते हैं. इसलिए उनकी सीट पर चलने के लिए व्रत पूजा इत्यादि की जाती है.
रामनवमी का इतिहास क्या है?
एक समय की बात है एक राजा हुआ करते थे. जिनका नाम था दशरथ। यह त्रेता युग की बात है. दशरथ जी की तीन पत्नी हुआ करती थी. कौशल्या ,केकई और ,सुमित्रा. तीन पत्नियों के होने के बावजूद उनके को भी संतान नहीं थी.
इसके चलते दशरथ जी गुरु वशिष्ट के पास गए और अपनी परेशानी के निवारण के लिए विनती करने लगे तत्पश्चात, विशिष्ट जी ने यज्ञ किया और दशरथ जी की पत्नियों को प्रसाद के रूप में खीर दी . जिसमें से कहा कि तीनों अपना एक एक ऐसा करके खा लो और ऐसा ही दिया कौशल्या और की गई ने अपना अपना हिस्सा खाने के बाद सुमित्रा को भी उसका हिस्सा दिया, परंतु अपने हिस्से में से भी एक ही हिस्सा सुमित्रा जी को दिया। जिसके पश्चात सुमित्रा जी के दो पुत्र हुए माता कौशल्या की एक और केकई के भी एक पुत्र हुआ.
माता कौशल्या ने श्री राम जी को जन्म दिया और माता के कई ने भरत जी को जन्म दिया, जबकि माता सुमित्रा के लक्षण और शत्रुघ्न को जन्म दिया.
राम जी को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है. जब धरती पर असुरों का अत्याचार बढ़ने लगा, तब भगवान श्रीराम ने जन्म लिया. असुरों का संहार करने के लिए इसके पश्चात राम जी का सीता माता के साथ विवाह किया गया.
राम जी के भाइयों का विवाह सीता माता की बहनों के साथ हुआ. इसके पश्चात जब वह सब अयोध्या लौटे तब दशरथ जी के मन में यह बात आई, कि श्री राम जी का राज्य अभिषेक किया जाए. परंतु कैकई माता ने अपने वचन लिए और भरत के लिए सिंहासन और राम जी के लिए वनवास मांगा. भगवान श्री राम बनवास को चले उन्होंने 14 वर्ष 1 में बिताए और वहां रहकर असुरों का श्रृंगार किया.
जब श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी वन में थे, तब रावण ने माता सीता का हरण कर इसके पश्चात हनुमान जी ने और सुग्रीव जी ने श्री राम की मदद की और लंका पर चढ़ाई करके रावण का श्रृंगार किया. इसके पश्चात 14 वर्ष का वनवास पूरा करके खुशी खुशी से अभी अयोध्या वापस को लौट आए.
राम जी के चरित्र से हमें क्या सीख मिलती है?
देखा जाए तो राम जी का पूरा जीवन से हमें बहुत सीख मिलती है. श्री राम जी जिस तरह से 1 पुत्र, पति और राजा बने यह सब हमें राम जी के चरित्र चरित्र से सीखना चाहिए.
1. राम जी हमें सिखाते हैं, हमें हमेशा भगवान पर विश्वास रखना चाहिए.
2. हमें सभी के प्रति प्यार और दया की भावना रखनी चाहिए.
3. हर किसी की अपराध को छमा करना चाहिए.
4. हर परिस्थिति का सामना डट कर करना चाहिए.
5. ऊंच नीच का भेदभाव नहीं करना चाहिए, हर किसी को एक समान मानना चाहिए.
6. माता-पिता का आदर सत्कार करना चाहिए, उनकी सेवा करनी चाहिए.
7. धन-संपत्ति से बढ़कर, हमें रिश्तो को महत्व देनापपचाहिए.
8. हमें हमेशा प्यार और स्नेह को बरकरार रखना चाहिए.
निष्कर्ष
देखा जाए तो, भगवान श्रीराम का पूरा जीवन ही सीख के बराबर है. यह केवल एक दीवार ही नहीं है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि किसी तरह से अच्छे गुण होने पर हम अच्छे व्यक्ति अच्छे इंसान बनते हैं और अपनी जिंदगी में सफल होते हैं हमारे सामने चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए. यह त्यौहार हमें खुशियां और मंगल कामना देता है.
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